गूगल मैप पर पूरा भरोसा नहीं कर सकते:सैटेलाइट फोटोज और यूजर डाटा अपडेट का जरिया; पहले भी बरेली पुल जैसे हादसे हुए हैं
उत्तर प्रदेश के बरेली में गूगल मैप की वजह से कार आधे-अधूरे पुल से नीचे गिर गई। कार में सवार 2 भाइयों समेत 3 लोगों नितिन, अमित और अजीत की मौत हो गई थी। हादसे के 6 दिन बाद बदायूं पुलिस ने गूगल को नोटिस जारी किया है। गुरुग्राम ऑफिस को भेजे नोटिस में पुलिस ने पूछा है कि जहां हादसा हुआ यानी टूटे पुल को पूरा दिखाया, उस इलाके का मैनेजर कौन है? ताकि FIR में उसका नाम शामिल किया जा सके। इस हादसे के बाद सवाल उठने लगे कि आखिर गूगल मैप ने टूटे पुल पर रास्ता क्यों दिखाया? क्या चीजें हैं जिनकी मदद से गूगल मैप हमें रास्ते से लेकर ट्रैफिक तक की जानकारी देता है? आखिर यह कैसे काम करता है? इन सभी सवालों के जवाब भास्कर एक्सप्लेनर में जानिए... सवाल 1: आखिर कैसे काम करता है गूगल मैप, कैसे वो हमें कोई भी लोकेशन डालने पर रास्ता बताता है? जवाब: गूगल मैप दरअसल सैटेलाइट और ऊपर से ली गई तस्वीरों के माध्यम से पूरी दुनिया का पूरी डिटेल के साथ मैप बनाता है। यह फोन या कंप्यूटर की स्क्रीन पर देखने में भले ही सिर्फ एक क्लिक पर सबकुछ हो जाता है। लेकिन इसके पीछे तमाम चीजें काम कर रही होती हैं। किसी एक जगह को सटीक ढंग से बताने या वहां तक के रास्ते की जानकारी के लिए गूगल मैप कई जगहों से डाटा लेकर हम तक पहुंचाता है। हालांकि, गूगल ट्रेड सीक्रेट की वजह से ऑफिशियल रूप से यह कभी नहीं बताता कि वह नेविगेशन के लिए किस तकनीकी का इस्तेमाल करता है। लेकिन, गूगल मैप रास्ता या जगह बताने में जाहिर रूप से जिन चीजों की मदद लेता है उनकी लिस्ट ये रही- सवाल 2: अगर कोई नई सड़क या रास्ता बना है या टूट गया है, तो गूगल मैप उसे कैसे अपडेट करता है? जवाब: इसका जवाब मिलता है गूगल मैप के काम करने के तरीके में। असल में देखें तो गूगल मैप के डाटा कलेक्ट करने के दो शुरुआती जरिए हैं। पहला गूगल यूजर्स का रियल टाइम डाटा और स्थानीय प्रशासन। ऐसे में, किसी भी तरह के सड़क के टूटने, बंद होने, पुल के टूटने और बंद होने की जानकारी के लिए वह स्थानीय प्रशासन के वहां बैरिकेडिंग लगाने या टूटने-फूटने की सूचना का सहारा लेता है। इसके अलावा ऐप पर कंट्रीब्यूट नाम से एक फीचर है, जिसमें कोई भी यूजर इस तरह की जानकारी अपडेट कर सकता है। इसके बाद गूगल मैप उसे वेरिफाई कर ऐप पर अपडेट कर देता है। ऐसे में, बरेली में उस पुल के बह जाने की सूचना अगर किसी यूजर ने ऐप पर अपडेट कर दी होती तो भी यह हादसा होने से बच जाता। इससे भी पहले अगर स्थानीय प्रशासन वहां पुल के टूटे होने का कोई बोर्ड या बैरिकेडिंग कर देता तब भी गूगल इस जानकारी को सैटेलाइट तस्वीरों के माध्यम से अपडेट कर देता। लेकिन ऐसा लगता है कि इस मामले में दोनों ही चीजें नहीं हुईं। सवाल 3: अगर कोई नई सड़क या ब्रिज बना है, तो गूगल ऐप पर कैसे अपडेट होता है? जवाब: गूगल मैप अपने ब्लॉग में इसकी जानकारी देता है। किसी जगह पर नए कंस्ट्रक्शन या नई सड़क या नए ब्रिज को लेकर भी जानकारी अपडेट होने की वही प्रक्रिया होती है जो किसी सड़क के टूटने के अपडेट होने की होती है। अगर कोई ब्रिज या फ्लाई ओवर टूट गया है तब या तो कोई यूजर अपडेट कर सकता है या स्थानीय प्रशासन वहां किसी तरह का बोर्ड या बैरिकेडिंग करे। एक बार यह किए जाने पर ही संभव होता है कि गूगल मैप उस जगह को अपने सैटेलाइट इमेज से वेरिफाई करे और ऐप पर अपडेट करे। बरेली के मामले में रोड सेफ्टी एक्सपर्ट का मानना है कि यह गूगल मैप की तरफ से बड़ी लापरवाही है। यह ऐप बड़ी मात्रा में यूजर्स का डाटा इकट्ठा करता है। यह ब्रिज पिछले साल बाढ़ में बह गया था। यानी पिछले एक साल से कोई भी इस रास्ते से होकर नहीं गुजरा। फिर गूगल मैप उस रास्ते को कैसे बता सकता है जिस पर एक साल से कोई गया ही नहीं। सवाल 4: गूगल किन संस्थाओं या एजेंसी से स्थानीय डाटा लेता है? जवाब: गूगल मैप अपने ब्लॉग्स में दावा करता है कि वह नई सड़कों, फ्लाईओवर या ब्रिज के बनने या टूटने की जानकारी स्थानीय प्रशासन से लेता है। लेकिन यह साफ नहीं करता कि भारत सरकार या राज्य सरकार की किन संस्थाओं या एजेंसियों के साथ गूगल का ऐसी जानकारी की लेनदेन के लिए समझौता है। यहां यह भी स्पष्ट नहीं है कि भारत की कोई सरकारी संस्था या एजेंसी गूगल मैप के साथ किसी तरह का डाटा शेयर करती है या नहीं। सवाल 5: क्या बरेली जैसे हादसे पहले भी हुए हैं? जवाब: इसका जवाब है हां। गूगल मैप के भरोसे जा रहे लोगों के साथ इससे पहले भी धोखा होने के मामले सामने आते रहे हैं। गूगल मैप पर पूरी तरह भरोसा कर अपनी मंजिल की तरफ जा रहे लोग या तो मुश्किलों में फंसे या जान तक चली गई। केस 1: इसी साल जून महीने में गूगल मैप के सहारे केरल से कर्नाटक जा रहे दो युवक उत्तरी कासरगोड जिले में एक उफनाती नदी में चले गए। गनीमत ये रही कि उनकी कार एक पेड़ में फंस कर रुक गई और युवकों की जान बच गई। केस 2: अक्टूबर 2023 में केरल में गूगल मैप के भरोसे जा रहे दो डॉक्टरों की परियार नदी में डूबने से मौत हो गई थी। कोच्ची के गोथुरुथ इलाके में भोर में जाते हुए गाड़ी चला रहे 29 साल के अद्वैत से एक टर्न मिस हो गया और उनकी गाड़ी नदी में जा गिरी। केस 3: 2023 में ही इस घटना के एक महीने पहले अमेरिका में गूगल मैप की वजह से एक व्यक्ति की मौत हो गई थी। यूएम नेवी से रिटायर्ड फिलिप पैक्सन अपनी बेटी का 9वां जन्मदिन मनाकर वेन्यू से घर लौट रहे थे। गूगल मैप के दिखाए रास्ते पर वह एक टूटे ब्रिज पर चढ़ गए। जहां से गाड़ी सहित गिरने की वजह से उनकी मौत हो गई। यह मामला भी बरेली जैसा था। केस 4: साल 2021 में महाराष्ट्र में गूगल मैप के बताए गलत रास्ते की वजह से एक कार डैम में जा गिरी थी। यहां भी गाड़ी चला रहे व्यक्ति की डूबने से मौत हो गई थी। ------------------------ ये भी पढ़ें... गूगल मैप-लापरवाह अफसर मेरे पति की मौत के जिम्मेदार:पत्नी बोली- 45 दिन पहले पिता बने थे, बेटे का नाम भी नहीं रख पाए किसी बच्चे का नाम तक न रखा गया हो और उसके सिर से पिता का साया उठ जाए तो मां पर क्या
उत्तर प्रदेश के बरेली में गूगल मैप की वजह से कार आधे-अधूरे पुल से नीचे गिर गई। कार में सवार 2 भाइयों समेत 3 लोगों नितिन, अमित और अजीत की मौत हो गई थी। हादसे के 6 दिन बाद बदायूं पुलिस ने गूगल को नोटिस जारी किया है। गुरुग्राम ऑफिस को भेजे नोटिस में पुलिस ने पूछा है कि जहां हादसा हुआ यानी टूटे पुल को पूरा दिखाया, उस इलाके का मैनेजर कौन है? ताकि FIR में उसका नाम शामिल किया जा सके। इस हादसे के बाद सवाल उठने लगे कि आखिर गूगल मैप ने टूटे पुल पर रास्ता क्यों दिखाया? क्या चीजें हैं जिनकी मदद से गूगल मैप हमें रास्ते से लेकर ट्रैफिक तक की जानकारी देता है? आखिर यह कैसे काम करता है? इन सभी सवालों के जवाब भास्कर एक्सप्लेनर में जानिए... सवाल 1: आखिर कैसे काम करता है गूगल मैप, कैसे वो हमें कोई भी लोकेशन डालने पर रास्ता बताता है? जवाब: गूगल मैप दरअसल सैटेलाइट और ऊपर से ली गई तस्वीरों के माध्यम से पूरी दुनिया का पूरी डिटेल के साथ मैप बनाता है। यह फोन या कंप्यूटर की स्क्रीन पर देखने में भले ही सिर्फ एक क्लिक पर सबकुछ हो जाता है। लेकिन इसके पीछे तमाम चीजें काम कर रही होती हैं। किसी एक जगह को सटीक ढंग से बताने या वहां तक के रास्ते की जानकारी के लिए गूगल मैप कई जगहों से डाटा लेकर हम तक पहुंचाता है। हालांकि, गूगल ट्रेड सीक्रेट की वजह से ऑफिशियल रूप से यह कभी नहीं बताता कि वह नेविगेशन के लिए किस तकनीकी का इस्तेमाल करता है। लेकिन, गूगल मैप रास्ता या जगह बताने में जाहिर रूप से जिन चीजों की मदद लेता है उनकी लिस्ट ये रही- सवाल 2: अगर कोई नई सड़क या रास्ता बना है या टूट गया है, तो गूगल मैप उसे कैसे अपडेट करता है? जवाब: इसका जवाब मिलता है गूगल मैप के काम करने के तरीके में। असल में देखें तो गूगल मैप के डाटा कलेक्ट करने के दो शुरुआती जरिए हैं। पहला गूगल यूजर्स का रियल टाइम डाटा और स्थानीय प्रशासन। ऐसे में, किसी भी तरह के सड़क के टूटने, बंद होने, पुल के टूटने और बंद होने की जानकारी के लिए वह स्थानीय प्रशासन के वहां बैरिकेडिंग लगाने या टूटने-फूटने की सूचना का सहारा लेता है। इसके अलावा ऐप पर कंट्रीब्यूट नाम से एक फीचर है, जिसमें कोई भी यूजर इस तरह की जानकारी अपडेट कर सकता है। इसके बाद गूगल मैप उसे वेरिफाई कर ऐप पर अपडेट कर देता है। ऐसे में, बरेली में उस पुल के बह जाने की सूचना अगर किसी यूजर ने ऐप पर अपडेट कर दी होती तो भी यह हादसा होने से बच जाता। इससे भी पहले अगर स्थानीय प्रशासन वहां पुल के टूटे होने का कोई बोर्ड या बैरिकेडिंग कर देता तब भी गूगल इस जानकारी को सैटेलाइट तस्वीरों के माध्यम से अपडेट कर देता। लेकिन ऐसा लगता है कि इस मामले में दोनों ही चीजें नहीं हुईं। सवाल 3: अगर कोई नई सड़क या ब्रिज बना है, तो गूगल ऐप पर कैसे अपडेट होता है? जवाब: गूगल मैप अपने ब्लॉग में इसकी जानकारी देता है। किसी जगह पर नए कंस्ट्रक्शन या नई सड़क या नए ब्रिज को लेकर भी जानकारी अपडेट होने की वही प्रक्रिया होती है जो किसी सड़क के टूटने के अपडेट होने की होती है। अगर कोई ब्रिज या फ्लाई ओवर टूट गया है तब या तो कोई यूजर अपडेट कर सकता है या स्थानीय प्रशासन वहां किसी तरह का बोर्ड या बैरिकेडिंग करे। एक बार यह किए जाने पर ही संभव होता है कि गूगल मैप उस जगह को अपने सैटेलाइट इमेज से वेरिफाई करे और ऐप पर अपडेट करे। बरेली के मामले में रोड सेफ्टी एक्सपर्ट का मानना है कि यह गूगल मैप की तरफ से बड़ी लापरवाही है। यह ऐप बड़ी मात्रा में यूजर्स का डाटा इकट्ठा करता है। यह ब्रिज पिछले साल बाढ़ में बह गया था। यानी पिछले एक साल से कोई भी इस रास्ते से होकर नहीं गुजरा। फिर गूगल मैप उस रास्ते को कैसे बता सकता है जिस पर एक साल से कोई गया ही नहीं। सवाल 4: गूगल किन संस्थाओं या एजेंसी से स्थानीय डाटा लेता है? जवाब: गूगल मैप अपने ब्लॉग्स में दावा करता है कि वह नई सड़कों, फ्लाईओवर या ब्रिज के बनने या टूटने की जानकारी स्थानीय प्रशासन से लेता है। लेकिन यह साफ नहीं करता कि भारत सरकार या राज्य सरकार की किन संस्थाओं या एजेंसियों के साथ गूगल का ऐसी जानकारी की लेनदेन के लिए समझौता है। यहां यह भी स्पष्ट नहीं है कि भारत की कोई सरकारी संस्था या एजेंसी गूगल मैप के साथ किसी तरह का डाटा शेयर करती है या नहीं। सवाल 5: क्या बरेली जैसे हादसे पहले भी हुए हैं? जवाब: इसका जवाब है हां। गूगल मैप के भरोसे जा रहे लोगों के साथ इससे पहले भी धोखा होने के मामले सामने आते रहे हैं। गूगल मैप पर पूरी तरह भरोसा कर अपनी मंजिल की तरफ जा रहे लोग या तो मुश्किलों में फंसे या जान तक चली गई। केस 1: इसी साल जून महीने में गूगल मैप के सहारे केरल से कर्नाटक जा रहे दो युवक उत्तरी कासरगोड जिले में एक उफनाती नदी में चले गए। गनीमत ये रही कि उनकी कार एक पेड़ में फंस कर रुक गई और युवकों की जान बच गई। केस 2: अक्टूबर 2023 में केरल में गूगल मैप के भरोसे जा रहे दो डॉक्टरों की परियार नदी में डूबने से मौत हो गई थी। कोच्ची के गोथुरुथ इलाके में भोर में जाते हुए गाड़ी चला रहे 29 साल के अद्वैत से एक टर्न मिस हो गया और उनकी गाड़ी नदी में जा गिरी। केस 3: 2023 में ही इस घटना के एक महीने पहले अमेरिका में गूगल मैप की वजह से एक व्यक्ति की मौत हो गई थी। यूएम नेवी से रिटायर्ड फिलिप पैक्सन अपनी बेटी का 9वां जन्मदिन मनाकर वेन्यू से घर लौट रहे थे। गूगल मैप के दिखाए रास्ते पर वह एक टूटे ब्रिज पर चढ़ गए। जहां से गाड़ी सहित गिरने की वजह से उनकी मौत हो गई। यह मामला भी बरेली जैसा था। केस 4: साल 2021 में महाराष्ट्र में गूगल मैप के बताए गलत रास्ते की वजह से एक कार डैम में जा गिरी थी। यहां भी गाड़ी चला रहे व्यक्ति की डूबने से मौत हो गई थी। ------------------------ ये भी पढ़ें... गूगल मैप-लापरवाह अफसर मेरे पति की मौत के जिम्मेदार:पत्नी बोली- 45 दिन पहले पिता बने थे, बेटे का नाम भी नहीं रख पाए किसी बच्चे का नाम तक न रखा गया हो और उसके सिर से पिता का साया उठ जाए तो मां पर क्या बीत रही होगी। कुछ ऐसा ही दर्द नीचे तस्वीर में दिख रही बेबस शानू का है। हाथ में डेढ़ महीने का बच्चा है। बच्चे का अभी नामकरण भी नहीं हुआ, लेकिन पिता की दर्दनाक मौत हो गई। मौत भी कैसे? बरेली में कार पुल से नीचे गिर गई। अधूरा पुल गूगल मैप पर बिल्कुल सही यानी कि पूरा दिखा रहा था। कोई बैरिकेड्स नहीं लगे थे। पति को खो चुकी शानू गुमसुम बैठी रहती हैं। शादी के 6 साल बाद घर में बच्चे की किलकारी तो गूंजी, लेकिन 45 दिन बाद ही सब तबाह हो गया। पढ़ें पूरी खबर...