ताजमहल की खूबसूरती पर लगा दाग:स्मारक से 600 मीटर दूर यमुना नदी में पूजन सामग्री के लगे जगह-जगह ढेर
कल तक कल-कल बहने वाली जो यमुना ताजमहल की खूबसूरती में चार चांद लगाती थी, आज वही इसमें दाग लगा रही है। पानी के अभाव में नाला बनी यह नदी गंदगी ढो रही है। आस्था की वजह से नियमों की अज्ञानता ने इसे और मैला कर दिया है। इसके बाद भी किसी ने सुध नहीं ली। यमुना से ताजमहल की ताजा ली गई तस्वीरें देखकर आप अंदाजा लगा सकते हैं कि नदी में कितनी गंदगी है। जगह-जगह पूजन सामग्री के ढेर लगे हैं। समय पर निस्तारण न होने के कारण इसमें भी बदबू आने लगी है। सबसे अधिक देवी प्रतिमाओं के विसर्जन के दौरान यमुना में डाली गई पूजन सामग्री एकत्रित है। 12 दिन पहले यहां देवी प्रतिमाओं का विसर्जन हुआ था। तब से अब तक नगर निगम पूजन सामग्री नहीं हटा पाया है। सिल्ट, गार्बेज और गंदगी की सफाई की मांग नगर निगम की लापरवाही का आलम यह है कि इसने भी समय रहते न तो देवी प्रतिमाओं का निस्तारण किया और न ही पूजन सामग्री का। आगरा के सीनियर एडवोकेट केसी जैन की 2019 में सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका की सुनवाई पर इसी साल 22 अप्रैल को अहम फैसला दिया था। इसमें केंद्र और राज्य सरकार के ADA को कड़े शब्दों में आदेश दिया है कि वह यमुना से जल्द से जल्द सिल्ट, गार्बेज और गंदगी की सफाई कराएं। अधिवक्ता केसी जैन का कहना था कि विश्व की सबसे खूबसूरत इमारत में शुमार ताजमहल की मजबूती यमुना नदी के पानी से है। क्योंकि यमुना नदी से ही ताजमहल को मजबूती मिलती है। ताजमहल के ढांचे में इस तरह की लकड़ियों का इस्तेमाल किया है, जो यमुना नदी के पानी से नमी सोख कर अपने आप को मजबूत रखती हैं। यदि ताजमहल के इर्द-गिर्द यमुना में साफ पानी नहीं रहेगा, तो ताजमहल को भी काफी हद तक खतरा है। पूजन सामग्री को रोकना है नदियों की बदहाली को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट नदियों में प्रतिमाओं और पूजन सामग्री के विसर्जन पर पहले ही रोक लगा चुका है। इसके बावजूद, इस ओर किसी का ध्यान नहीं है। खानापूर्ति के लिए विसर्जन के दौरान जरूर कुछ अस्थायी कुंड बना दिए जाते हैं लेकिन नदी में विसर्जन को सख्ती से नहीं रोका जाता। इसी का परिणाम है कि नदियों में पूजन सामग्री और प्रतिमाओं का अंबार लगता जा रहा है।
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