उत्तर प्रदेश इटावा में निर्माणाधीन श्री केदारनाथ धाम की प्रतिकृति के मंदिर का मामला

उत्तर प्रदेश के इटावा जिले के सैफई में बन रहे श्री केदारनाथ धाम की प्रतिकृति मंदिर को लेकर उत्तराखंड में तीखी प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है। श्री बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति (बीकेटीसी) ने इस निर्माण कार्य पर आपत्ति जताई है। समिति के अध्यक्ष हेमंत द्विवेदी ने कहा है कि केदारनाथ मंदिर भारत के 11वें ज्योतिर्लिंग …

Jul 20, 2025 - 00:27
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उत्तर प्रदेश इटावा में निर्माणाधीन श्री केदारनाथ धाम की प्रतिकृति के मंदिर का मामला
उत्तर प्रदेश के इटावा जिले के सैफई में बन रहे श्री केदारनाथ धाम की प्रतिकृति मंदिर को लेकर उत्तरा

उत्तर प्रदेश इटावा में निर्माणाधीन श्री केदारनाथ धाम की प्रतिकृति के मंदिर का मामला

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उत्तर प्रदेश के इटावा जिले के सैफई में बन रहे श्री केदारनाथ धाम की प्रतिकृति मंदिर को लेकर उत्तराखंड में तीखी प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है। श्री बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति (बीकेटीसी) ने इस निर्माण कार्य पर अपनी आपत्ति जताई है। समिति के अध्यक्ष हेमंत द्विवेदी ने कहा है कि केदारनाथ मंदिर भारत के 11वें ज्योतिर्लिंग के रूप में वैदिक और पुराणों में वर्णित है और इसका धार्मिक महत्व अत्यंत विशिष्ट है।

बीकेटीसी की आधिकारिक प्रतिक्रिया

हेमंत द्विवेदी ने स्पष्ट करते हुए कहा कि हिमालय क्षेत्र में स्थित मूल श्री केदारनाथ धाम का प्रतिरूप किसी अन्य स्थान पर बनाना धार्मिक परंपराओं और मान्यताओं का उल्लंघन है। वे कहते हैं कि यह कदम तीर्थ यात्रियों के लिए आस्था से जुड़ी भावनाओं को चोट पहुंचा सकता है। बीकेटीसी के अध्यक्ष ने कहा कि इस मामले पर विधिक राय लेने के बाद आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।

सरकारी कार्रवाई और कानूनी पहल

इसके अलावा, उन्होंने यह भी बताया कि उत्तराखंड सरकार इस विषय को गंभीरता से ले रही है। इसके पूर्व, दिल्ली में प्रस्तावित श्री केदारनाथ मंदिर निर्माण और केदारनाथ ट्रस्ट पर भी रोक लगाई जा चुकी है। इस संदर्भ में, प्रदेश सरकार पहले ही चारधाम के नाम के दुरुपयोग को रोकने के लिए कानूनी कदम उठाने की दिशा में कार्य कर रही है।

राजनीतिक प्रतिक्रियाएँ

हाल ही में, समाजवादी पार्टी के नेता और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने इस प्रतिकृति मंदिर का वीडियो सोशल मीडिया पर साझा किया था, जिसके बाद उत्तराखंड के तीर्थ-पुरोहितों और धार्मिक संस्थाओं में भी रोष देखने को मिला है। बीकेटीसी ने साफ कहा है कि इटावा में निर्माणाधीन केदारेश्वर मंदिर को लेकर समिति जल्द ही उचित कदम उठाएगी।

समाज में आस्था का महत्व

धार्मिक स्थलों का निर्माण केवल भौतिक संरचनाओं तक सीमित नहीं होता। इनसे संबंधित आस्था और विश्वास भी महत्वपूर्ण होते हैं। इस मामले ने उन लोगों का ध्यान आकर्षित किया है जो धार्मिक स्थलों की पवित्रता के प्रति संवेदनशील हैं। विशेष रूप से उत्तराखंड के लोग केदारनाथ धाम को अपने धार्मिक अनुष्ठानों और आस्था का केंद्र मानते हैं।

निष्कर्ष

यह मामला न केवल उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में बल्कि भारत के समस्त धार्मिक समाज में चर्चा का विषय बन गया है। बीकेटीसी की प्रतिक्रियाएँ और सरकार की कानूनी कदमों से यह स्पष्ट हो रहा है कि किसी भी धार्मिक स्थान की प्रतिकृति का निर्माण करने में परंपराओं का सम्मान होना जरूरी है। इस विषय पर आगे क्या कदम उठाए जाएंगे, यह देखना दिलचस्प होगा।

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