दिवाली पर हरियाणवी लड़ियों से जगमगाएगा राम मंदिर:40 हजार लड़ियां अयोध्या भेजीं; 250 महिलाओं के ग्रुप ने बनाईं, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया-USA भी सप्लाई
हरियाणा के करनाल में बनी स्वदेशी लड़ियों की दिवाली पर खूब डिमांड है। ये लड़ियां चीन में बनी लड़ियों को टक्कर दे रही हैं। सेवा भारती से जुड़ी महिलाएं लड़ियां बनाने में इतनी एक्सपर्ट हो चुकी हैं कि महज 4 महिलाएं ही 300 से ज्यादा लड़ियां एक दिन में बना देती हैं। एक लड़ी की कीमत 150 रुपए है। लोकल फॉर वोकल का लक्ष्य लेकर चली संस्था की महिलाओं द्वारा तैयार की गई लड़ियां अयोध्या में राम मंदिर के उद्घाटन में भी शोभा बढ़ा चुकी हैं। इस दिवाली पर करीब 40 हजार लड़ियां राम मंदिर के लिए गई हैं। RSS की सेवा भारती विंग 1980 में अस्तित्व में आई थी। मौजूदा समय में यश देव त्यागी संस्था के अध्यक्ष हैं। महासचिव पंकज क्लेव हैं और कोषाध्यक्ष की जिम्मेदारी कृष्ण विज के पास है। बीते 5 साल से संस्था आत्मनिर्भर भारत, नारी सशक्तिकरण और स्वावलंबी भारत अभियान को बढ़ावा दे रही है। लड़ियों के अलावा यहां पर मल्टी ग्रेन आटा, पापड़, बड़ियां और टोकरी बनती हैं। संस्था के साथ लगभग 14 गांवों की 250 महिलाएं जुड़ी हुई हैं। महिलाएं गरीब परिवारों से हैं और ज्यादा पढ़ी लिखी नहीं है। अगर आमदनी की बात की जाए तो महिलाओं को कमीशन बेस पर मेहनताना मिलता है, जिससे उनके परिवार का गुजारा हो जाता है। ममता बोली- अच्छी आमदनी हो जाती है महिला ममता ने बताया कि मैं 4 साल से संस्था के साथ जुड़कर काम कर रही हूं। मैं लड़ियों में सर्किट लगाने का काम करती हूं। मुझे यहां से अच्छी आमदनी हो जाती है। महिलाएं आगे बढ़ रही हैं और महिलाओं को भी चाहिए कि वे आत्मनिर्भर बने। यहां बहुत से गांव की महिलाएं काम करती हैं। यहां पर लड़ियों के अलावा दीये भी बनाए जाते हैं, इसके अलावा सिलाई सेंटर भी है। यहां महिलाओं को अपने पैरों पर खड़े होने की ट्रेनिंग दी जाती है। इतना ही नहीं, लड़कियों के लिए कंप्यूटर क्लासेस भी लगती हैं। महिलाएं लड़ियां बनाने के काम में इतनी निपुण हो चुकी हैं कि यहां पर एक दिन में 300 लड़ियां भी बना लेती हैं। 45 सालों से काम कर रही है संस्था संस्था के प्रांत उपाध्यक्ष रोशन लाल ने बताया कि सेवा भारती संस्था गरीब समाज के उत्थान के लिए पिछले 45 वर्षों से काम कर रही है। लड़ियों के प्रोजेक्ट से 13-14 गांवों से लगभग 250 परिवार जुड़े हुए हैं और उन्हें गर्व भी महसूस होता है कि हम स्वदेशी अभियान से जुड़े हुए हैं। यहां पर 15 साल से लेकर 70 साल तक की महिलाएं काम कर रही हैं। इसमें ज्यादा पढ़ी लिखी महिलाएं नहीं है। जिस काम को करने से हम डरते हैं, उस काम को महिलाएं अच्छी तरह से कर रही हैं। लड़ियां बनाने के लिए 2 या 3 घंटे की ट्रेनिंग दी जाती है, उसके बाद वे लड़ी बनाने में सक्षम हो जाती हैं। अहमदाबाद, दिल्ली और गाजियाबाद से आता है कच्चा माल रोशन लाल ने बताया कि संस्था 1980 से कार्य कर रही है। करनाल में आत्मनिर्भर भारत अभियान शुरू किए हुए 5 साल हो चुके हैं। पहले साल जो लड़ियों का लोट गया था, उसके बाद आज तक किसी तरह की शिकायत नहीं आई। यहां पर हाथों से ही लड़ियों का काम किया जाता है। इसमें मशीनों का यूज नहीं होता। लड़ियों के लिए कच्चा माल अहमदाबाद, दिल्ली और गाजियाबाद से लिया जाता है। देश-विदेश में जा रहीं लड़ियां रोशन लाल ने बताया कि यहां से अयोध्या के राम मंदिर के लिए भी लड़ियां गई हैं। राम मंदिर कमेटी को पता है कि करनाल में लड़ियां बनती हैं। उन्होंने हमसे संपर्क किया था। 22 जनवरी को जब राम मंदिर का उद्घाटन हुआ था, तब भी यहां से लड़ियां गई थीं। दरअसल, हमारे एक कार्यकर्ता ने राम मंदिर में लड़ियां देखी थीं। उनकी क्वालिटी ठीक नहीं थी। हमारे कार्यकर्ता ने राम मंदिर प्रबंधन कमेटी के कार्यकर्ता से बात की और स्वदेशी लड़ियों के बारे में बताया और सैंपल दिखाया। जिसके बाद राम मंदिर से हमें लड़ियों का ऑर्डर मिल गया। अब करनाल से भोपाल, जम्मू कश्मीर और अन्य राज्यों में भी लड़ियां गई हैं। यहां से लोग अपने रिश्तेदारों को कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और यूएसए में भी लड़ियां भेज रहे हैं। संस्था के प्रोग्राम में स्टॉल लगाकर करते हैं मार्केटिंग रोशन लाल ने बताया कि यह कोई व्यापार नहीं है। यह तो केवल स्वदेशी अपनाओ अभियान है, नारी सशक्तिकरण अभियान और मेरा स्वावलंबी भारत अभियान है। इन अभियान को एक ही प्रकल्प से बल मिलता है। मार्केटिंग की बात करें तो करनाल में सेवा भारती का हेड ऑफिस है और हरियाणा में अलग-अलग जगहों पर हमारी समितियां है। उन समितियों के कार्यकर्ता समाज में स्वदेशी के प्रति सजगता लाते हैं। इसके साथ ही संस्था के कार्यक्रमों के दौरान भी स्टॉल लगाकर मार्केटिंग की जाती है। लोगों में स्वदेशी के प्रति जागरूकता आई है और यही संस्था के लिए सबसे बड़ा सम्मान है।
What's Your Reaction?