भीमताल में ऐतिहासिक हरेला महोत्सव का आगाज़, कुमाउंनी संस्कृति की झलक 6 दिन तक
रैबार डेस्क: रामलीला मैदान मल्लीताल में भीमताल का ऐतिहासिक हरेला महोत्सव शुरू हो गया है।... The post भीमताल के ऐतिहासिक हरेला मेले की शुरुआत, 6 दिन तक दिखेगी कुमाउंनी संस्कृति की झलक appeared first on Uttarakhand Raibar.
भीमताल में ऐतिहासिक हरेला महोत्सव का आगाज़, कुमाउंनी संस्कृति की झलक 6 दिन तक
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कम शब्दों में कहें तो, भीमताल का ऐतिहासिक हरेला महोत्सव अब शुरू हो चुका है जो 21 जुलाई तक चलेगा। इस महोत्सव का उद्घाटन नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने किया। इस महोत्सव का मुख्य उद्देश्य कुमाउंनी संस्कृति को बढ़ावा देना और स्थानीय लोगों को अपने सांस्कृतिक धरोहर से जोड़ना है।
हरेला महोत्सव का महत्व
हरेला महोत्सव अपने आप में एक विशेष अवसर है, जो स्थानीय समुदाय के लिए अपने पारंपरिक रीति-रिवाजों का प्रदर्शन करने का एक मंच प्रदान करता है। इस महोत्सव में स्थानीय महिलाएं अपनी कुमाऊनी पोशाक में सजी-सजी गर्भिन की तरह नजर आती हैं और सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत करती हैं। इस वर्ष का महोत्सव हनुमान मंदिर मल्लीताल में हरेला चढ़ाने से शुरू हुआ, जिसमें स्थानीय लोगों की भारी भागीदारी रही।
सांस्कृतिक कार्यक्रम और वृक्षारोपण अभियान
भीमताल की सुरम्य वादियों में आयोजित इस हरेला महोत्सव में विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है। स्थानीय महिलाएं पारंपरिक नृत्यों और संगीत के जरिए कुमाऊनी संस्कृति को जीवंत कर रही हैं। इसके अलावा, इस महोत्सव के दौरान वृक्षारोपण अभियान भी चलाया जा रहा है, जिसमें स्कूली बच्चे और स्थानीय लोग बड़े उत्साह के साथ हिस्सा ले रहे हैं। यह पहल न केवल पर्यावरण की रक्षा करती है बल्कि स्थानीय समुदाय को एकजुट करने में भी मदद करती है।
मेले की भव्यता और आकर्षण
हरेला महोत्सव के दौरान मेले की भव्यता भी देखने योग्य है, जिसमें 200 से अधिक स्टॉल और झूले लगाए गए हैं। यहाँ स्थानीय खाद्य पदार्थों और हस्तशिल्प का अद्वितीय प्रदर्शन किया जा रहा है, जो मेला का मुख्य आकर्षण है। महोत्सव के शुभारंभ के मौके पर पूर्व विधायक संजीव आर्य, नगर पालिका अध्यक्ष सीमा टम्टा, मेला अधिकारी उप जिलाधिकारी नैनीताल नवाजे खलिक और अधिशासी अधिकारी उदयवीर सिंह ने भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराई।
निष्कर्ष
भीमताल का हरेला महोत्सव कुमाउंनी संस्कृति का जीवंत प्रदर्शन है, जो सामुदायिक एकता और पर्यावरण संरक्षण की भावना को उजागर करता है। यह आयोजन स्थानीय संस्कृति को संरक्षित करने का एक बेहतरीन अवसर प्रदान करता है और स्थानीय लोगों के लिए एक ऐसे उत्सव की तरह है, जहां वे अपने सांस्कृतिक धरोहर का जश्न मनाते हैं।
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