महराजगंज में 5 नवंबर से शुरू होगा छठ महापर्व:घाटों की कराई जा रही सफाई, 8 नवंबर को उगते सूर्य को दिया जाएगा अर्घ्य

महराजगंज में 5 नवंबर से शुरू होने छठ महा पर्व के पहले दिन नहाए-खाए की परंपरा निभाई जाएगी। चार दिनों तक चलने वाले इस महापर्व के लिए शहर के विभिन्न छठ घाटों पर रंगाई-पुताई, साफ-सफाई का कार्य तेज हो गया है। महराजगंज में बड़ी संख्या में लोग इस पर्व को धूमधाम से मनाते हैं। जिससे प्रमुख घाटों की सुंदरता और व्यवस्था पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। शहर के बाजारों में पूजन सामग्रियों की दुकानें सजने लगी हैं। छठ पर्व में सूर्य देवता की पत्नी उषा और माता छठी की पूजा की जाती है। पुराणों में सूर्य पूजा का विशेष महत्व बताया गया है। 5 नवंबर को नहाए-खाए के साथ पर्व की शुरुआत होगी। इस दिन व्रत रखने वाली महिलाएं चने की दाल, लौकी और भात का प्रसाद ग्रहण करेंगी। दूसरे दिन, 6 नवंबर को खरना का आयोजन होगा। जिसमें गुड़ की खीर और रोटी का प्रसाद ग्रहण किया जाएगा। इसके साथ ही 36 घंटे का निर्जल व्रत प्रारंभ होगा। 7 नवंबर को डूबते सूर्य को पहला अर्घ्य अर्पित किया जाएगा और 8 नवंबर को उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही व्रत का समापन होगा। व्रत के लिए ठेकुआ का प्रसाद विशेष रूप से तैयार किया जा रहा है। पर्व की बढ़ती महत्ता को देखते हुए बाजारों में रौनक बढ़ गई है। जहां व्रती महिलाओं और उनके परिवारों के सदस्य कपड़े और पूजा के सामानों की खरीदारी करते नजर आ रहे हैं।

Nov 4, 2024 - 16:35
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महराजगंज में 5 नवंबर से शुरू होगा छठ महापर्व:घाटों की कराई जा रही सफाई, 8 नवंबर को उगते सूर्य को दिया जाएगा अर्घ्य
महराजगंज में 5 नवंबर से शुरू होने छठ महा पर्व के पहले दिन नहाए-खाए की परंपरा निभाई जाएगी। चार दिनों तक चलने वाले इस महापर्व के लिए शहर के विभिन्न छठ घाटों पर रंगाई-पुताई, साफ-सफाई का कार्य तेज हो गया है। महराजगंज में बड़ी संख्या में लोग इस पर्व को धूमधाम से मनाते हैं। जिससे प्रमुख घाटों की सुंदरता और व्यवस्था पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। शहर के बाजारों में पूजन सामग्रियों की दुकानें सजने लगी हैं। छठ पर्व में सूर्य देवता की पत्नी उषा और माता छठी की पूजा की जाती है। पुराणों में सूर्य पूजा का विशेष महत्व बताया गया है। 5 नवंबर को नहाए-खाए के साथ पर्व की शुरुआत होगी। इस दिन व्रत रखने वाली महिलाएं चने की दाल, लौकी और भात का प्रसाद ग्रहण करेंगी। दूसरे दिन, 6 नवंबर को खरना का आयोजन होगा। जिसमें गुड़ की खीर और रोटी का प्रसाद ग्रहण किया जाएगा। इसके साथ ही 36 घंटे का निर्जल व्रत प्रारंभ होगा। 7 नवंबर को डूबते सूर्य को पहला अर्घ्य अर्पित किया जाएगा और 8 नवंबर को उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही व्रत का समापन होगा। व्रत के लिए ठेकुआ का प्रसाद विशेष रूप से तैयार किया जा रहा है। पर्व की बढ़ती महत्ता को देखते हुए बाजारों में रौनक बढ़ गई है। जहां व्रती महिलाओं और उनके परिवारों के सदस्य कपड़े और पूजा के सामानों की खरीदारी करते नजर आ रहे हैं।

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