काव्यांजलि हाइट्स को GDA की लास्ट वार्निंग:7 दिनों के अंदर 1.53 करोड़ रुपये बकाया शुल्क जमा करें, नहीं तो होगी सख्त कार्रवाई

गोरखपुर विकास प्राधिकरण (GDA) ने मोहद्दीपुर स्थित बहुमंजिला आवासीय और वाणिज्यिक परियोजना काव्यांजलि हाइट्स के निर्माण कार्य पर अपना रुख और कड़ा कर दिया है। 9 नवंबर को, इस परियोजना की निर्माण फर्म श्री बांके बिहारी डेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड को पुनः नोटिस जारी कर स्पष्ट रूप से कहा गया है कि 7 दिनों के भीतर 1.53 करोड़ रुपये का बकाया इम्पैक्ट फीस और सब डिवीजन फीस ब्याज सहित जमा किया जाए, अन्यथा प्राधिकरण नियमानुसार कठोर कार्रवाई करेगा। पहले नोटिस में शुल्क जमा करने की नहीं दी गई थी कोई सीमा इससे पहले 8 अक्टूबर को भी प्राधिकरण के वाद अनुभाग ने उक्त निर्माण फर्म को 76 लाख 28 हजार रुपये सब डिवीजन फीस और 76 लाख 93 हजार रुपये इम्पैक्ट फीस ब्याज सहित जमा करने का नोटिस जारी किया था, हालांकि उस नोटिस में ब्याज की स्पष्ट राशि का उल्लेख नहीं किया गया था और शुल्क जमा करने के लिए कोई निश्चित समय सीमा भी नहीं दी गई थी। इस पर शिकायतकर्ता सौरभ ने आरोप लगाया था कि प्राधिकरण जानबूझकर फर्म को बचाने के प्रयास कर रहा है। उनका कहना था कि प्राधिकरण ने गड़बड़ियों के बावजूद बिल्डर का कंप्लीशन और ऑक्यूपेंसी सर्टिफिकेट रद्द नहीं किया और न ही कोई अन्य कार्रवाई की। चीफ इंजीनियर ने दी लास्ट वार्निंग मुख्य अभियंता किशन सिंह ने 9 नवंबर को जारी किए गए अपने नोटिस में स्पष्ट किया कि यह अंतिम नोटिस है। यदि निर्धारित अवधि के भीतर शुल्क जमा नहीं किया गया तो प्राधिकरण कड़ी कार्रवाई करेगा, हालांकि इस नोटिस में ब्याज की राशि की जानकारी नहीं दी गई। लोकायुक्त से हुई थी शिकायत इस मामले में लोकायुक्त से भी शिकायत की गई है। शिकायतकर्ता सौरभ ने आरोप लगाया कि काव्यांजलि हाइट्स का नक्शा तत्कालीन जूनियर इंजीनियर अंगद सिंह ने प्रमाणित किया था, जबकि निर्माण फर्म की निदेशक उनकी पत्नी शैल सिंह थीं। अंगद सिंह ने पत्नी की फर्म के संचालन के लिए प्राधिकरण से कोई अनुमति नहीं ली थी। इसके अलावा, 27 फरवरी 2013 को नक्शा पास कराने के लिए शुल्क जमा करने का निर्देश दिया गया था, लेकिन बिना शुल्क जमा किए ही 23 मई 2014 को नक्शा स्वीकृत कर दिया गया। हालांकि, प्राधिकरण ने आरटीआई के जवाब में कहा कि 2013 में हाईकोर्ट के अंतरिम आदेश के कारण शुल्क नहीं लिया गया, लेकिन 2016 में उस आदेश की अवधि समाप्त हो गई, फिर भी शुल्क जमा नहीं कराया गया। सात दिन के अंदर जमा करना होगा शुल्क गोरखपुर विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष आनंद वर्द्धन ने इस मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि बांके बिहारी डेवलपर्स को अंतिम नोटिस दिया गया है और सात दिन के भीतर शुल्क जमा नहीं होने पर नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।

Nov 11, 2024 - 06:20
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काव्यांजलि हाइट्स को GDA की लास्ट वार्निंग:7 दिनों के अंदर 1.53 करोड़ रुपये बकाया शुल्क जमा करें, नहीं तो होगी सख्त कार्रवाई
गोरखपुर विकास प्राधिकरण (GDA) ने मोहद्दीपुर स्थित बहुमंजिला आवासीय और वाणिज्यिक परियोजना काव्यांजलि हाइट्स के निर्माण कार्य पर अपना रुख और कड़ा कर दिया है। 9 नवंबर को, इस परियोजना की निर्माण फर्म श्री बांके बिहारी डेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड को पुनः नोटिस जारी कर स्पष्ट रूप से कहा गया है कि 7 दिनों के भीतर 1.53 करोड़ रुपये का बकाया इम्पैक्ट फीस और सब डिवीजन फीस ब्याज सहित जमा किया जाए, अन्यथा प्राधिकरण नियमानुसार कठोर कार्रवाई करेगा। पहले नोटिस में शुल्क जमा करने की नहीं दी गई थी कोई सीमा इससे पहले 8 अक्टूबर को भी प्राधिकरण के वाद अनुभाग ने उक्त निर्माण फर्म को 76 लाख 28 हजार रुपये सब डिवीजन फीस और 76 लाख 93 हजार रुपये इम्पैक्ट फीस ब्याज सहित जमा करने का नोटिस जारी किया था, हालांकि उस नोटिस में ब्याज की स्पष्ट राशि का उल्लेख नहीं किया गया था और शुल्क जमा करने के लिए कोई निश्चित समय सीमा भी नहीं दी गई थी। इस पर शिकायतकर्ता सौरभ ने आरोप लगाया था कि प्राधिकरण जानबूझकर फर्म को बचाने के प्रयास कर रहा है। उनका कहना था कि प्राधिकरण ने गड़बड़ियों के बावजूद बिल्डर का कंप्लीशन और ऑक्यूपेंसी सर्टिफिकेट रद्द नहीं किया और न ही कोई अन्य कार्रवाई की। चीफ इंजीनियर ने दी लास्ट वार्निंग मुख्य अभियंता किशन सिंह ने 9 नवंबर को जारी किए गए अपने नोटिस में स्पष्ट किया कि यह अंतिम नोटिस है। यदि निर्धारित अवधि के भीतर शुल्क जमा नहीं किया गया तो प्राधिकरण कड़ी कार्रवाई करेगा, हालांकि इस नोटिस में ब्याज की राशि की जानकारी नहीं दी गई। लोकायुक्त से हुई थी शिकायत इस मामले में लोकायुक्त से भी शिकायत की गई है। शिकायतकर्ता सौरभ ने आरोप लगाया कि काव्यांजलि हाइट्स का नक्शा तत्कालीन जूनियर इंजीनियर अंगद सिंह ने प्रमाणित किया था, जबकि निर्माण फर्म की निदेशक उनकी पत्नी शैल सिंह थीं। अंगद सिंह ने पत्नी की फर्म के संचालन के लिए प्राधिकरण से कोई अनुमति नहीं ली थी। इसके अलावा, 27 फरवरी 2013 को नक्शा पास कराने के लिए शुल्क जमा करने का निर्देश दिया गया था, लेकिन बिना शुल्क जमा किए ही 23 मई 2014 को नक्शा स्वीकृत कर दिया गया। हालांकि, प्राधिकरण ने आरटीआई के जवाब में कहा कि 2013 में हाईकोर्ट के अंतरिम आदेश के कारण शुल्क नहीं लिया गया, लेकिन 2016 में उस आदेश की अवधि समाप्त हो गई, फिर भी शुल्क जमा नहीं कराया गया। सात दिन के अंदर जमा करना होगा शुल्क गोरखपुर विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष आनंद वर्द्धन ने इस मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि बांके बिहारी डेवलपर्स को अंतिम नोटिस दिया गया है और सात दिन के भीतर शुल्क जमा नहीं होने पर नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।

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