भारत और मलेशिया हरिमाऊ शक्ति युद्धाभ्यास करेंगे:2 दिसंबर से कुआलालंपुर में शुरू होगा; राजपूत रेजिमेंट की बटालियन हिस्सा लेगी
भारत और मलेशिया 2 दिसंबर से 15 दिसंबर के बीच संयुक्त सैन्य अभ्यास करेगा। भारतीय सेना ने बताया कि युद्धाभ्यास मलेशिया की राजधानी कुआलालंपुर के बेंटोंग कैंप में होगा। इस युद्धाभ्यास को हरिमाऊ शक्ति- 2024 नाम दिया गया है। पिछली साल यह अभ्यास भारत में मेघालय के उमरोई छावनी में हुआ था। इसमें मलेशियाई सेना की 5वीं रॉयल बटालियन और भारत की राजपूत रेजिमेंट की एक बटालियन ने हिस्सा लिया था। इसके अलावा भारतीय सेना और सिंगापुर आर्म्ड फोर्सेज के बीच अग्नि योद्धा सैन्य अभ्यास 30 नवंबर को पूरा हो गया। महाराष्ट्र के देवलाली में हुआ यह युद्धाभ्यास इसका 13वां संस्करण था। तीन दिन चले अभ्यास में सिंगापुर आर्टिलरी के 182 और भारतीय सेना की आर्टिलरी रेजिमेंट के 114 जवान शामिल थे। असली जंग जैसे जोखिम, शहीद तक हो जाते हैं जवान कहने को युद्ध अभ्यास एक तरह के काल्पनिक युद्ध होते हैं, लेकिन इनमें जोखिम असली युद्ध जैसे ही होते हैं। इसकी वजह यह है कि अभ्यास के लिए भी असली हथियारों का इस्तेमाल होता है। इस दौरान हादसे भी होते हैं। ऐसा ही एक हादसा इसी साल 28 जून को हुआ था, जिसमें पांच जवान शहीद हुए थे। लद्दाख के दौलत बेग ओल्डी इलाके में श्योक नदी पर नदी पार करने का अभ्यास किया जा रहा था। अचानक आई बाढ़ में एक टी-72 टैंक बह गया और पांच जवान शहीद हो गए। दूसरे देशों के साथ युद्ध अभ्यास करने के दो कारण... पहला: कर्नल भोजराज सिंह (रिटायर्ड) बताते हैं कि यूएन (संयुक्त राष्ट्र) में 193 देश सदस्य हैं। इनमें 120 से ज्यादा देशों की आर्मी यूएन के लिए काम करती है। यूएन के नेतृत्व में कई देशों की आर्मी शांति बनाए रखने के लिए साथ में मिशन करती है। ऐसे में भारत की आर्मी भी यूएन के मिशन में जाती है। मिशन के दौरान कई देशों की आर्मी को साथ काम करते समय कई तरह के चैलेंज सामने आते हैं। जैसे- भाषा, कल्चर, भौगोलिक और कॉर्डिनेशन जैसे चैलेंज फेस करने पड़ते हैं। इन चैलेंज को दूर करने और मित्र देशों की आर्मी में कॉर्डिनेशन बेहतर करने के लिए युद्ध अभ्यास की परंपरा शुरू की गई थी। भारतीय सेना 30 से ज्यादा देशों के साथ युद्ध अभ्यास करती है। इनमें सबसे ज्यादा युद्धाभ्यास अमेरिका की आर्मी के साथ हुए हैं। दूसरा: हर देश की आर्मी की अपनी खासियत होती है। अमेरिकन आर्मी के पास सबसे ज्यादा एडवांस वैपन हैं। वे फिजिकली और मेंटली इंप्रूवमेंट के लिए वे दूसरे देश में जाकर युद्ध अभ्यास करते हैं। भारत सात देशों (चीन, पाकिस्तान, बांगलादेश, अफगानिस्तान, नेपाल, म्यांमर, भूटान) से बॉर्डर शेयर करता है। भारत के पश्चिम में रेगिस्तान, उत्तर में हिमालय, लद्दाख और सियाचीन में माइनस 23 डिग्री तापमान रहता है, वहीं, बांगलादेश से लगने वाले बॉर्डर पर नदियां और जंगल ज्यादा हैं। साउथ में समुद्र में अरब सागर की सीमा लगती है। भारतीय सेना के पास हर परिस्थिति का अनुभव है। यही कारण है कि ज्यादातर देश भारत की आर्मी के साथ युद्ध अभ्यास करते हैं। भारत और अमेरिका की आर्मी हर साल साथ में युद्ध अभ्यास करती है। दोनों देशों की आर्मी एक साल भारत में तो दूसरे साल अमेरिका में युद्ध अभ्यास करती हैं। कैसे होता है युद्धाभ्यास, 6 प्वाइंट... 1. दोनों देशों की आर्मी एक ही टीम में काम करती है मेजर जनरल रानू सिंह राठौड़ (रिटायर्ड) बताते हैं कि अभ्यास के दौरान दोनों देश की सेनाएं आमने-सामने नहीं लड़ती हैं। दोनों देश के जवानों को मिलाकर अलग-अलग टीमें बनाई जाती हैं। हर टीम में दोनों देशों के बराबर जवान रखे जाते हैं। 2. आतंकवादियों को मारने से लेकर बाढ़ में लोगों बचाने के टास्क युद्धाभ्यास अलग-अलग तरीकों से किया जाता है। इनमें डमी आतंकी ठिकानों पर हमला करने और सर्च ऑपरेशन से लेकर उनके कब्जे से लोगों को छुड़ाने जैसे ऑपरेशन्स को अंजाम दिया जाता है। बॉर्डर पर पेट्रोलिंग के दौरान तस्करों को पकड़ने, बाढ़ में लोगों को बचाने जैसे अभ्यास भी किए जाते हैं। साथ ही किसी आर्मी ऑपरेशन के लिए रवाना होने, रसद, एम्यूशन, मेडिकल पहुंचाने जैसे अभ्यास भी होते हैं। 4. टारगेट डमी, सेटअप असली युद्धाभ्यास के लिए डमी टारगेट रखे जाते हैं, लेकिन सेटअप बिलकुल असली जैसा होता है। उदाहरण के लिए किसी मकान में आतंकवादी छुपे हैं। टीम को वहां से बंधकों को छुड़ाने का टास्क मिला है। इसके लिए जगह-जगह आतंकवादियों के डमी छुपाकर रखे जाते हैं। ऐसे में उन्हें बिना नजर में आए हिट करने की एक्यूरेसी देखी जाती है। 5. असली युद्ध से भी मुश्किल होते हैं हालात अभ्यास में जवान को ज्यादा स्ट्रांग बनाने के लिए असली युद्ध से भी ज्यादा टफ कंडीशन दी जाती हैं। टीमों को बहुत ही कम राशन दिया जाता है। भीषण गर्मी में भी लिमिटेड पानी दिया जाता है। कई किलोमीटर पैदल चलना होता है। इस दौरान उन्हें कई अन्य हर्डल्स (बाधाएं) भी पार करने होते हैं। ऐसा इसलिए होता है ताकि जवान खराब से खराब हालात में भी ऑपरेशन को अंजाम देने के लिए तैयार हो सकें। 6. असली गोला-बारूद और हथियारों का इस्तेमाल करते हैं युद्धाभ्यास के दौरान बंदूक, टैंक, गोला-बारूद से लेकर मिसाइल तक सभी असली हथियारों का इस्तेमाल होता है। हालांकि, टारगेट डमी होते हैं। मिसाइल और टैंक के गोले दागने के लिए पुराने वाहनों को डमी टारगेट के तौर पर रखा जाता है।
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