दीपदान कर भर आईं अपनों की आंखें:अमरोहा के तिगरी गंगा मेले में दिखा गमगीन माहौल, पूर्वजों को किया याद

कार्तिक शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी पर अमरोहा के तिगरी गंगा धाम में एक अद्भुत नज़ारा देखने को मिला। सूर्यास्त होते ही घाट पर हज़ारों श्रद्धालु जुट गए और दीपदान कर सूने घाटों को रोशनी से सराबोर कर दिया। ऐसा प्रतीत हुआ मानो आसमान के टिमटिमाते तारे गंगा के घाटों पर उतर आए हों। इस दीपमालिका ने घाटों को दिव्यता से भर दिया, जो देर रात तक बरकरार रही। गुरुवार की शाम गंगा तट पर आस्था का सैलाब उमड़ा। हज़ारों श्रद्धालुओं ने नम आंखों से अपने पूर्वजों और दिवंगत आत्माओं की शांति के लिए दीप जलाए। दीपदान के इस भावुक पल में अपने बिछड़े प्रियजनों की यादें ताजा हो उठीं, जिससे कई लोगों की आंखें छलक आईं। घाट पर श्रद्धालुओं का हुजूम देखकर माहौल गमगीन हो गया। दीपदान की परंपरा निभाने के लिए दूर-दूर से लोग यहां पहुंचे। हालांकि, कुछ श्रद्धालु रास्ते में ट्रैफिक जाम के कारण सूर्यास्त के बाद घाट पर पहुंचे, फिर भी उन्होंने पूरे श्रद्धाभाव से दीपदान किया। दीपदान के बाद पुरोहितों को वस्त्र, अन्न, और दक्षिणा का दान भी किया गया। घाट पर सफाई और रोशनी की विशेष व्यवस्था रही, जिससे श्रद्धालुओं को किसी असुविधा का सामना नहीं करना पड़ा। पूजन सामग्री और दीपक घाटों पर ही उपलब्ध थे, जिससे लोगों को आसानी हुई। मान्यता है कि महाभारत युद्ध में मारे गए हज़ारों योद्धाओं की आत्मा की शांति के लिए भगवान श्रीकृष्ण ने पहली बार पांडवों की उपस्थिति में यहां दीपदान किया था। तभी से यह परंपरा चली आ रही है। आज भी तिगरी गंगा धाम में दिवंगत आत्माओं की शांति के लिए लोग पूरे श्रद्धाभाव से दीपदान करते हैं।

Nov 15, 2024 - 08:00
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दीपदान कर भर आईं अपनों की आंखें:अमरोहा के तिगरी गंगा मेले में दिखा गमगीन माहौल, पूर्वजों को किया याद
कार्तिक शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी पर अमरोहा के तिगरी गंगा धाम में एक अद्भुत नज़ारा देखने को मिला। सूर्यास्त होते ही घाट पर हज़ारों श्रद्धालु जुट गए और दीपदान कर सूने घाटों को रोशनी से सराबोर कर दिया। ऐसा प्रतीत हुआ मानो आसमान के टिमटिमाते तारे गंगा के घाटों पर उतर आए हों। इस दीपमालिका ने घाटों को दिव्यता से भर दिया, जो देर रात तक बरकरार रही। गुरुवार की शाम गंगा तट पर आस्था का सैलाब उमड़ा। हज़ारों श्रद्धालुओं ने नम आंखों से अपने पूर्वजों और दिवंगत आत्माओं की शांति के लिए दीप जलाए। दीपदान के इस भावुक पल में अपने बिछड़े प्रियजनों की यादें ताजा हो उठीं, जिससे कई लोगों की आंखें छलक आईं। घाट पर श्रद्धालुओं का हुजूम देखकर माहौल गमगीन हो गया। दीपदान की परंपरा निभाने के लिए दूर-दूर से लोग यहां पहुंचे। हालांकि, कुछ श्रद्धालु रास्ते में ट्रैफिक जाम के कारण सूर्यास्त के बाद घाट पर पहुंचे, फिर भी उन्होंने पूरे श्रद्धाभाव से दीपदान किया। दीपदान के बाद पुरोहितों को वस्त्र, अन्न, और दक्षिणा का दान भी किया गया। घाट पर सफाई और रोशनी की विशेष व्यवस्था रही, जिससे श्रद्धालुओं को किसी असुविधा का सामना नहीं करना पड़ा। पूजन सामग्री और दीपक घाटों पर ही उपलब्ध थे, जिससे लोगों को आसानी हुई। मान्यता है कि महाभारत युद्ध में मारे गए हज़ारों योद्धाओं की आत्मा की शांति के लिए भगवान श्रीकृष्ण ने पहली बार पांडवों की उपस्थिति में यहां दीपदान किया था। तभी से यह परंपरा चली आ रही है। आज भी तिगरी गंगा धाम में दिवंगत आत्माओं की शांति के लिए लोग पूरे श्रद्धाभाव से दीपदान करते हैं।

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