काशी में पं. प्रदीप मिश्रा की कथा:3 लाख लोग गंगा की रेती में सुन रहे; श्रोता बोले-मंत्र के जप से पूरी होती मनोकामना
वाराणसी के महाश्मशान मणिकर्णिका के उस पार गंगा रेती पर डोमरी स्थित सतुआ बाबा गोशाला में आयोजित शिवमहापुराण कथा में 3 लाख भक्तों का जुटान हो रहा है। उनकी सहूलियत के लिए कथा स्थल पर तमाम सुविधाएं की गई थीं। भक्तों के लिए आयोजन स्थल पर विशाल पंडाल 300 गुणा 1565 फीट में तीन जर्मन हैंगर बनाए गए हैं। लेकिन श्रोताओं में आस्था और विश्वास इतना है कि जगह कम पड़ जा रही हैं। भीड़ को देखते हुए अस्थाई टेंट भी लगा दिया गया है। कथा पंडाल में शामिल होने के लिए श्रोता जल और सड़क मार्ग से पहुंच रहे हैं। गंगा से कथा स्थल के सामने श्रद्धालुओं को ले जाने के लिए 30 देना पड़ रहा है। वहीं कैंट स्टेशन से कथा स्थल तक सड़क मार से पहुंचने के लिए श्रद्धालुओं को 200 से अधिक रुपए भी देने पड़ रहे हैं। पूरे कथा स्थल क्षेत्र में रेड कारपेट बिछाया गया है। गंगा स्नान करने के लिए तमाम व्यवस्थाओं के साथ-साथ चेंजिंग रूम भी बनाए गए हैं। लेकिन भीड़ इतनी है कि वह भी काम बन जा रही है गंगा किनारे कुल 20 चेंजिंग रूम तैयार किया गया है। इसके अलावा गंगा घाट से कथा स्थल तक जाने के लिए टोटो की व्यवस्था की गई है जिसमें वृद्ध लोगों को ही बैठाया जा रहा है। पंडित प्रदीप मिश्रा के कार्यक्रम स्थल के पास तमाम रुद्राक्ष की दुकान भी लगाई गई है इसके अलावा शिव कथा के बारे में भी बताने वाली तमाम किताबों की भी दुकान लगी है। कथा में शामिल होने के लिए सिर्फ वाराणसी नहीं से ही नहीं बल्कि देश के कोने कोने से श्रद्धालु कथा स्थल पर पहुंच रहे हैं। यहां आस्था का एक बड़ा विश्वास देखने को मिल रहा है सबका कहना है कि बाबा की कथा में मंत्र का जाप करने के बाद जो भी मनोकामना मांगी जाती है। वह पूरी हो जाती है। और जिसकी मनोकामना पूरी हो जाती है वह कथा में बाबा को धन्यवाद देने भी पहुंच रहे हैं पूरे परिवार के साथ लोग कथा स्थल पर ही रह रहे हैं और पूरे दिन कथा को सुन रहे हैं। 33 कोटि देवी-देवताओं का मिलेगा फल कथा में पं. प्रदीप मिश्रा ने कहा - भगवान शिव को अर्पित एक लोटा जल 33 कोटि देवी-देवताओं तक पहुंच जाता है। जो ‘श्रीशिवाय नमस्तुभ्यं का जप करते हुए नित्य एक लोटा जल शिवलिंग पर अर्पित करता है उसे सभी समस्याओं से छुटकारा मिल जाता है। श्रद्धा और संकल्प शिव को पाने का साधन है। उनकी कथा को सुनने के लिए सबसे अधिक महिलाएं शामिल हो रही हैं।
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