प्रयागराज में 400 से ज्यादा ASHA चयन में बड़ा ‘खेल’:जिला स्वास्थ्य समिति के अनुमोदन के बगैर किया चयन, एक लाख तक वसूली.. CM तक पहुंची शिकायत
प्रयागराज के स्वास्थ्य विभाग की ओर से ASHA के रिक्त पदों पर हुई चयन प्रक्रिया में बड़ी गड़बड़ी सामने आई है। जिनके कंधे पर चयन प्रक्रिया की जिम्मेदारी थी उन्हाेंने ही मानक के खिलाफ अपने स्तर से मनमानी ढंग से 400 से ज्यादा आशाओं का चयन कर डाला। इस चयन प्रक्रिया के पहले जिला स्वास्थ्य समिति की बैठक में जिलाधिकारी का अनुमोदन लिया जाता है लेकिन ऐसा नहीं किया गया। आरोप है तत्कालीन ACMO डॉ. तरूण पाठक व वर्तमान में तैनात DCPM अशफाक अहम ने एक लाख से डेढ़ लाख रुपये लेकर आशाओं का चयन कर डाला। इस मामले की शिकायत अब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तक पहुंची है। मामले की जांच के लिए भी उच्चाधिकारियाें को निर्देश दिए गए हैं। सबसे पहले जानते हैं क्या ASHA चयन की प्रक्रिया ग्रामीण क्षेत्रों में 5 हजार की आबादी पर एक स्वास्थ्य उपकेंद्र होते हैं। इसमें एक हजार की आबादी पर एक आशा कार्यकर्ता का चयन होता है। चयन प्रक्रिया के लिए जिला स्वास्थ्य समिति की बैठक में जिलाधिकारी से अनुमोदन लिया जाता है, लेकिन ऐसा नहीं किया गया। जिस गांव में चयन होना है वहां खुली बैठक आयोजित होती है। बैठक में ग्राम प्रधान, एएनएम और सेक्रेटरी शामिल होते हैं, इसमें उसी गांव की अभ्यर्थी से आवेदन लिया जाता है। यह दोनों प्रक्रिया नहीं कराई गई। चयन कर तीनों आवेदन संबंधित सीएचसी के अधीक्षक व बीसीपीएम के पास भेजे जाते हैं। इसके बाद वहां से जिले पर ACMO-RCH व DCPM के पास आता है और फिर चयन होता है। इसमें से कोई भी प्रक्रिया नहीं अपनाई गई। ACMO और DCPM ने चयन में किया गड़बड़झाला कीडगंज निवासी बलराम पांडेय ने मुख्यमंत्री से इसकी शिकायत की है। शिकायत पत्र में लिखा है कि तत्कालीन ACMO (अभी CMO संभल) डॉ. तरूण पाठक व DCPM अशफाक अहमद की ओर बिना मानक के ही एक से डेढ़ लाख रुपये घूस लेकर मनमानी तरीके से आशा कार्यकर्ताओं का चयन कर लिया गया है। जिलाधिकारी से अनुमाेदन तक नहीं लिया गया। पात्रों के बजाय अपात्रों का चयन किया गया है। शिकायत में लिखा है कि DCPM अशफाक अहमद बिना सक्षम स्तर की स्वीकृति के रेग्युलर कोर्स बी-फार्मा किया जा रहा है, इससे राष्ट्रीय कार्यक्रम बाधित हो रहा है। इसकी जांच कराए जाने की मांग की गई है। 400 की आबादी पर कर दिया आशा का चयन भगवतपुर विकासखंड में भी मनमानी तरीके से आशाओं का चयन किया गया। यहां 300-400 की आबादी पर ही आशा की नियुक्ति कर दी गई। जबकि नियम है कि एक हजार की आबादी पर एक आशा की नियुक्ति होनी है। जनपद के 21 विकासखंडों के अलग-अलग गांवों में जो चयन किया गया है उनमें इसी तरह की मनमानी की गई है। विधवा को इस चयन में प्राथमिकता देनी है लेकिन यह भी दरकिनार कर दिया गया। बिना बजट आए ही साहब ने करा दी ट्रेनिंग तत्कालीन एसीएमओ डॉ. तरूण पाठक व डीसीपीएम अशफाक अहमद की ओर से आनन-फानन में रुपये लेकर चयन कर दिया। इसके तुरंत बाद ही बिना बजट मिले ही इन आशाओं की आठ दिवसीय ट्रेनिंग भी करा डाली। ताकि बाद में इसमें कोई सवाल न उठे। दरअसल, 8 दिन की ट्रेनिंग के बाद ही आशा अपने क्षेत्र में काम करने के लिए निकलती हैं और उनका चयन माना जाता है। CMO बोले, जांच कराई जाएगी इस संबंध में दैनिक भास्कर से बातचीत के दौरान मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. आशु पांडेय ने कहा, इस मामले की जांच कराई जाएगी। वहीं तत्कालीन एसीएमओ डॉ. तरूण पाठक से मोबाइल पर संपर्क करने का प्रयास किया गया लेकिन संपर्क नहीं हो सका। डीसीपीएम अशफाक अहमद ने कहा, जो कुछ भी हुआ है वह डॉ. तरूण पाठक के निर्देशन में हुआ है। उनके कहने पर ही सब कुछ किया गया है। अशफाक ने स्वीकारा कि जिला स्वास्थ्य समिति की बैठक में जिलाधिकारी से अनुमाेदन नहीं लिया गया है।
What's Your Reaction?