दीवाली के दीये बनाने में लगे दिव्यांगजन:गाजीपुर में समर्पण संस्था की आत्मनिर्भर बनाने की कवायद, स्टॉल लगाकर होगी बिक्री

दिव्यांगजन अब दिवाली के अवसर पर अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन कर आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रहे हैं। स्थानीय सामाजिक संस्था "समर्पण" के माध्यम से दिव्यांग बच्चे दीये, वॉल हैंगिंग और अन्य सामान तैयार कर रहे हैं। इनमें से कई बच्चे मूक-बधिर हैं, जबकि कुछ मानसिक रूप से विकलांग हैं, लेकिन उनके बनाए दीयों की सुंदरता देखकर कोई नहीं कह सकता कि ये दिव्यांगों द्वारा बनाए गए हैं। समर्पण संस्था दिव्यांग महिला सविता सिंह द्वारा संचालित की जाती है। इसका उद्देश्य इन बच्चों को शिक्षा और कौशल प्रदान करना है ताकि वे आत्मनिर्भर बन सकें और समाज में सम्मान के साथ जी सकें। दिवाली से तीन दिन पहले, विकास भवन परिसर में स्टॉल लगाकर उनके द्वारा बनाए गए सामानों की बिक्री की जाएगी, जिसमें स्थानीय अधिकारी और अन्य लोग खरीदारी करने आएंगे। दिव्यांग बच्चे दिन-रात मेहनत कर सुंदर दीये और अन्य सजावटी सामान बना रहे हैं। उनकी अध्यापिकाएं, विशेषकर रागिनी, उन्हें प्रेरित कर रही हैं और उनकी मेहनत की सराहना कर रही हैं। रागिनी ने कहा, "हम इन बच्चों का हौसला बढ़ाना चाहते हैं, ताकि वे अपने आपको कमजोर न समझें। उन्हें अपने गुणों पर विश्वास हो और वे अपनी आजीविका चला सकें।" चाइनीज सामान को देंगे मात इस पहल से न केवल दिव्यांगजन को आर्थिक मजबूती मिलेगी, बल्कि यह समाज में उनके प्रति सकारात्मक बदलाव लाने का भी एक महत्वपूर्ण कदम है। दीपावली पर ये दीये चाइनीज सामानों को मात देने का दम रखते हैं और आत्मनिर्भरता का एक प्रेरणादायक उदाहरण पेश करते हैं।

Oct 26, 2024 - 12:25
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दीवाली के दीये बनाने में लगे दिव्यांगजन:गाजीपुर में समर्पण संस्था की आत्मनिर्भर बनाने की कवायद, स्टॉल लगाकर होगी बिक्री
दिव्यांगजन अब दिवाली के अवसर पर अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन कर आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रहे हैं। स्थानीय सामाजिक संस्था "समर्पण" के माध्यम से दिव्यांग बच्चे दीये, वॉल हैंगिंग और अन्य सामान तैयार कर रहे हैं। इनमें से कई बच्चे मूक-बधिर हैं, जबकि कुछ मानसिक रूप से विकलांग हैं, लेकिन उनके बनाए दीयों की सुंदरता देखकर कोई नहीं कह सकता कि ये दिव्यांगों द्वारा बनाए गए हैं। समर्पण संस्था दिव्यांग महिला सविता सिंह द्वारा संचालित की जाती है। इसका उद्देश्य इन बच्चों को शिक्षा और कौशल प्रदान करना है ताकि वे आत्मनिर्भर बन सकें और समाज में सम्मान के साथ जी सकें। दिवाली से तीन दिन पहले, विकास भवन परिसर में स्टॉल लगाकर उनके द्वारा बनाए गए सामानों की बिक्री की जाएगी, जिसमें स्थानीय अधिकारी और अन्य लोग खरीदारी करने आएंगे। दिव्यांग बच्चे दिन-रात मेहनत कर सुंदर दीये और अन्य सजावटी सामान बना रहे हैं। उनकी अध्यापिकाएं, विशेषकर रागिनी, उन्हें प्रेरित कर रही हैं और उनकी मेहनत की सराहना कर रही हैं। रागिनी ने कहा, "हम इन बच्चों का हौसला बढ़ाना चाहते हैं, ताकि वे अपने आपको कमजोर न समझें। उन्हें अपने गुणों पर विश्वास हो और वे अपनी आजीविका चला सकें।" चाइनीज सामान को देंगे मात इस पहल से न केवल दिव्यांगजन को आर्थिक मजबूती मिलेगी, बल्कि यह समाज में उनके प्रति सकारात्मक बदलाव लाने का भी एक महत्वपूर्ण कदम है। दीपावली पर ये दीये चाइनीज सामानों को मात देने का दम रखते हैं और आत्मनिर्भरता का एक प्रेरणादायक उदाहरण पेश करते हैं।

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