धन्वंतरि की अष्टधातु की प्रतिमा के आज होंगे दर्शन:सोने-चांदी के सिंहासन पर विराजेंगे; धन्वंतरि परिवार ने कहा - ये हमारी 325 साल पुरानी परंपरा

आयुर्वेद के जनक भगवान धन्वंतरि की जयंती मंगलवार को है। खास दिन काशी में अष्टधातु की धन्वंतरि की प्रतिमा के दर्शन हो सकेंगे। सोने और चांदी के सिहासन पर आज भगवान धन्वंतरि विराजमान हो रहे हैं। मूर्ति तो अन्नकूट त्योहार तक रखी जाएगी, मगर दर्शन सिर्फ 5 घंटे ही हो सकेंगे। दैनिक भास्कर ने काशी के प्रसिद्ध राजवैद्य रहे स्व. पंडित शिव कुमार शास्त्री के बेटे समीर कुमार शास्त्री से बातचीत की। उन्होंने कहा- हमारा परिवार काशी नरेश का राज वैद्य रहा है। हमारे पूर्वजों द्वारा यहां लाई गए अष्टधातु की भगवान धन्वंतरि की प्रतिमा है, जोकि प्रामाणिक है। इसके अलावा पूरे देश में कहीं अष्टधातु की प्रामाणिक प्रतिमा कहीं नहीं है। उन्होंने कहा- आयुर्वेद के जनक धन्वंतरि के इस स्थल पर हमारी दसवीं पीढ़ी वैध का कार्य कर रही है। आयुर्वेद की दवाएं लोगों को देकर उनका इलाज किया जा रहा है। हमारे यहां मुलायम सिंह, अमर सिंह, राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद जैसे लोगों का इलाज किया गया है और उन्हें आराम मिला है। पढ़िए रिपोर्ट... आज के दिन अमृत हाथ में लेकर अवतरित हुए थे धन्वंतरि आयुर्वेद के जनक भगवान धन्वंतरि की आज जयंती है। पुराणों के अनुसार, समुद्र मंथन के दौरान अमृत हाथ में कलश लेकर भगवान धन्वंतरि अवतरित हुए थे। भगवान धन्‍वंतरि का काशी से अटूट नाता अनादि काल से रहा है। भगवान विष्णु के अवतार के रूप में धनतेरस के खास अवसर पर उनकी विशेष पूजा होती है। सुड़िया स्थित धन्वंतरि निवास पर इसकी तैयारियां चल रही हैं। काशी का यह मंदिर ऐसा है जो सोने और चांदी से बना है और इसमें साल में एक बार अष्टधातु की भगवान धन्वंतरि की प्रतिमा स्थापित की जाती है। पूर्वज कन्हैया लाल ने शुरू की थी 325 वर्ष पहले परंपरा समीर कुमार शास्त्री ने बताया- ये परंपरा है आयुर्वेद चिकित्सा की। 325 साल से हमारे परिवार से ही यह परंपरा शुरू हुई। भगवान धन्वंतरि का विग्रह स्वरुप है ऐसी मान्यता है कि इसका कोई दूसरा प्रामाणिक स्थान नहीं है। लगभग 325 वर्षों पहले हमारे पूर्वज कन्हैया लाल जी ने इस परंपरा को शुरू किया। धीरे-धीरे परिवार के अन्य लोगों ने इस परंपरा को आगे बढ़ाया। यह परंपरा अब हमारी 10वीं पीढ़ी निभा रही है। मान्यता है काशी में जो यह स्थान है यह अकेला है। जानकारी में भगवान धन्वंतरि की कहीं भी दूसरी प्रामाणिक प्रतिमा नहीं है। हमारी 10वीं पीढ़ी इस परंपरा को बढ़ा रही है आगे वैध समीर कुमार शास्त्री ने बताया- जब से महाराज बनारस का इतिहास रहा है। तब से हमारा इतिहास है। हमारे पास इसका प्रमाण है। हमारे बाद हमारी जो 10वीं पीढ़ी है। हमारे लड़के-भतीजे भी आयुर्वेद से जुड़े हुए हैं। वो भी इस पद्वति को नवीन चिकित्सा पद्वति के साथ जुड़कर इसे आगे बढ़ा रहे हैं। मूल रूप से आयुर्वेद का जो पारंपरिक स्वरुप है। औषधियों का निर्माण हो रहा है। भगवान का स्वरुप अलौकिक है भगवान धन्वंतरि समुद्र मंथन से निकले थे। उनका जन्म कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी मनाया जाता है। ये चिकित्सा आयुर्वेद के देवता हैं। हमारे यहां उनकी अष्टधातु की मूर्ति है। यह सोने और चांदी के सिंहासन है जो कई किलो सोना-चांदी बनाकर बनाया गया है। कितना पुराना है इसका अंदाजा इसकी नक्काशी और बनावट से लगाया जा सकता है। यह प्राचीन हस्तकला का नमूना है और प्राचीन कारीगरी है। भगवान के विग्रह की बात करें तो उसका स्वरुप अद्भुत और अलौकिक है। प्रसाद के लिए लगती है भीड़, आयुर्वेदिक चीजों का लगता है भोग समीर शास्त्री बताते हैं - धनतेरस के दिन यहां आस्थावानों का हुजूम आता है। जो यहां अमृत के रूप में, चिकित्सा के रूप में यहां का प्रसाद ग्रहण करते हैं। हम दोपहर बाद से भगवान का श्रृंगार किया जाता है। इसके बाद शाम 5 बजे से 10 बजे रात तक भगवान के आम दर्शन होंगे। अन्नकूट के दिन भगवान को आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों और प्रसाद का भोग लगता है। फिर साल भर इन्ही जड़ी-बूटियों को दवाओं में इस्तेमाल करते हैं। लोग निमंत्रण के यहां धनतेरस के दिन दर्शन को आते हैं। अब धन्वंतरि निवास से किन-किन राज नेताओं को इलाज मिला, ये जानिए मुलायम सिंह, अमर सिंह का हुआ था इलाज वैध समीर कुमार शास्त्री ने बताया- धन्वंतरि निवास से महाराज बनारस का इतिहास जुड़ा है और हम उनसे जुड़े हुए हैं। राज वैध का यह परिवार आयुर्वेद में शुरू से अग्रणी रहा और देश के कई राजनेताओं ने हमारे यहां इलाज कराया। इसमें मुलायम सिंह और अमर सिंह का नाम सबसे ऊपर है। पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने भी धन्वंतरि निवास से स्वास्थ्य लाभ लिया था। यहां से उनकी दवाएं अभी भी जा रही है। अमर सिंह के कैसर की चलती थी दवा वैध समीर ने शास्त्री ने बताया- दिवंगत राजनेता अमर सिंह के कैंसर का इलाज इसी धन्वंतरि निवास से हुआ। वो लगातार यहां आते रहे और उन्हें यहां से दवा दी जाती रही। हम लोग कैंसर का दावे के साथ इलाज करते हैं। कैंसर के लिए अमर सिंह सहित देश की कई नामी हस्तियों ने हमारे यहां आकर दवाएं ली और उन्हें स्वास्थ्य लाभ मिला। मुलायम सिंह के पैरालाइज का हुआ इलाज वैध समीर कुमार शास्त्री ने आगे बताया- हमारे यहां दिवंगत पूर्व मुख्यमंत्री और सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव के पैरालाइज का इलाज हुआ था और लगातार उनका इलाज यहां से चला और उनकी दवा भी यहीं से जाती रही। गंभीर बीमार होने के पहले भी मुलायम सिंह यादव यहां दिखाने के लिए आये थे। उनकी भी अंतिम समय तक दवा यहां से चलती रही। पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की भी चल रही दवा धन्वंतरि भवन में पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की भी दवाएं जा रही हैं। समीर शास्त्री ने बताया-पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद जी उस समय राष्ट्रपति थे और सिर्फ हमें दिखाने के लिए वो वाराणसी आये थे। हमें महज 20 मिनट मिले थे। उसके बाद दवा के लिए हमने और समय मांगा जिसके बाद हमें राष्ट्रपति भवन से अनुमति मिली और फिर मै अपने घर के बच्चों के साथ वहां पहुंचा। पूर्व राष्ट्रपति से चर्चा हुई और आज भी उनकी दवा जा रही है।

Oct 29, 2024 - 06:50
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धन्वंतरि की अष्टधातु की प्रतिमा के आज होंगे दर्शन:सोने-चांदी के सिंहासन पर विराजेंगे; धन्वंतरि परिवार ने कहा - ये हमारी 325 साल पुरानी परंपरा
आयुर्वेद के जनक भगवान धन्वंतरि की जयंती मंगलवार को है। खास दिन काशी में अष्टधातु की धन्वंतरि की प्रतिमा के दर्शन हो सकेंगे। सोने और चांदी के सिहासन पर आज भगवान धन्वंतरि विराजमान हो रहे हैं। मूर्ति तो अन्नकूट त्योहार तक रखी जाएगी, मगर दर्शन सिर्फ 5 घंटे ही हो सकेंगे। दैनिक भास्कर ने काशी के प्रसिद्ध राजवैद्य रहे स्व. पंडित शिव कुमार शास्त्री के बेटे समीर कुमार शास्त्री से बातचीत की। उन्होंने कहा- हमारा परिवार काशी नरेश का राज वैद्य रहा है। हमारे पूर्वजों द्वारा यहां लाई गए अष्टधातु की भगवान धन्वंतरि की प्रतिमा है, जोकि प्रामाणिक है। इसके अलावा पूरे देश में कहीं अष्टधातु की प्रामाणिक प्रतिमा कहीं नहीं है। उन्होंने कहा- आयुर्वेद के जनक धन्वंतरि के इस स्थल पर हमारी दसवीं पीढ़ी वैध का कार्य कर रही है। आयुर्वेद की दवाएं लोगों को देकर उनका इलाज किया जा रहा है। हमारे यहां मुलायम सिंह, अमर सिंह, राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद जैसे लोगों का इलाज किया गया है और उन्हें आराम मिला है। पढ़िए रिपोर्ट... आज के दिन अमृत हाथ में लेकर अवतरित हुए थे धन्वंतरि आयुर्वेद के जनक भगवान धन्वंतरि की आज जयंती है। पुराणों के अनुसार, समुद्र मंथन के दौरान अमृत हाथ में कलश लेकर भगवान धन्वंतरि अवतरित हुए थे। भगवान धन्‍वंतरि का काशी से अटूट नाता अनादि काल से रहा है। भगवान विष्णु के अवतार के रूप में धनतेरस के खास अवसर पर उनकी विशेष पूजा होती है। सुड़िया स्थित धन्वंतरि निवास पर इसकी तैयारियां चल रही हैं। काशी का यह मंदिर ऐसा है जो सोने और चांदी से बना है और इसमें साल में एक बार अष्टधातु की भगवान धन्वंतरि की प्रतिमा स्थापित की जाती है। पूर्वज कन्हैया लाल ने शुरू की थी 325 वर्ष पहले परंपरा समीर कुमार शास्त्री ने बताया- ये परंपरा है आयुर्वेद चिकित्सा की। 325 साल से हमारे परिवार से ही यह परंपरा शुरू हुई। भगवान धन्वंतरि का विग्रह स्वरुप है ऐसी मान्यता है कि इसका कोई दूसरा प्रामाणिक स्थान नहीं है। लगभग 325 वर्षों पहले हमारे पूर्वज कन्हैया लाल जी ने इस परंपरा को शुरू किया। धीरे-धीरे परिवार के अन्य लोगों ने इस परंपरा को आगे बढ़ाया। यह परंपरा अब हमारी 10वीं पीढ़ी निभा रही है। मान्यता है काशी में जो यह स्थान है यह अकेला है। जानकारी में भगवान धन्वंतरि की कहीं भी दूसरी प्रामाणिक प्रतिमा नहीं है। हमारी 10वीं पीढ़ी इस परंपरा को बढ़ा रही है आगे वैध समीर कुमार शास्त्री ने बताया- जब से महाराज बनारस का इतिहास रहा है। तब से हमारा इतिहास है। हमारे पास इसका प्रमाण है। हमारे बाद हमारी जो 10वीं पीढ़ी है। हमारे लड़के-भतीजे भी आयुर्वेद से जुड़े हुए हैं। वो भी इस पद्वति को नवीन चिकित्सा पद्वति के साथ जुड़कर इसे आगे बढ़ा रहे हैं। मूल रूप से आयुर्वेद का जो पारंपरिक स्वरुप है। औषधियों का निर्माण हो रहा है। भगवान का स्वरुप अलौकिक है भगवान धन्वंतरि समुद्र मंथन से निकले थे। उनका जन्म कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी मनाया जाता है। ये चिकित्सा आयुर्वेद के देवता हैं। हमारे यहां उनकी अष्टधातु की मूर्ति है। यह सोने और चांदी के सिंहासन है जो कई किलो सोना-चांदी बनाकर बनाया गया है। कितना पुराना है इसका अंदाजा इसकी नक्काशी और बनावट से लगाया जा सकता है। यह प्राचीन हस्तकला का नमूना है और प्राचीन कारीगरी है। भगवान के विग्रह की बात करें तो उसका स्वरुप अद्भुत और अलौकिक है। प्रसाद के लिए लगती है भीड़, आयुर्वेदिक चीजों का लगता है भोग समीर शास्त्री बताते हैं - धनतेरस के दिन यहां आस्थावानों का हुजूम आता है। जो यहां अमृत के रूप में, चिकित्सा के रूप में यहां का प्रसाद ग्रहण करते हैं। हम दोपहर बाद से भगवान का श्रृंगार किया जाता है। इसके बाद शाम 5 बजे से 10 बजे रात तक भगवान के आम दर्शन होंगे। अन्नकूट के दिन भगवान को आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों और प्रसाद का भोग लगता है। फिर साल भर इन्ही जड़ी-बूटियों को दवाओं में इस्तेमाल करते हैं। लोग निमंत्रण के यहां धनतेरस के दिन दर्शन को आते हैं। अब धन्वंतरि निवास से किन-किन राज नेताओं को इलाज मिला, ये जानिए मुलायम सिंह, अमर सिंह का हुआ था इलाज वैध समीर कुमार शास्त्री ने बताया- धन्वंतरि निवास से महाराज बनारस का इतिहास जुड़ा है और हम उनसे जुड़े हुए हैं। राज वैध का यह परिवार आयुर्वेद में शुरू से अग्रणी रहा और देश के कई राजनेताओं ने हमारे यहां इलाज कराया। इसमें मुलायम सिंह और अमर सिंह का नाम सबसे ऊपर है। पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने भी धन्वंतरि निवास से स्वास्थ्य लाभ लिया था। यहां से उनकी दवाएं अभी भी जा रही है। अमर सिंह के कैसर की चलती थी दवा वैध समीर ने शास्त्री ने बताया- दिवंगत राजनेता अमर सिंह के कैंसर का इलाज इसी धन्वंतरि निवास से हुआ। वो लगातार यहां आते रहे और उन्हें यहां से दवा दी जाती रही। हम लोग कैंसर का दावे के साथ इलाज करते हैं। कैंसर के लिए अमर सिंह सहित देश की कई नामी हस्तियों ने हमारे यहां आकर दवाएं ली और उन्हें स्वास्थ्य लाभ मिला। मुलायम सिंह के पैरालाइज का हुआ इलाज वैध समीर कुमार शास्त्री ने आगे बताया- हमारे यहां दिवंगत पूर्व मुख्यमंत्री और सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव के पैरालाइज का इलाज हुआ था और लगातार उनका इलाज यहां से चला और उनकी दवा भी यहीं से जाती रही। गंभीर बीमार होने के पहले भी मुलायम सिंह यादव यहां दिखाने के लिए आये थे। उनकी भी अंतिम समय तक दवा यहां से चलती रही। पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की भी चल रही दवा धन्वंतरि भवन में पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की भी दवाएं जा रही हैं। समीर शास्त्री ने बताया-पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद जी उस समय राष्ट्रपति थे और सिर्फ हमें दिखाने के लिए वो वाराणसी आये थे। हमें महज 20 मिनट मिले थे। उसके बाद दवा के लिए हमने और समय मांगा जिसके बाद हमें राष्ट्रपति भवन से अनुमति मिली और फिर मै अपने घर के बच्चों के साथ वहां पहुंचा। पूर्व राष्ट्रपति से चर्चा हुई और आज भी उनकी दवा जा रही है।

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