ब्राह्मणों को कराया भोजन... दिया दान:बलिया में अक्षय नवमी पर महिलाओं ने किया आंवला वृक्ष का पूजन

बलिया के नगरीय और ग्रामीण क्षेत्रों में रविवार को अक्षय नवमी के मौके पर श्रद्धालुओं ने विधिपूर्वक आंवला वृक्ष की पूजा की। इसके साथ ही लोगों ने ब्राह्मणों को भोजन कराया और दान दिया। कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाए जाने वाले अक्षय नवमी को आंवला नवमी भी कहा जाता है। पौराणिक मान्यता के अनुसार, इस दिन आंवला वृक्ष की पूजा का विशेष महत्व है। इसके अलावा भगवान विष्णु की भी पूजा की जाती है। इस दिन का धार्मिक महत्व काफी अधिक है, क्योंकि इस दिन स्नान, पूजा और दान करने से अक्षय फल की प्राप्ति होती है। भगवान कृष्ण का मथुरा जाना अक्षय नवमी के दिन भगवान कृष्ण ने अपनी बाल लीलाओं को छोड़कर मथुरा जाने का निर्णय लिया था और अपने कर्तव्य की ओर कदम बढ़ाया था। इस दिन को लेकर श्रद्धालु आंवला वृक्ष की पूजा करते हुए भगवान विष्णु से समृद्धि और सुख-शांति की कामना करते हैं। पूजन का उद्देश्य और महत्व यह पूजा विशेष रूप से संतान प्राप्ति और पारिवारिक सुख-समृद्धि के लिए की जाती है। माना जाता है कि इस दिन आंवला वृक्ष, कुष्मांडा और धात्री की पूजा से सभी इच्छाएं पूरी होती हैं। अक्षय नवमी को किए गए कार्यों का फल अक्षय तृतीया जैसा माना जाता है।

Nov 10, 2024 - 16:55
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ब्राह्मणों को कराया भोजन... दिया दान:बलिया में अक्षय नवमी पर महिलाओं ने किया आंवला वृक्ष का पूजन
बलिया के नगरीय और ग्रामीण क्षेत्रों में रविवार को अक्षय नवमी के मौके पर श्रद्धालुओं ने विधिपूर्वक आंवला वृक्ष की पूजा की। इसके साथ ही लोगों ने ब्राह्मणों को भोजन कराया और दान दिया। कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाए जाने वाले अक्षय नवमी को आंवला नवमी भी कहा जाता है। पौराणिक मान्यता के अनुसार, इस दिन आंवला वृक्ष की पूजा का विशेष महत्व है। इसके अलावा भगवान विष्णु की भी पूजा की जाती है। इस दिन का धार्मिक महत्व काफी अधिक है, क्योंकि इस दिन स्नान, पूजा और दान करने से अक्षय फल की प्राप्ति होती है। भगवान कृष्ण का मथुरा जाना अक्षय नवमी के दिन भगवान कृष्ण ने अपनी बाल लीलाओं को छोड़कर मथुरा जाने का निर्णय लिया था और अपने कर्तव्य की ओर कदम बढ़ाया था। इस दिन को लेकर श्रद्धालु आंवला वृक्ष की पूजा करते हुए भगवान विष्णु से समृद्धि और सुख-शांति की कामना करते हैं। पूजन का उद्देश्य और महत्व यह पूजा विशेष रूप से संतान प्राप्ति और पारिवारिक सुख-समृद्धि के लिए की जाती है। माना जाता है कि इस दिन आंवला वृक्ष, कुष्मांडा और धात्री की पूजा से सभी इच्छाएं पूरी होती हैं। अक्षय नवमी को किए गए कार्यों का फल अक्षय तृतीया जैसा माना जाता है।

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