मणिपुर हिंसा-कुकी उग्रवादियों पर कार्रवाई करें, विधायकों का प्रस्ताव पास:चिदंबरम बोले- मोदी जिद छोड़कर वहां जाएं, लोगों से बात करें, मुख्यमंत्री को हटाएं
मणिपुर में हिंसा के चलते हालात बिगड़े हुए हैं। इस बीच, सोमवार को सत्ताधारी NDA और नेशनल पीपुल्स पार्टी (NPP) के 27 विधायकों की मीटिंग हुई। इसमें प्रस्ताव (रेजोल्यूशन) पास हुआ कि 7 दिन में कुकी उग्रवादियों के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की जाए। यह भी कहा कि जिरीबाम में 6 महिलाओं-बच्चों की मौत के लिए कुकी आतंकी ही जिम्मेदार हैं। मीटिंग में तय हुआ कि केंद्र, राज्य में लागू AFSPA का रीव्यू करेगा। राज्य सरकार ने इसका ऑर्डर 14 नवंबर को जारी किया था। जिरिबाम में 6 मैतेई महिलाओं-बच्चों और बिष्णुपुर में एक मैतेई महिला की हत्या की जांच राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) को सौंप दी गई है। कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने कहा- मणिपुर की समस्या से निजात पाने के लिए 5 हजार जवानों को भेजना हल नहीं है। मुख्यमंत्री बीरेन सिंह को तुरंत हटाना चाहिए। कुकी, मैतेई और नगा एक राज्य में रह सकते हैं, बशर्ते उन्हें क्षेत्रीय स्वायत्तता (Regional Autonomy) दी जाए। मणिपुर के कई जिलों में कर्फ्यू, इंटरनेट बंद मणिपुर के 9 में से 7 जिलों में हिंसा का असर है। मणिपुर सरकार ने 7 जिलों इंफाल पश्चिम, इंफाल पूर्व, बिष्णुपुर, काकचिंग, कांगपोकपी, थौबल और चुराचांदपुर में इंटरनेट-मोबाइल सर्विस लगा बैन 20 नवंबर बढ़ा दिया। सभी 7 जिलों स्कूल-कॉलेज और दूसरी संस्थाएं 20 नवंबर तक बंद रखने के आदेश दिए हैं। सुरक्षाबलों सड़कों पर गश्त कर रहे हैं। सीएम बीरेन सिंह के आवास और राजभवन की सुरक्षा और बढ़ाई गई है। सेंट्रल आर्म्ड पुलिस फोर्स (CAPF) की अतिरिक्त 50 कंपनियां (5 हजार जवान) मणिपुर भेजने का फैसला किया गया है। मणिपुर में हालात क्यों बिगड़े 11 नवंबर को सुरक्षाबलों ने जिरिबाम में 10 कुकी उग्रवादियों को मार गिराया था। मुठभेड़ के दौरान कुकी उग्रवादियों ने 6 मैतेई (3 महिलाओं, 3 बच्चों) को किडनैप किया था। पांच के शव 15-16 नवंबर को बरामद हुए थे, एक शव सोमवार18 नवंबर को मिला। 16 नवंबर को CM एन बीरेन सिंह और भाजपा विधायकों के घरों पर हमले हुए थे। वहीं, कुछ मंत्रियों सहित भाजपा के 19 विधायकों ने CM बीरेन सिंह को हटाने की मांग करते हुए प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) को पत्र लिखा जिरिबाम जिले में 17 नवंबर की रात पुलिस की गोली से मैतेई प्रदर्शनकारी की मौत हो गई थी, जिसके बाद से हालात और बिगड़ गए। CRPF के डीजी अनीश दयाल सिंह 17 नवंबर को हिंसा का जायजा लेने के लिए मणिपुर पहुंचे। वे 3 मामले जिनकी जांच NIA के हाथ में खड़गे बोले- मणिपुर के लोग मोदी को माफ नहीं करेंगे कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि भाजपा चाहती है कि मणिपुर जले। वह नफरत और बांटने वाली राजनीति कर रही है। 7 नवंबर से अब तक राज्य में 17 लोगों की जान जा चुकी है। कई अन्य जिलों में हिंसा भड़क रही है। मणिपुर के मामले में आप (PM मोदी) फेल रहे। अगर कभी भविष्य में आप मणिपुर गए तो वहां के लोग कभी आपको माफ नहीं करेंगे। वे कभी ये नहीं भूलेंगे कि आपने उन्हें उनके हाल पर छोड़ दिया। मणिपुर में नवंबर में हिंसा मणिपुर में करीब 500 दिन से हिंसा जारी
कुकी-मैतेई के बीच चल रही हिंसा को लगभग 500 दिन हो गए। इस दौरान 237 मौतें हुईं, 1500 से ज्यादा लोग जख्मी हुए, 60 हजार लोग घर छोड़कर रिलीफ कैंप में रह रहे हैं। करीब 11 हजार FIR दर्ज की गईं और 500 लोगों को अरेस्ट किया गया। इस दौरान महिलाओं की न्यूड परेड, गैंगरेप, जिंदा जलाने और गला काटने जैसी घटनाएं हुईं। अब भी मणिपुर दो हिस्सों में बंटा हैं। पहाड़ी जिलों में कुकी हैं और मैदानी जिलों में मैतेई। दोनों के बीच सरहदें खिचीं हैं, जिन्हें पार करने का मतलब है मौत। स्कूल- मोबाइल इंटरनेट बंद किए गए। मणिपुर में अचानक बढ़ी हिंसक घटनाओं के बाद राज्य सरकार ने 10 सितंबर को 5 दिन के लिए इंटरनेट पर बैन लगाया था। हालांकि 12 सितंबर को ब्रॉडबेन्ड इंटरनेट से बैन हटा लिया गया था। 4 पॉइंट्स में समझिए मणिपुर हिंसा की वजह...
मणिपुर की आबादी करीब 38 लाख है। यहां तीन प्रमुख समुदाय हैं- मैतेई, नगा और कुकी। मैतई ज्यादातर हिंदू हैं। नगा-कुकी ईसाई धर्म को मानते हैं। ST वर्ग में आते हैं। इनकी आबादी करीब 50% है। राज्य के करीब 10% इलाके में फैली इंफाल घाटी मैतेई समुदाय बहुल ही है। नगा-कुकी की आबादी करीब 34 प्रतिशत है। ये लोग राज्य के करीब 90% इलाके में रहते हैं। कैसे शुरू हुआ विवाद: मैतेई समुदाय की मांग है कि उन्हें भी जनजाति का दर्जा दिया जाए। समुदाय ने इसके लिए मणिपुर हाई कोर्ट में याचिका लगाई। समुदाय की दलील थी कि 1949 में मणिपुर का भारत में विलय हुआ था। उससे पहले उन्हें जनजाति का ही दर्जा मिला हुआ था। इसके बाद हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से सिफारिश की कि मैतेई को अनुसूचित जनजाति (ST) में शामिल किया जाए। मैतेई का तर्क क्या है: मैतेई जनजाति वाले मानते हैं कि सालों पहले उनके राजाओं ने म्यांमार से कुकी काे युद्ध लड़ने के लिए बुलाया था। उसके बाद ये स्थायी निवासी हो गए। इन लोगों ने रोजगार के लिए जंगल काटे और अफीम की खेती करने लगे। इससे मणिपुर ड्रग तस्करी का ट्राएंगल बन गया है। यह सब खुलेआम हो रहा है। इन्होंने नागा लोगों से लड़ने के लिए आर्म्स ग्रुप बनाया। नगा-कुकी विरोध में क्यों हैं: बाकी दोनों जनजाति मैतेई समुदाय को आरक्षण देने के विरोध में हैं। इनका कहना है कि राज्य की 60 में से 40 विधानसभा सीट पहले से मैतेई बहुल इंफाल घाटी में हैं। ऐसे में ST वर्ग में मैतेई को आरक्षण मिलने से उनके अधिकारों का बंटवारा होगा। सियासी समीकरण क्या हैं: मणिपुर के 60 विधायकों में से 40 विधायक मैतेई और 20 विधायक नगा-कुकी जनजाति से हैं। अब तक 12 CM में से दो ही जनजाति से रहे हैं। ........................ मणिपुर में हिंसा से जुड़ी ये खबरें भी पढ़ें... मणिपुर के 6 इलाकों में AFSPA फिर से लागू मणिपुर के 5 जिलों के 6 थानों में फिर से आर्म्ड फोर्सेस स्पेशल प्रोटेक्शन एक्ट (AFSPA) लागू कर दिया गया है। यह 31 मार्च 2025 तक प्रभावी रहेगा। गृह मंत्रालय ने गुरुवार को इसक
मणिपुर में हिंसा के चलते हालात बिगड़े हुए हैं। इस बीच, सोमवार को सत्ताधारी NDA और नेशनल पीपुल्स पार्टी (NPP) के 27 विधायकों की मीटिंग हुई। इसमें प्रस्ताव (रेजोल्यूशन) पास हुआ कि 7 दिन में कुकी उग्रवादियों के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की जाए। यह भी कहा कि जिरीबाम में 6 महिलाओं-बच्चों की मौत के लिए कुकी आतंकी ही जिम्मेदार हैं। मीटिंग में तय हुआ कि केंद्र, राज्य में लागू AFSPA का रीव्यू करेगा। राज्य सरकार ने इसका ऑर्डर 14 नवंबर को जारी किया था। जिरिबाम में 6 मैतेई महिलाओं-बच्चों और बिष्णुपुर में एक मैतेई महिला की हत्या की जांच राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) को सौंप दी गई है। कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने कहा- मणिपुर की समस्या से निजात पाने के लिए 5 हजार जवानों को भेजना हल नहीं है। मुख्यमंत्री बीरेन सिंह को तुरंत हटाना चाहिए। कुकी, मैतेई और नगा एक राज्य में रह सकते हैं, बशर्ते उन्हें क्षेत्रीय स्वायत्तता (Regional Autonomy) दी जाए। मणिपुर के कई जिलों में कर्फ्यू, इंटरनेट बंद मणिपुर के 9 में से 7 जिलों में हिंसा का असर है। मणिपुर सरकार ने 7 जिलों इंफाल पश्चिम, इंफाल पूर्व, बिष्णुपुर, काकचिंग, कांगपोकपी, थौबल और चुराचांदपुर में इंटरनेट-मोबाइल सर्विस लगा बैन 20 नवंबर बढ़ा दिया। सभी 7 जिलों स्कूल-कॉलेज और दूसरी संस्थाएं 20 नवंबर तक बंद रखने के आदेश दिए हैं। सुरक्षाबलों सड़कों पर गश्त कर रहे हैं। सीएम बीरेन सिंह के आवास और राजभवन की सुरक्षा और बढ़ाई गई है। सेंट्रल आर्म्ड पुलिस फोर्स (CAPF) की अतिरिक्त 50 कंपनियां (5 हजार जवान) मणिपुर भेजने का फैसला किया गया है। मणिपुर में हालात क्यों बिगड़े 11 नवंबर को सुरक्षाबलों ने जिरिबाम में 10 कुकी उग्रवादियों को मार गिराया था। मुठभेड़ के दौरान कुकी उग्रवादियों ने 6 मैतेई (3 महिलाओं, 3 बच्चों) को किडनैप किया था। पांच के शव 15-16 नवंबर को बरामद हुए थे, एक शव सोमवार18 नवंबर को मिला। 16 नवंबर को CM एन बीरेन सिंह और भाजपा विधायकों के घरों पर हमले हुए थे। वहीं, कुछ मंत्रियों सहित भाजपा के 19 विधायकों ने CM बीरेन सिंह को हटाने की मांग करते हुए प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) को पत्र लिखा जिरिबाम जिले में 17 नवंबर की रात पुलिस की गोली से मैतेई प्रदर्शनकारी की मौत हो गई थी, जिसके बाद से हालात और बिगड़ गए। CRPF के डीजी अनीश दयाल सिंह 17 नवंबर को हिंसा का जायजा लेने के लिए मणिपुर पहुंचे। वे 3 मामले जिनकी जांच NIA के हाथ में खड़गे बोले- मणिपुर के लोग मोदी को माफ नहीं करेंगे कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि भाजपा चाहती है कि मणिपुर जले। वह नफरत और बांटने वाली राजनीति कर रही है। 7 नवंबर से अब तक राज्य में 17 लोगों की जान जा चुकी है। कई अन्य जिलों में हिंसा भड़क रही है। मणिपुर के मामले में आप (PM मोदी) फेल रहे। अगर कभी भविष्य में आप मणिपुर गए तो वहां के लोग कभी आपको माफ नहीं करेंगे। वे कभी ये नहीं भूलेंगे कि आपने उन्हें उनके हाल पर छोड़ दिया। मणिपुर में नवंबर में हिंसा मणिपुर में करीब 500 दिन से हिंसा जारी
कुकी-मैतेई के बीच चल रही हिंसा को लगभग 500 दिन हो गए। इस दौरान 237 मौतें हुईं, 1500 से ज्यादा लोग जख्मी हुए, 60 हजार लोग घर छोड़कर रिलीफ कैंप में रह रहे हैं। करीब 11 हजार FIR दर्ज की गईं और 500 लोगों को अरेस्ट किया गया। इस दौरान महिलाओं की न्यूड परेड, गैंगरेप, जिंदा जलाने और गला काटने जैसी घटनाएं हुईं। अब भी मणिपुर दो हिस्सों में बंटा हैं। पहाड़ी जिलों में कुकी हैं और मैदानी जिलों में मैतेई। दोनों के बीच सरहदें खिचीं हैं, जिन्हें पार करने का मतलब है मौत। स्कूल- मोबाइल इंटरनेट बंद किए गए। मणिपुर में अचानक बढ़ी हिंसक घटनाओं के बाद राज्य सरकार ने 10 सितंबर को 5 दिन के लिए इंटरनेट पर बैन लगाया था। हालांकि 12 सितंबर को ब्रॉडबेन्ड इंटरनेट से बैन हटा लिया गया था। 4 पॉइंट्स में समझिए मणिपुर हिंसा की वजह...
मणिपुर की आबादी करीब 38 लाख है। यहां तीन प्रमुख समुदाय हैं- मैतेई, नगा और कुकी। मैतई ज्यादातर हिंदू हैं। नगा-कुकी ईसाई धर्म को मानते हैं। ST वर्ग में आते हैं। इनकी आबादी करीब 50% है। राज्य के करीब 10% इलाके में फैली इंफाल घाटी मैतेई समुदाय बहुल ही है। नगा-कुकी की आबादी करीब 34 प्रतिशत है। ये लोग राज्य के करीब 90% इलाके में रहते हैं। कैसे शुरू हुआ विवाद: मैतेई समुदाय की मांग है कि उन्हें भी जनजाति का दर्जा दिया जाए। समुदाय ने इसके लिए मणिपुर हाई कोर्ट में याचिका लगाई। समुदाय की दलील थी कि 1949 में मणिपुर का भारत में विलय हुआ था। उससे पहले उन्हें जनजाति का ही दर्जा मिला हुआ था। इसके बाद हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से सिफारिश की कि मैतेई को अनुसूचित जनजाति (ST) में शामिल किया जाए। मैतेई का तर्क क्या है: मैतेई जनजाति वाले मानते हैं कि सालों पहले उनके राजाओं ने म्यांमार से कुकी काे युद्ध लड़ने के लिए बुलाया था। उसके बाद ये स्थायी निवासी हो गए। इन लोगों ने रोजगार के लिए जंगल काटे और अफीम की खेती करने लगे। इससे मणिपुर ड्रग तस्करी का ट्राएंगल बन गया है। यह सब खुलेआम हो रहा है। इन्होंने नागा लोगों से लड़ने के लिए आर्म्स ग्रुप बनाया। नगा-कुकी विरोध में क्यों हैं: बाकी दोनों जनजाति मैतेई समुदाय को आरक्षण देने के विरोध में हैं। इनका कहना है कि राज्य की 60 में से 40 विधानसभा सीट पहले से मैतेई बहुल इंफाल घाटी में हैं। ऐसे में ST वर्ग में मैतेई को आरक्षण मिलने से उनके अधिकारों का बंटवारा होगा। सियासी समीकरण क्या हैं: मणिपुर के 60 विधायकों में से 40 विधायक मैतेई और 20 विधायक नगा-कुकी जनजाति से हैं। अब तक 12 CM में से दो ही जनजाति से रहे हैं। ........................ मणिपुर में हिंसा से जुड़ी ये खबरें भी पढ़ें... मणिपुर के 6 इलाकों में AFSPA फिर से लागू मणिपुर के 5 जिलों के 6 थानों में फिर से आर्म्ड फोर्सेस स्पेशल प्रोटेक्शन एक्ट (AFSPA) लागू कर दिया गया है। यह 31 मार्च 2025 तक प्रभावी रहेगा। गृह मंत्रालय ने गुरुवार को इसका आदेश जारी किया। मंत्रालय ने कहा कि इन इलाकों में बिगड़ती सुरक्षा स्थिति के चलते फैसला लिया गया। AFSPA लागू होने से सेना और अर्ध-सैनिक बल इन इलाकों में कभी भी किसी को भी पूछताछ के लिए हिरासत में ले सकते हैं। पूरी खबर पढ़ें ...