पंजाब उपचुनाव: बरनाला में तिकोना मुकाबला:AAP को बागी का नुकसान, BJP शहरी वोटर्स के भरोसे; कांग्रेस को सत्ता के विरोध से आस

पंजाब में 4 सीटों पर 20 नवंबर को उपचुनाव के लिए वोटिंग होगी। यहां बरनाला सीट पिछले 10 साल से आम आदमी पार्टी (AAP) के कब्जे में रही है। दोनों बार यहां से गुरमीत मीत हेयर जीते थे। जो अब सांसद बन चुके हैं। AAP ने सीट दोबारा पाने के लिए उनके ही करीबी दोस्त हरिंदर धालीवाल को टिकट दी है। मगर, इससे पार्टी में बगावत हो गई और पार्टी के जिला प्रधान रहे गुरदीप बाठ बगावत कर चुनाव लड़ रहे हैं। जिससे AAP की मुश्किलें बढ़ गई हैं। भाजपा ने यहां से 2 बार के विधायक केवल सिंह ढिल्लो को टिकट दी है। ढिल्लो पहले कांग्रेस में थे। वह कांग्रेस की टिकट पर जीतकर दो बार विधायक बन चुके है। वह 2007 और 2012 में बरनाला से विधायक रहे हैं। उनकी भी इस क्षेत्र में मजबूत पकड़ है। इसके अलावा यहां ग्रामीण के मुकाबले शहरी वोटर ज्यादा हैं, जिसे भाजपा का कोर वोट बैंक माना जाता है। ऐसे में भाजपा इस सीट पर AAP के लिए चुनौती बनती नजर आ रही है। कांग्रेस ने यहां से कुलदीप सिंह काला ढिल्लो को टिकट दिया है। ढिल्लो को कांग्रेस ने नए चेहरे के तौर पर आजमाया है लेकिन वह इलाके के लिए नए नहीं हैं। कांग्रेस के बरनाला प्रधान के तौर पर वह काम कर रहे हैं। शिअद अमृतसर ने यहां से पूर्व सांसद सिमरनजीत सिंह मान के नाती गोबिंद सिंह संधू को टिकट दी है। पंजाब में 1992 के बाद पहली बार अकाली दल उपचुनाव नहीं लड़ रहा। इस वजह से उनके वोट बैंक पर सबकी नजर है। पॉलिटिकल एक्सपर्ट्स मानें तो अकाली दल का यहां वोट बैंक हार-जीत तय कर सकता है। बरनाला विधानसभा में कुल वोटर 1 लाख 80 हजार 88 हैं। इनमें पुरुष वोटर 94957 तो महिला वोटर 851ृ27 हैं। शहरी वोटर 88429 तो ग्रामीण वोटर 61 657 हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि शहरी एरिया के वोटर जिस पक्ष में मतदान करेंगे, वह मजबूत होगा। वहीं, यहां से चुनाव लड़ रहे सभी प्रमुख पार्टियों के उम्मीदवार जट्‌ट सिख हैं। ऐसे में सभी को ग्रामीण वोट बंटने का खतरा है। बरनाला में बरनाला शहर के अलावा धनौला नगर कौंसिल और 40 गांव शामिल हैं। 6 पॉइंट में समझें बरनाला सीट का समीकरण 1. बरनाला जिला AAP का गढ़ माना जाता है। 2014 के लोकसभा चुनाव में जब मौजूदा CM भगवंत मान पहली बार सांसद बने तो उस समय भी पार्टी बरनाला जिले की तीनों सीटों पर जीती थी। 2017 और 20 22 विधानसभा चुनाव में गुरमीत सिंह मीत हेयर जीते थे। 2022 के चुनाव में बरनाला से उन्हें 64,800 हजार वोट मिले थे। हालांकि इस बार उन्हें अपनी ही पार्टी के प्रधान रहे गुरदीप बाठ से बगावत झेलनी पड़ रही है। 2. बरनाला में AAP के बाद अकाली दल का आधार अच्छा माना जाता है। 2022 में जब AAP के मीत हेयर ने रिकॉर्डतोड़ जीत हासिल की तो दूसरे नंबर पर अकाली दल के उम्मीदवार कुलवंत सिंह रहे थे। उन्हें 27,178 वोट मिले थे। ऐसे में अकाली दल का यह वोट बैंक सभी दलों के लिए टेंशन बना हुआ है। 3. कांग्रेस के लिए संगठन से लेकर बड़े चेहरों की चुनौती है। कांग्रेस के कई बड़े चेहरे भाजपा और आम आदमी पार्टी जॉइन कर चुके हैं। साल 2007 और 2012 में यहां से कांग्रेस उम्मीदवार केवल ढिल्लों लगातार चुनाव जीते। जो अब भाजपा के उम्मीदवार हैं। गांवों में अब कांग्रेस की जगह आम आदमी पार्टी के प्रधान ज्यादा है। 20 से अधिक गांवों में आप का अच्छा रसूख माना जाता है। 4. इस सीट पर भाजपा कभी चुनाव नहीं जीत पाई। 2022 में पहली बार भाजपा ने शिरोमणि अकाली से अलग होकर धीरज कुमार को चुनावी मैदान में उतारा था। वह महज 9,122 वोट हासिल कर पाए थे। शहरी एरिया में गांवों से ज्यादा वोटर हैं। एक दिलचस्प बात यह है कि 2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी का वोट प्रतिशत बरनाला में बढ़ा था। ऐसे में यहां भाजपा का प्रदर्शन चौंका सकता है। 5. गांवों में आम आदमी पार्टी और भाजपा उम्मीदवारों का विरोध हो रहा है। इसके उलट कांग्रेस, शिअद अमृतसर और निर्दलीय गुरदीप बाठ को अच्छा रिस्पांस मिल रहा है। ऐसे में ग्रामीण वोट 3 जगह बंट सकती है। हालांकि अकाली दल का वोट बैंक यहां अहम होगा। इसके अलावा डेरा सच्चा सौदा का भी यहां असर है। उनकी करीब 5-6 हजार वोटें यहां हैं, जो हार-जीत का खेल बिगाड़ सकती हैं। 6. इस चुनाव में मुद्दों की बात करें तो कोई बड़ा अस्पताल या मेडिकल कॉलेज नहीं है। पार्किंग की परेशानी है। खेल मैदान नहीं है। किसान धान की लिफ्टिंग और DAP की कमी को लेकर विरोध कर रहे हैं। इसके अलावा नशा और रोजगार के बारे में भी यहां के लोग बातें कर रहे हैं। AAP उम्मीदवार धालीवाल बोले- मेरे नानके यहां AAP उम्मीदवार हरिंदर सिंह धालीवाल काफी समय से बरनाला में एक्टिव हैं। सांसद गुरमीत सिंह मीत हेयर की चुनावी कमान से लेकर दफ्तर तक तो वह संभालते रहे हैं। मगर, विरोधी उन्हें बाहरी बता रहे है। धालीवाल कहते हैं कि वह लोकल है। उनके नानके भी इसी हलके में है। वह शुरू से पार्टी से जुड़े हुए हैं। इसके अलावा पार्टी के लिए केवल पंजाब ही नहीं बल्कि जहां भी जरूरत महसूस होती है, वहां जाकर काम करते हैं। BJP के ढिल्लों केंद्र से प्रोजेक्ट का भरोसा दे रहे BJP के उम्मीदवार केवल ढिल्लों कांग्रेस की टिकट पर दो बार विधायक रहे हैं। वह बरनाला को जिला बनाने से लेकर अन्य सारी सुविधाएं मुहैया कराने का दावा करते हैं। वह कहते है कि केंद्र में हमारी सरकार है। मैं हलके के लिए केंद्र से बड़े प्रोजेक्ट लाने में सक्षम हूं। वह यहां तक दावा करते है कि बरनाला में डीएपी की कमी को उन्होंने ही दूर करवाया है। कांग्रेस के काला ढिल्लों सत्ता की नाकामियां बता रहे कुलदीप सिंह काला ढिल्लों ने कांग्रेस को बरनाला में नए सिरे से खड़ा करने में अहम भूमिका निभाई है। वह लोगों से सीधा जुड़ाव होने का दावा करते हैं। उनका कहना है कि अगर लोग चुनते हैं तो वह उनकी आवाज विधानसभा में उठाएंगे। उनका कहना है कि आम आदमी पार्टी बदलाव के नाम पर सरकार बनाकर कुछ भी नहीं कर पाई। क्या कहते हैं वोटर्स.. डेवलपमेंट बड़ा मुद्दा बिजनेसमैन जिम्मी कहते हैं कि बरनाला विधानसभा चुनाव में सबसे बड़ा मुद्दा डेवलपमेंट का है। शह

Nov 17, 2024 - 05:25
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पंजाब उपचुनाव: बरनाला में तिकोना मुकाबला:AAP को बागी का नुकसान, BJP शहरी वोटर्स के भरोसे; कांग्रेस को सत्ता के विरोध से आस
पंजाब में 4 सीटों पर 20 नवंबर को उपचुनाव के लिए वोटिंग होगी। यहां बरनाला सीट पिछले 10 साल से आम आदमी पार्टी (AAP) के कब्जे में रही है। दोनों बार यहां से गुरमीत मीत हेयर जीते थे। जो अब सांसद बन चुके हैं। AAP ने सीट दोबारा पाने के लिए उनके ही करीबी दोस्त हरिंदर धालीवाल को टिकट दी है। मगर, इससे पार्टी में बगावत हो गई और पार्टी के जिला प्रधान रहे गुरदीप बाठ बगावत कर चुनाव लड़ रहे हैं। जिससे AAP की मुश्किलें बढ़ गई हैं। भाजपा ने यहां से 2 बार के विधायक केवल सिंह ढिल्लो को टिकट दी है। ढिल्लो पहले कांग्रेस में थे। वह कांग्रेस की टिकट पर जीतकर दो बार विधायक बन चुके है। वह 2007 और 2012 में बरनाला से विधायक रहे हैं। उनकी भी इस क्षेत्र में मजबूत पकड़ है। इसके अलावा यहां ग्रामीण के मुकाबले शहरी वोटर ज्यादा हैं, जिसे भाजपा का कोर वोट बैंक माना जाता है। ऐसे में भाजपा इस सीट पर AAP के लिए चुनौती बनती नजर आ रही है। कांग्रेस ने यहां से कुलदीप सिंह काला ढिल्लो को टिकट दिया है। ढिल्लो को कांग्रेस ने नए चेहरे के तौर पर आजमाया है लेकिन वह इलाके के लिए नए नहीं हैं। कांग्रेस के बरनाला प्रधान के तौर पर वह काम कर रहे हैं। शिअद अमृतसर ने यहां से पूर्व सांसद सिमरनजीत सिंह मान के नाती गोबिंद सिंह संधू को टिकट दी है। पंजाब में 1992 के बाद पहली बार अकाली दल उपचुनाव नहीं लड़ रहा। इस वजह से उनके वोट बैंक पर सबकी नजर है। पॉलिटिकल एक्सपर्ट्स मानें तो अकाली दल का यहां वोट बैंक हार-जीत तय कर सकता है। बरनाला विधानसभा में कुल वोटर 1 लाख 80 हजार 88 हैं। इनमें पुरुष वोटर 94957 तो महिला वोटर 851ृ27 हैं। शहरी वोटर 88429 तो ग्रामीण वोटर 61 657 हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि शहरी एरिया के वोटर जिस पक्ष में मतदान करेंगे, वह मजबूत होगा। वहीं, यहां से चुनाव लड़ रहे सभी प्रमुख पार्टियों के उम्मीदवार जट्‌ट सिख हैं। ऐसे में सभी को ग्रामीण वोट बंटने का खतरा है। बरनाला में बरनाला शहर के अलावा धनौला नगर कौंसिल और 40 गांव शामिल हैं। 6 पॉइंट में समझें बरनाला सीट का समीकरण 1. बरनाला जिला AAP का गढ़ माना जाता है। 2014 के लोकसभा चुनाव में जब मौजूदा CM भगवंत मान पहली बार सांसद बने तो उस समय भी पार्टी बरनाला जिले की तीनों सीटों पर जीती थी। 2017 और 20 22 विधानसभा चुनाव में गुरमीत सिंह मीत हेयर जीते थे। 2022 के चुनाव में बरनाला से उन्हें 64,800 हजार वोट मिले थे। हालांकि इस बार उन्हें अपनी ही पार्टी के प्रधान रहे गुरदीप बाठ से बगावत झेलनी पड़ रही है। 2. बरनाला में AAP के बाद अकाली दल का आधार अच्छा माना जाता है। 2022 में जब AAP के मीत हेयर ने रिकॉर्डतोड़ जीत हासिल की तो दूसरे नंबर पर अकाली दल के उम्मीदवार कुलवंत सिंह रहे थे। उन्हें 27,178 वोट मिले थे। ऐसे में अकाली दल का यह वोट बैंक सभी दलों के लिए टेंशन बना हुआ है। 3. कांग्रेस के लिए संगठन से लेकर बड़े चेहरों की चुनौती है। कांग्रेस के कई बड़े चेहरे भाजपा और आम आदमी पार्टी जॉइन कर चुके हैं। साल 2007 और 2012 में यहां से कांग्रेस उम्मीदवार केवल ढिल्लों लगातार चुनाव जीते। जो अब भाजपा के उम्मीदवार हैं। गांवों में अब कांग्रेस की जगह आम आदमी पार्टी के प्रधान ज्यादा है। 20 से अधिक गांवों में आप का अच्छा रसूख माना जाता है। 4. इस सीट पर भाजपा कभी चुनाव नहीं जीत पाई। 2022 में पहली बार भाजपा ने शिरोमणि अकाली से अलग होकर धीरज कुमार को चुनावी मैदान में उतारा था। वह महज 9,122 वोट हासिल कर पाए थे। शहरी एरिया में गांवों से ज्यादा वोटर हैं। एक दिलचस्प बात यह है कि 2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी का वोट प्रतिशत बरनाला में बढ़ा था। ऐसे में यहां भाजपा का प्रदर्शन चौंका सकता है। 5. गांवों में आम आदमी पार्टी और भाजपा उम्मीदवारों का विरोध हो रहा है। इसके उलट कांग्रेस, शिअद अमृतसर और निर्दलीय गुरदीप बाठ को अच्छा रिस्पांस मिल रहा है। ऐसे में ग्रामीण वोट 3 जगह बंट सकती है। हालांकि अकाली दल का वोट बैंक यहां अहम होगा। इसके अलावा डेरा सच्चा सौदा का भी यहां असर है। उनकी करीब 5-6 हजार वोटें यहां हैं, जो हार-जीत का खेल बिगाड़ सकती हैं। 6. इस चुनाव में मुद्दों की बात करें तो कोई बड़ा अस्पताल या मेडिकल कॉलेज नहीं है। पार्किंग की परेशानी है। खेल मैदान नहीं है। किसान धान की लिफ्टिंग और DAP की कमी को लेकर विरोध कर रहे हैं। इसके अलावा नशा और रोजगार के बारे में भी यहां के लोग बातें कर रहे हैं। AAP उम्मीदवार धालीवाल बोले- मेरे नानके यहां AAP उम्मीदवार हरिंदर सिंह धालीवाल काफी समय से बरनाला में एक्टिव हैं। सांसद गुरमीत सिंह मीत हेयर की चुनावी कमान से लेकर दफ्तर तक तो वह संभालते रहे हैं। मगर, विरोधी उन्हें बाहरी बता रहे है। धालीवाल कहते हैं कि वह लोकल है। उनके नानके भी इसी हलके में है। वह शुरू से पार्टी से जुड़े हुए हैं। इसके अलावा पार्टी के लिए केवल पंजाब ही नहीं बल्कि जहां भी जरूरत महसूस होती है, वहां जाकर काम करते हैं। BJP के ढिल्लों केंद्र से प्रोजेक्ट का भरोसा दे रहे BJP के उम्मीदवार केवल ढिल्लों कांग्रेस की टिकट पर दो बार विधायक रहे हैं। वह बरनाला को जिला बनाने से लेकर अन्य सारी सुविधाएं मुहैया कराने का दावा करते हैं। वह कहते है कि केंद्र में हमारी सरकार है। मैं हलके के लिए केंद्र से बड़े प्रोजेक्ट लाने में सक्षम हूं। वह यहां तक दावा करते है कि बरनाला में डीएपी की कमी को उन्होंने ही दूर करवाया है। कांग्रेस के काला ढिल्लों सत्ता की नाकामियां बता रहे कुलदीप सिंह काला ढिल्लों ने कांग्रेस को बरनाला में नए सिरे से खड़ा करने में अहम भूमिका निभाई है। वह लोगों से सीधा जुड़ाव होने का दावा करते हैं। उनका कहना है कि अगर लोग चुनते हैं तो वह उनकी आवाज विधानसभा में उठाएंगे। उनका कहना है कि आम आदमी पार्टी बदलाव के नाम पर सरकार बनाकर कुछ भी नहीं कर पाई। क्या कहते हैं वोटर्स.. डेवलपमेंट बड़ा मुद्दा बिजनेसमैन जिम्मी कहते हैं कि बरनाला विधानसभा चुनाव में सबसे बड़ा मुद्दा डेवलपमेंट का है। शहर में पार्किंग और पब्लिक टायलेट्स की दिक्कत हैं। हलके में यूनिवर्सिटी और अस्पताल की जरूरत है। वैसे तो AAP मजबूत दिख रही है लेकिन बाकी सब वोटर्स पर निर्भर है। अभी मिला-जुला असर सुभाष कुमार कहते हैं कि बरनाला में सबसे बड़ी समस्या ट्रैफिक की है। बाजार में ट्रैफिक का बुरा हाल है। बढ़िया अस्पताल की कमी है। एजुकेशन के लिए बरनाला एक कॉलेज की जरूरत है। इलेक्शन में अभी तक मिला जुला असर है। नशा बड़ा मुद्दा मोहम्मद हसन कहते हैं कि AAP को नुकसान दिख रहा है। इन्होंने नशा खत्म करने की बात कही थी लेकिन यह और बढ़ गया। मंडियों को किसानों में 20-20 दिन परेशान होना पड़ा। यहां मुकाबला BJP और कांग्रेस के बीच लग रहा है। एक्सपर्ट बोले- आप-कांग्रेस में मुकाबला सीनियर पत्रकार और पॉलिटिकल एक्सपर्ट जगसीर सिंह संधू के मुताबिक बरनाला हलके में इस बार मुख्य मुकाबला कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच में ही है। जीत हार का फैसला शहरी वोटर करेगा। जबकि भाजपा अभी तक तीसरे नंबर पर चल रही है। हालांकि अभी तक चुनाव में चार दिन शेष हैं । माहौल आखिरी वक्त में भी बदल सकता है। यहां भाजपा के सीनियर नेता और RSS भी एक्टिव है। बरनाला सीट पर हिंदू वोट बैंक पर ज्यादा है। अगर हिंदू चेहरा होता तो मुकाबला करीबी होता है। दूसरा AAP की तरफ से सीएम भगवंत मान और आप सुप्रीमो केजरीवाल खुद बरनाला में सक्रिय है। वहीं, गुरमीत सिंह मीत हेयर की छवि को लोग पसंद करते हैं। जिसका फायदा पार्टी को मिलेगा।

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