दीपावली पर गुलाबी मीनाकारी के गणेश जी की डिमांड:वाराणसी के आर्टिजन को 25 करोड़ का ऑर्डर, 2015 में मिला था जीआई टैग

दीपावली के त्योहार को लेकर बाजार सज चुके हैं। वर्षों से इस त्योहार पर उपहार देने की परंपरा रही है। ऐसे में लोग पहले से इसकी तैयारियां शुरू कर देते हैं। इसी क्रम में वाराणसी के जीआई प्रोडक्ट गुलाबी मानकारी को कारपोरेट सेक्टर से करोड़ों का ऑर्डर मिला है। गुलाबी मीनाकारी के प्रसिद्ध और जीआई टैग प्राप्त अवॉर्डी आर्टिजन कुंज बिहारी सिंह के मानें तो इस वर्ष 25 करोड़ का ऑर्डर मिला है। इसमें गणेश जी की प्रतिमा और गोल्ड, सिल्वर और अनकट डायमंड की ज्वेलरी भी डिमांड में है। दीपावली पर कैसी डिमांड है? गुलाबी मीनाकारी की खासियत क्या है? इसे कैसे तैयार किया जाता है? यह कितनी पुरानी है ? इसके अलावा इस लुप्त हो रही कला को कैसे संवारा जा रहा है ? साथ ही इस कला से महिलाएं अब कैसे जुड़ रही हैं? इन सब पर दैनिक भास्कर ने नेशनल अवॉर्डी कुंज बिहारी सिंह से बात की और दीपावली पर मिले ऑर्डर और अन्य सवालों को के जवाब जानें, पेश है खास रिपोर्ट.... सबसे पहले जानिए दीपावली पर कैसी है गुलाबी मीनाकारी के आइटम्स की डिमांड और कितने का है ऑर्डर ? दीपावली के लिए चार महीने पहले मिला था ऑर्डर नेशनल अवॉर्डी और गुलाबी मीनाकारी के आर्टिजन कुंज बिहारी सिंह ने बताया- दीपावली के त्योहार में लोग एक दूसरे को उपहार देते हैं। ऐसे में कॉर्पोरेट सेक्टर में भी एम्प्लाई और क्लाइंट को तोहफे दिए जाते हैं। ऐसे में पहले दुकानदारों से तोहफे कंपनियां भारतीय हस्तकला को तरजीह दे रहीं हैं। पिछले कई वर्षों से गुलाबी मीनाकारी के प्रोडक्टस का बल्क में हमें ऑर्डर मिल रहा है। हमें इस वर्ष भी करोड़ों का ऑर्डर मिला है। चार महीने से हम लोग इस ऑर्डर को बनाने में लगे हैं। प्रधानमंत्री के लोकला फॉर वोकल से काफी लाभ मिला है। गणेश जी की प्रतिमा की सबसे अधिक डिमांड कुंज बिहारी सिंह ने बताया- पूजा करने के लिए लोग लक्ष्मी-गणेश का सेट लेते हैं। पर किसी को लक्ष्मी जी गिफ्ट नहीं की जाती हैं। ऐसे में दीपावली में शुभ 6 इंच के गणेश प्रतिमा की डिमांड सबसे ज्यादा है। जिसके लगभग 2 हजार से अधिक पीस का ऑर्डर मिला है। इसे बनाने में चार महीने से 500 आर्टिजन लगे हुए हैं। 4 से 5 दिन में काम बांटकर 100 पीस तैयार किया जाता है। ज्वेलरी और मोर की भी हजारों पीस की डिमांड कुंज बिहारी सिंह ने बताया- गणेश प्रतिमा के अलावा ज्वेलरी की डिमांड सर्वाधिक है। इसमें गोल्ड और अनकट डायमंड के नेकलेस, कान के टॉप्स और अंगूठी की डिमांड है। इसमें नेकलेस की कीमत 3 लाख तक की है। तो अंगूठी 50 हजार और टॉप्स 30 हजार के हैं। इसमें हजारों पीस नेकलेस और अंगूठी गए हैं। इसके अलावा शंख और कछुआ का भी ऑर्डर है। वाराणसी से मिला है 5 करोड़ का ऑर्डर कुंज बिहारी सिंह के अनुसार पहले गुलाबी मीनाकारी को दिल्ली, मुंबई के क्लाइंट ही खरीदते थे। पर अब इस मीनाकारी के आइटम का वाराणसी के कॉर्पोरेट सेक्टर से ऑर्डर आने लगा है। इस वर्ष वाराणसी से गणेश प्रतिमा और मोर का मिलाकर कुल 5 करोड़ का ऑर्डर मिला है। वाराणसी का सभी ऑर्डर सप्लाई कराया जा चुका है। ऑर्डर आज भी आ रहे हैं पर उनका पूरा कर पाना अब संभव नहीं है। टोटल 25 करोड़ का आया है ऑर्डर गुलाबी मीनाकारी की अद्भुत कला से प्रभावित होकर इस वर्ष 25 करोड़ का ऑर्डर मिला है। कुंज बिहारी बताते हैं- दिल्ली, मुंबई सहित कई राज्यों के बिजनेसमैन और कंपनियों ने इस वर्ष गिफ्ट आइटम के रूप में गुलाबी मीनाकारी के गणेश जी और मोर का ऑर्डर दिया है। जिससे व्यापार को नई दिशा मिली है। अब जानिए कितनी पुरानी है ये कला और क्या है इसकी खासियत ? और कैसे होती है तैयार?....गुलाबी मानकारी का बेस है चांदी और सोना गुलाबी मीनाकारी का बेस मेटेरियल चांदी और सोना होता है। कुंज बिहारी बताते हैं - सोना और चांदी इसका बेस है। इसके ऊपर जो कलर होता है वो मेटल ऑक्साइड से बनाता है। इसे 850 सेंटीग्रेट पर गर्म करते हैं। इसके 7 स्टेप होते हैं। पहला डिजाइन होता है। दूसरा गढत होता है। तीसरा मीनाकारी फिर पेंटिंग फिर जड़ाई और लास्ट में इसपर गुजाई और फुहाही होती है। खत्म हो रहे काम को महिलाओं ने आगे बढ़ाया कुंज बिहारी के अनुसार आज से दस साल पहले जब आर्थिक मंदी आयी थी। उस समय गुलाबी मीनकारी के उद्योग खत्म होने के कगार पर आ गयी थी। इस कार्य में लगे सारे पुरुष इस कार्य को छोड़कर अन्य कार्य की तरफ से चले गए थे। इसमें बस 30-35 आर्टिजन हो रह गए थे। जो उस कला को बचाए हुए थे और इसमें कार्य कर रहे थे। इसी बीच 2014-15 में गुरू-शिष्य परंपरा कार्यक्रम के तहत इसे फायदा हुआ और इस कार्य से महिलाएं जुड़ी। जीआई टैग मिलने के बाद गुलाबी मीनाकारी को मिल गए पंख... 2015 में जीआई टैग मिलने के बाद बदल गई तस्वीर जीआई टैग एक्सपर्ट पद्मश्री डॉ. रजनीकांत ने बताया कि साल 2014 में एनडीए सरकार बनने के बाद सरकार ने आर्टिजंस के ऊपर ध्यान दिया। 2015 में बनारसी गुलाबी मीनाकारी को जीआई टैग मिला। यह कला स्थापित होना शुरू हो गई। सरकार ने इसकी ब्रांडिंग की और इसे बाजार दिलाया। आज हर साल करोड़ों का टर्न ओवर इस कला से आर्टिजन कमा रहे हैं। मोदी सरकार ने इस कला के लिए बाजार मुहैया कराया और आज इसमें दोबारा से रौनक लौट आई है। मिला बाजार, प्रधानमंत्री और सीएम बने ब्रांड ऐंबैस्डर रजनीकांत ने बताया कि इस काम को साल 2015 के बाद वैश्विक पटल पर जो पहचान मिली है उससे हमारा उद्योग दोगुनी स्पीड से बढ़ा है। इस गुलाबी मीनाकारी को प्रधानमंत्री और सीएम ने विश्व पटल पर पहचान दिलाई है। भारत आने पर विदेशी मेहमानों को गुलाबी मीनाकारी से बने राष्ट्रीय पक्षी मोर देकर। इस कला का महत्व बताकर प्रधानमंत्री ने स्वयं इसका बाजार सेट किया है। जी-20 सम्मिट के दौरान जो बाइडेन को पीएम ने गुलाबी मीनाकारी का उपहार दिया था।

Oct 25, 2024 - 07:20
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दीपावली पर गुलाबी मीनाकारी के गणेश जी की डिमांड:वाराणसी के आर्टिजन को 25 करोड़ का ऑर्डर, 2015 में मिला था जीआई टैग
दीपावली के त्योहार को लेकर बाजार सज चुके हैं। वर्षों से इस त्योहार पर उपहार देने की परंपरा रही है। ऐसे में लोग पहले से इसकी तैयारियां शुरू कर देते हैं। इसी क्रम में वाराणसी के जीआई प्रोडक्ट गुलाबी मानकारी को कारपोरेट सेक्टर से करोड़ों का ऑर्डर मिला है। गुलाबी मीनाकारी के प्रसिद्ध और जीआई टैग प्राप्त अवॉर्डी आर्टिजन कुंज बिहारी सिंह के मानें तो इस वर्ष 25 करोड़ का ऑर्डर मिला है। इसमें गणेश जी की प्रतिमा और गोल्ड, सिल्वर और अनकट डायमंड की ज्वेलरी भी डिमांड में है। दीपावली पर कैसी डिमांड है? गुलाबी मीनाकारी की खासियत क्या है? इसे कैसे तैयार किया जाता है? यह कितनी पुरानी है ? इसके अलावा इस लुप्त हो रही कला को कैसे संवारा जा रहा है ? साथ ही इस कला से महिलाएं अब कैसे जुड़ रही हैं? इन सब पर दैनिक भास्कर ने नेशनल अवॉर्डी कुंज बिहारी सिंह से बात की और दीपावली पर मिले ऑर्डर और अन्य सवालों को के जवाब जानें, पेश है खास रिपोर्ट.... सबसे पहले जानिए दीपावली पर कैसी है गुलाबी मीनाकारी के आइटम्स की डिमांड और कितने का है ऑर्डर ? दीपावली के लिए चार महीने पहले मिला था ऑर्डर नेशनल अवॉर्डी और गुलाबी मीनाकारी के आर्टिजन कुंज बिहारी सिंह ने बताया- दीपावली के त्योहार में लोग एक दूसरे को उपहार देते हैं। ऐसे में कॉर्पोरेट सेक्टर में भी एम्प्लाई और क्लाइंट को तोहफे दिए जाते हैं। ऐसे में पहले दुकानदारों से तोहफे कंपनियां भारतीय हस्तकला को तरजीह दे रहीं हैं। पिछले कई वर्षों से गुलाबी मीनाकारी के प्रोडक्टस का बल्क में हमें ऑर्डर मिल रहा है। हमें इस वर्ष भी करोड़ों का ऑर्डर मिला है। चार महीने से हम लोग इस ऑर्डर को बनाने में लगे हैं। प्रधानमंत्री के लोकला फॉर वोकल से काफी लाभ मिला है। गणेश जी की प्रतिमा की सबसे अधिक डिमांड कुंज बिहारी सिंह ने बताया- पूजा करने के लिए लोग लक्ष्मी-गणेश का सेट लेते हैं। पर किसी को लक्ष्मी जी गिफ्ट नहीं की जाती हैं। ऐसे में दीपावली में शुभ 6 इंच के गणेश प्रतिमा की डिमांड सबसे ज्यादा है। जिसके लगभग 2 हजार से अधिक पीस का ऑर्डर मिला है। इसे बनाने में चार महीने से 500 आर्टिजन लगे हुए हैं। 4 से 5 दिन में काम बांटकर 100 पीस तैयार किया जाता है। ज्वेलरी और मोर की भी हजारों पीस की डिमांड कुंज बिहारी सिंह ने बताया- गणेश प्रतिमा के अलावा ज्वेलरी की डिमांड सर्वाधिक है। इसमें गोल्ड और अनकट डायमंड के नेकलेस, कान के टॉप्स और अंगूठी की डिमांड है। इसमें नेकलेस की कीमत 3 लाख तक की है। तो अंगूठी 50 हजार और टॉप्स 30 हजार के हैं। इसमें हजारों पीस नेकलेस और अंगूठी गए हैं। इसके अलावा शंख और कछुआ का भी ऑर्डर है। वाराणसी से मिला है 5 करोड़ का ऑर्डर कुंज बिहारी सिंह के अनुसार पहले गुलाबी मीनाकारी को दिल्ली, मुंबई के क्लाइंट ही खरीदते थे। पर अब इस मीनाकारी के आइटम का वाराणसी के कॉर्पोरेट सेक्टर से ऑर्डर आने लगा है। इस वर्ष वाराणसी से गणेश प्रतिमा और मोर का मिलाकर कुल 5 करोड़ का ऑर्डर मिला है। वाराणसी का सभी ऑर्डर सप्लाई कराया जा चुका है। ऑर्डर आज भी आ रहे हैं पर उनका पूरा कर पाना अब संभव नहीं है। टोटल 25 करोड़ का आया है ऑर्डर गुलाबी मीनाकारी की अद्भुत कला से प्रभावित होकर इस वर्ष 25 करोड़ का ऑर्डर मिला है। कुंज बिहारी बताते हैं- दिल्ली, मुंबई सहित कई राज्यों के बिजनेसमैन और कंपनियों ने इस वर्ष गिफ्ट आइटम के रूप में गुलाबी मीनाकारी के गणेश जी और मोर का ऑर्डर दिया है। जिससे व्यापार को नई दिशा मिली है। अब जानिए कितनी पुरानी है ये कला और क्या है इसकी खासियत ? और कैसे होती है तैयार?....गुलाबी मानकारी का बेस है चांदी और सोना गुलाबी मीनाकारी का बेस मेटेरियल चांदी और सोना होता है। कुंज बिहारी बताते हैं - सोना और चांदी इसका बेस है। इसके ऊपर जो कलर होता है वो मेटल ऑक्साइड से बनाता है। इसे 850 सेंटीग्रेट पर गर्म करते हैं। इसके 7 स्टेप होते हैं। पहला डिजाइन होता है। दूसरा गढत होता है। तीसरा मीनाकारी फिर पेंटिंग फिर जड़ाई और लास्ट में इसपर गुजाई और फुहाही होती है। खत्म हो रहे काम को महिलाओं ने आगे बढ़ाया कुंज बिहारी के अनुसार आज से दस साल पहले जब आर्थिक मंदी आयी थी। उस समय गुलाबी मीनकारी के उद्योग खत्म होने के कगार पर आ गयी थी। इस कार्य में लगे सारे पुरुष इस कार्य को छोड़कर अन्य कार्य की तरफ से चले गए थे। इसमें बस 30-35 आर्टिजन हो रह गए थे। जो उस कला को बचाए हुए थे और इसमें कार्य कर रहे थे। इसी बीच 2014-15 में गुरू-शिष्य परंपरा कार्यक्रम के तहत इसे फायदा हुआ और इस कार्य से महिलाएं जुड़ी। जीआई टैग मिलने के बाद गुलाबी मीनाकारी को मिल गए पंख... 2015 में जीआई टैग मिलने के बाद बदल गई तस्वीर जीआई टैग एक्सपर्ट पद्मश्री डॉ. रजनीकांत ने बताया कि साल 2014 में एनडीए सरकार बनने के बाद सरकार ने आर्टिजंस के ऊपर ध्यान दिया। 2015 में बनारसी गुलाबी मीनाकारी को जीआई टैग मिला। यह कला स्थापित होना शुरू हो गई। सरकार ने इसकी ब्रांडिंग की और इसे बाजार दिलाया। आज हर साल करोड़ों का टर्न ओवर इस कला से आर्टिजन कमा रहे हैं। मोदी सरकार ने इस कला के लिए बाजार मुहैया कराया और आज इसमें दोबारा से रौनक लौट आई है। मिला बाजार, प्रधानमंत्री और सीएम बने ब्रांड ऐंबैस्डर रजनीकांत ने बताया कि इस काम को साल 2015 के बाद वैश्विक पटल पर जो पहचान मिली है उससे हमारा उद्योग दोगुनी स्पीड से बढ़ा है। इस गुलाबी मीनाकारी को प्रधानमंत्री और सीएम ने विश्व पटल पर पहचान दिलाई है। भारत आने पर विदेशी मेहमानों को गुलाबी मीनाकारी से बने राष्ट्रीय पक्षी मोर देकर। इस कला का महत्व बताकर प्रधानमंत्री ने स्वयं इसका बाजार सेट किया है। जी-20 सम्मिट के दौरान जो बाइडेन को पीएम ने गुलाबी मीनाकारी का उपहार दिया था।

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