दिल्ली की हवा 12 घंटे में खतरनाक कैटेगिरी में पहुंची:AQI-500 पार, प्रदूषण का लेवल WHO के बताए मानक से 65 गुना ज्यादा
दिल्ली में हर साल की तरह इस साल भी दिवाली के बाद प्रदूषण का लेवल बढ़ने का सिलसिला शुरू हो गया। शनिवार रात 9 बजे दिल्ली का AQI का 327 दर्ज किया गया था, जो रविवार सुबह करीब 6 बजे 507 दर्ज किया गया। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, 9 घंटे में दिल्ली की हवा 'बहुत खराब' कैटेगिरी से स्वास्थ्य के लिए 'खतरनाक' स्थिति में पहुंच गई। हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, दिल्ली में रविवार सुबह PM 2.5 का लेवल भी काफी बढ़ गया है। यह वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) के बताए मानक से 65 गुना ज्यादा पहुंच चुका है। दिवाली की अगले दिन यानी 1 नवंबर को दिल्ली का औसत AQI 337 था। टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, शनिवार सुबह दिल्ली में हवा चलने के कारण एअर क्वालिटी में सुधार देखा गया था, हालांकि शाम होते-होते हवा रुकने के कारण प्रदूषण बढ़ने लगा। शनिवार दोपहर 12 बजे दिल्ली में AQI 290 रिकॉर्ड किया गया, दोपहर 3 बजे तक यह 308 पहुंचा। दिल्ली के आसपास के राज्यों में पराली जलाने के कारण भी दिल्ली की हवा प्रदूषित हो रही है। दावा- दिल्ली में 69% परिवार प्रदूषण से प्रभावित NDTV के मुताबिक, प्राइवेट एजेंसी लोकल सर्कल के सर्वे में दावा किया गया कि दिल्ली-NCR में 69% परिवार प्रदूषण से प्रभावित हैं। शुक्रवार को जारी की गई इस सर्वे रिपोर्ट में 21 हजार लोगों के जवाब थे। इसमें सामने आया कि दिल्ली-NCR में 62% परिवारों में से कम से कम 1 सदस्य की आंखों में जलन है। वहीं, 46% फैमिली में किसी न किसी मेंबर को जुकाम या सांस लेने में तकलीफ (नेजल कंजेशन) और 31% परिवार में एक सदस्य अस्थमा की परेशानी है। पूरी खबर पढ़ें... दिल्ली में बैन के बावजूद चले पटाखे दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (DPCC) ने 1 जनवरी 2025 तक पटाखों को बैन किया था। पटाखे बनाने, उन्हें स्टोर करने, बेचने और इस्तेमाल पर रोक है। इनकी ऑनलाइन डिलीवरी पर भी रोक लगाई गई थी, फिर भी आतिशबाजी हुई। पटाखे के कारण दिल्ली में AQI बढ़ा। दिल्ली में 14 अक्टूबर को ग्रैप-1 लागू किया गया था दिल्ली का एयर क्वॉलिटी इंडेक्स 200 पार होने के बाद 14 अक्टूबर को दिल्ली NCR में ग्रैप-1 लागू कर दिया गया था। इसके तहत होटलों और रेस्तरां में कोयला और जलाऊ लकड़ी के उपयोग पर बैन है। कमीशन ऑफ एयर क्वॉलिटी मैनेजमेंट ने एजेंसियों को पुराने पेट्रोल और डीजल गाड़ियों (बीएस -III पेट्रोल और बीएस-IV डीजल) के संचालन पर सख्त निगरानी के आदेश दिए हैं। आयोग ने एजेंसियों से सड़क बनाने, रेनोवेशन प्रोजेक्ट और मेन्टेनेन्स एक्टिविटीज में एंटी-स्मॉग गन, पानी का छिड़काव और डस्ट रिपेलेंट तकनीकों के उपयोग को बढ़ाने के लिए भी कहा है। AQI क्या है और इसका हाई लेवल खतरा क्यों AQI एक तरह का थर्मामीटर है। बस ये तापमान की जगह प्रदूषण मापने का काम करता है। इस पैमाने के जरिए हवा में मौजूद CO (कार्बन डाइऑक्साइड ), OZONE, (ओजोन) NO2 (नाइट्रोजन डाइऑक्साइड) , PM 2.5 (पार्टिकुलेट मैटर) और PM 10 पोल्यूटेंट्स की मात्रा चेक की जाती है और उसे शून्य से लेकर 500 तक रीडिंग में दर्शाया जाता है। हवा में पॉल्यूटेंट्स की मात्रा जितनी ज्यादा होगी, AQI का स्तर उतना ज्यादा होगा। और जितना ज्यादा AQI, उतनी खतरनाक हवा। वैसे तो 200 से 300 के बीच AQI भी खराब माना जाता है, लेकिन अभी हालात ये हैं कि राजस्थान, हरियाणा दिल्ली और उत्तर प्रदेश के कई शहरों में ये 300 के ऊपर जा चुका है। ये बढ़ता AQI सिर्फ एक नंबर नहीं है। ये आने वाली बीमारियों के खतरे का संकेत भी है। क्या होता है PM, कैसे नापा जाता है PM का अर्थ होता है पर्टिकुलेट मैटर। हवा में जो बेहद छोटे कण यानी पर्टिकुलेट मैटर की पहचान उनके आकार से होती है। 2.5 उसी पर्टिकुलेट मैटर का साइज है, जिसे माइक्रोन में मापा जाता है। इसका मुख्य कारण धुआं है, जहां भी कुछ जलाया जा रहा है तो समझ लीजिए कि वहां से PM2.5 का प्रोडक्शन हो रहा है। इंसान के सिर के बाल की अगले सिरे की साइज 50 से 60 माइक्रोन के बीच होता है। ये उससे भी छोटे 2.5 के होते हैं। मतलब साफ है कि इन्हें खुली आंखों से भी नहीं देखा जा सकता। एयर क्वालिटी अच्छी है या नहीं, ये मापने के लिए PM2.5 और PM10 का लेवल देखा जाता है। हवा में PM2.5 की संख्या 60 और PM10 की संख्या 100 से कम है, मतलब एयर क्वालिटी ठीक है। गैसोलीन, ऑयल, डीजल और लकड़ी जलाने से सबसे ज्यादा PM2.5 पैदा होते हैं। --------------------------- प्रदूषण से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें... पराली जलाने पर सुप्रीम कोर्ट की हरियाणा-पंजाब सरकार को चेतावनी, कहा- सख्त आदेश देने को मजबूर न करें दिल्ली में बढ़ते वायु प्रदूषण के मामले में बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। पंजाब और हरियाणा के चीफ सेक्रेटरी कोर्ट में पेश हुए। सुप्रीम कोर्ट ने गलत जानकारी देने पर पंजाब सरकार को फटकार लगाई। हरियाणा सरकार की कार्रवाई से भी सुप्रीम कोर्ट संतुष्ट नजर नहीं आया। पूरी खबर पढ़ें...
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