पीलीभीत में आरडीएसएस योजना के नाम पर करोड़ों का खेल:बिना जांच के ही विद्युत लाइन बिछाई गई, शासन से जांच होने पर हुआ खुलासा

उत्तर प्रदेश में विद्युत व्यवस्था को सुधारने के लिए सरकार ने आरडीएसएस योजना के तहत तमाम जर्जर बिजली की लाइनों को बदलने का काम शुरू कराया। सरकार इस योजना के लिए भारी बजट आवंटित की, लेकिन योजना के तहत तार की सप्लाई करने वाली तमाम कंपनियों ने स्थानीय अधिकारियों की मिलीभगत के चलते विभाग को करोड़ों का चूना लगा दिया और अधोमानक तार सप्लाई कर दिया। शासन के स्तर से जब मामले की जांच कराई गई तो मामले का खुलासा हुआ। पीलीभीत में आरडीएसएस योजना के तहत पीलीभीत में पुरानी जर्जर लाइनों को बदलने का काम शुरू हुआ था।ऐसे में विद्युत लाइनों को बदलने के लिए कई कंपनियों ने तार की सप्लाई दी थी। शासन स्तर से टेंडर स्वीकृत होने के बाद पीलीभीत के विद्युत विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों ने सप्लाई होने वाले तार की गुणवत्ता को परखने की जहमत नहीं उठाई और कई कंपनियों द्वारा सप्लाई किए गए तारों को बिना चेक किए ही विद्युत लाइन बदलने का काम शुरू कर दिया। शासन स्तर से जब विद्युत लाइन के लिए सप्लाई किया जा रहे तारों की पीलीभीत में रैंडम चेकिंग कराई गई तो 7 कंपनियों के तार चेक किए गए। पीलीभीत में हुई रेंडम चेकिंग के दौरान चार कंपनियों के तार अधोमानक पाए गए। नियमों के अनुसार 1 किलोमीटर लंबे तार में 972 किलोग्राम अल्युमिनियम होना चाहिए था, लेकिन पीलीभीत में देशराज केबल्स, केएकजे परप्लेक्स, भदौरा इंडस्ट्री और एसपीएम जैसी कंपनियों द्वारा सप्लाई किया गया तार मानकों के अनुसार नहीं पाया गया। जांच में सामने आया कि निर्धारित अल्युमिनियम की मात्रा से इन तारों में करीब 45 किलोग्राम अल्युमिनियम प्रति किलोमीटर के हिसाब से कम निकला। बिना जांच लाइन बिछाई गई विभिन्न कंपनी द्वारा सप्लाई किए गए तार को बिना जांचे ही विद्युत विभाग के अधिकारियों ने कई किलोमीटर लंबी लाइन बिछवा दी। जांच में अब मानकों के अनुरूप तार के न होने का जब खुलासा हुआ तो विद्युत विभाग के अधिकारी दंग रह गए लेकिन जांच ने कहीं ना कहीं स्थानीय विद्युत विभाग के अधिकारियों के साथ ठेकेदारों की मिली भगत की पोल भी खोल दी है। मानक के अनुरूप नहीं मिले तार पीलीभीत के विद्युत विभाग के अधीक्षण अभियंता एसके मधुकर ने बताया शासन के निर्देश पर हुई जांच में कई कंपनियों द्वारा सप्लाई किया गया तार चेक किया गया था। चार कंपनियों के तार मानकों के अनुरूप नहीं पाए गए हैं। निश्चित ही पूरे मामले में कार्रवाई होगी।

Oct 21, 2024 - 18:25
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पीलीभीत में आरडीएसएस योजना के नाम पर करोड़ों का खेल:बिना जांच के ही विद्युत लाइन बिछाई गई, शासन से जांच होने पर हुआ खुलासा
उत्तर प्रदेश में विद्युत व्यवस्था को सुधारने के लिए सरकार ने आरडीएसएस योजना के तहत तमाम जर्जर बिजली की लाइनों को बदलने का काम शुरू कराया। सरकार इस योजना के लिए भारी बजट आवंटित की, लेकिन योजना के तहत तार की सप्लाई करने वाली तमाम कंपनियों ने स्थानीय अधिकारियों की मिलीभगत के चलते विभाग को करोड़ों का चूना लगा दिया और अधोमानक तार सप्लाई कर दिया। शासन के स्तर से जब मामले की जांच कराई गई तो मामले का खुलासा हुआ। पीलीभीत में आरडीएसएस योजना के तहत पीलीभीत में पुरानी जर्जर लाइनों को बदलने का काम शुरू हुआ था।ऐसे में विद्युत लाइनों को बदलने के लिए कई कंपनियों ने तार की सप्लाई दी थी। शासन स्तर से टेंडर स्वीकृत होने के बाद पीलीभीत के विद्युत विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों ने सप्लाई होने वाले तार की गुणवत्ता को परखने की जहमत नहीं उठाई और कई कंपनियों द्वारा सप्लाई किए गए तारों को बिना चेक किए ही विद्युत लाइन बदलने का काम शुरू कर दिया। शासन स्तर से जब विद्युत लाइन के लिए सप्लाई किया जा रहे तारों की पीलीभीत में रैंडम चेकिंग कराई गई तो 7 कंपनियों के तार चेक किए गए। पीलीभीत में हुई रेंडम चेकिंग के दौरान चार कंपनियों के तार अधोमानक पाए गए। नियमों के अनुसार 1 किलोमीटर लंबे तार में 972 किलोग्राम अल्युमिनियम होना चाहिए था, लेकिन पीलीभीत में देशराज केबल्स, केएकजे परप्लेक्स, भदौरा इंडस्ट्री और एसपीएम जैसी कंपनियों द्वारा सप्लाई किया गया तार मानकों के अनुसार नहीं पाया गया। जांच में सामने आया कि निर्धारित अल्युमिनियम की मात्रा से इन तारों में करीब 45 किलोग्राम अल्युमिनियम प्रति किलोमीटर के हिसाब से कम निकला। बिना जांच लाइन बिछाई गई विभिन्न कंपनी द्वारा सप्लाई किए गए तार को बिना जांचे ही विद्युत विभाग के अधिकारियों ने कई किलोमीटर लंबी लाइन बिछवा दी। जांच में अब मानकों के अनुरूप तार के न होने का जब खुलासा हुआ तो विद्युत विभाग के अधिकारी दंग रह गए लेकिन जांच ने कहीं ना कहीं स्थानीय विद्युत विभाग के अधिकारियों के साथ ठेकेदारों की मिली भगत की पोल भी खोल दी है। मानक के अनुरूप नहीं मिले तार पीलीभीत के विद्युत विभाग के अधीक्षण अभियंता एसके मधुकर ने बताया शासन के निर्देश पर हुई जांच में कई कंपनियों द्वारा सप्लाई किया गया तार चेक किया गया था। चार कंपनियों के तार मानकों के अनुरूप नहीं पाए गए हैं। निश्चित ही पूरे मामले में कार्रवाई होगी।

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