कानपुर पुलिस पर 24 घंटे में तीन बड़े दाग:बैड टच, सोना हड़पने और वसूली का है आरोप, एक को हुई थी जेल
सोना हड़पने के मामले में अपने साथियों के साथ निलंबित एसओ रेलबाजार विजय दर्शन शर्मा, जिम ट्रेनर को गोली मारने में भी जेल जा चुका है। इतना ही नहीं एसओ ने एक वारंटी को भी बिना कार्रवाई के थाने से छोड़ दिया था। इसमें भी यह अधिकारी की जांच में दोषी पाया गया था। एसओ रेलबाजार समेत सात पुलिस कर्मियों ने कानपुर पुलिस कमिश्नरेट के दामन पर तीन बड़े दाग दे दिए हैं। कानपुर पुलिस कमिश्नरेट की कार्यप्रणाली पर गहरा सवाल खड़ा हो गया है। बैड टच (छेड़छाड़) से लेकर वसूली और फिर सोने के जेवरात हड़पने के मामले में पुलिस अफसरों पर गाज गिरी है। इनके खिलाफ मुकदमें दर्ज हुए सात पुलिस कर्मियों का निलंबन हुआ। यहां तक की दो पुलिस अफसरों की गिरफ्तारी तक हो गई है। पुलिस अधिकारियों के मुताबिक भ्रष्टाचार और अपराध में शामिल पुलिस कर्मियों को किसी हाल में बख्शा नहीं जाएगा। अपराधिक घटनाओं में शामिल पुलिस कर्मियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। केस -1 एमआईजी 32 बर्रा 6 निवासी शिक्षिका शालिनी दुबे के घर पर 30 सितम्बर को चोरी हो गई थी। उनके घर से 25 लाख के जेवरात और 5 लाख नकदी चोरी हुई थी। बर्रा पुलिस ने दो आरोपित को सीसीटीवी की मदद से गिरफ्तार कर लिया। उससे सख्ती से पूछताछ हुई तो रेलबाजार एसओ विजय दर्शन शर्मा का नाम सामने आ गया। आरोपितों ने जानकारी दी कि एसओ ने सोना गलवाकर बेच दिया। मामले ने तूल पकड़ा तो एसओ रेलबाजार विजय दर्शन शर्मा, ट्रेनी एसआई नवीन श्रीवास्तव, हेड कांस्टेबल सुभाष तिवारी और हेड कांस्टेबल आमिल हाफिज को सस्पेंड कर दिया। यह तो सिर्फ एक घटना है। एसओ सन 2018 में नोएडा में तैनात थे। उस दौरान गुडवर्क के लिए इन्होंने वहां के जिम ट्रेनर जितेन्द्र यादव को गोली मार दी थी। जिसमें दरोगा को जेल जाना पड़ा था। बाद में यह कोर्ट से मामले में बरी हुए क्योंकि प्रत्यक्षदर्शी ठीक से गोली मारने वाले की शिनाख्त नहीं कर सका था। इसके अलावा बीती 25 जनवरी 2024 को एक वारंटी मिराज खान को रेलबाजार थाने में लाकर छोड़ा गया था। इस मामले में प्रथम दृष्टया थाने में तैनात दरोगा सुरदीप सिंह डागर दोषी पाया गया था मगर पूर्व एसीपी कैंट अंजली विश्वकर्मा की जांच में एसओ रेलबाजार विजय दर्शन शर्मा को भी दोषी पाया गया था। केस-2 पुलिस कमिश्नरेट के रेलबाजार थाना के फेथफुलगंज चौकी इंचार्ज गजेन्द्र सिंह से शुरुआत हुई। घर से भागी एक महिला को बरामद करने के बाद। चौकी इंचार्ज टीम के साथ उसे लेकर कार से कानपुर आने के लिए चले। रास्ते में उसने महिला को बैड टच किया अभद्रता की। इस मामले पहले तो पुलिस अधिकारियों ने चुप्पी साधी उसका ठीकरा भी महिला के परिजनों पर फोड़ दिया। पुलिस अधिकारियों का कहना था कि वह लोक लाज के डर से कार्रवाई नहीं चाहते। हालांकि जब मामले ने तूल पकड़ा तो डीसीपी ईस्ट श्रवण कुमार सिंह ने इस मामले में शामिल चौकी इंचार्ज गजेन्द्र सिंह को लाइन हाजिर कर दिया। केस- 3 घाटमपुर कस्बे में मोमबत्ती कारोबारी उदय प्रकाश साहू को व्यापार के लिए लाइसेंस न होने का डर दिखाकर 20 हजार ऑनलाइन और 30 हजार रुपए नकद। 50 हजार रुपए की वसूली कर ली। मामला तब खुला जब कारोबारी ने व्यापार मंडल के पदाधिकारियों को घटना की जानकारी दी। पदाधिकारियों ने पुलिस अधिकारियों को मामले की जानकारी दी। मामला वरिष्ठ अधिकारियों तक पहुंचा और एसीपी घाटमपुर को मामले की जांच सौंपी गई। जांच में प्रथम दृष्टया पुलिस कर्मियों की संलिप्तता पाई गई। जिसके बाद घाटमपुर कस्बा चौकी इंचार्ज आशीष कुमार चौधरी, एसआई अनुज नागर को सस्पेंड कर दिया गया। उदय प्रकाश की तहरीर पर एसआई आशीष कुमार, एसआई अनुज नागर, मेडिकल स्टोर संचालक शेखर और सभासद राजपूत साहू के खिलाफ अवैध वसूली की धारा में एफआईआर दर्ज कर ली गई। जिसमें पुलिस ने चौकी इंचार्ज, दरोगा और सभासद को गिरफ्तार कर लिया है।
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