महाराजगंज में चायनीज लहसुन की तस्करी:भारत-नेपाल सीमा पर सुरक्षा एजेंसियों की निगरानी फेल

महाराजगंज जनपद के भारत-नेपाल सीमा पर चायनीज लहसुन की तस्करी फिर से तेज हो गई है। सुरक्षा कर्मियों की कड़ी निगरानी के बावजूद तस्कर अपने हौसले बुलंद किए हुए हैं। दिन में सीमा पर लहसुन का भंडारण कर रात के अंधेरे में इसे भारत की सीमा में पहुंचाया जा रहा है। नेपाल में चायनीज लहसुन ₹70 प्रति किलो के हिसाब से बिक रही है, जबकि भारत में पहुंचने के बाद इसका मूल्य ₹280 प्रति किलो तक हो जाता है। इस भारी मुनाफे के कारण तस्कर लगातार सक्रिय हैं और सीमावर्ती क्षेत्रों में धड़ल्ले से तस्करी का कारोबार कर रहे हैं। दिनदहाड़े तस्करी, सुरक्षा एजेंसियां नाकाम तस्कर कभी-कभी दिनदहाड़े पिकअप वाहनों के जरिए लहसुन और चावल की तस्करी कर रहे हैं। शीतलपुर और बहुवर मार्ग पर तस्करों की गतिविधियां सबसे ज्यादा देखी जा रही हैं। नेपाली क्षेत्र में बने गोदामों में तस्कर लहसुन का भंडारण कर भारत की सीमा में पहुंचा रहे हैं। लक्ष्मीपुर खुर्द गांव में चायनीज लहसुन और चावल के बड़े पैमाने पर भंडारण की खबरें हैं। ग्रामीणों का आरोप है कि सुरक्षा में तैनात कर्मी मूकदर्शक बने हुए हैं, जिससे तस्करों को हौसला मिल रहा है। कस्टम विभाग का दावा और जमीनी हकीकत कस्टम अधीक्षक ने बताया कि तस्करी पर रोक लगाने के लिए सभी संभव प्रयास किए जा रहे हैं। जांच के दौरान प्रतिबंधित वस्तुएं पकड़ी जाती हैं तो उन्हें जब्त कर कार्रवाई की जाती है। साथ ही सुरक्षा एजेंसियों की मदद से तस्करों पर नजर रखी जा रही है। हालांकि, जमीनी स्तर पर तस्करों के हौसले बुलंद हैं, और दिन-ब-दिन यह गतिविधियां बढ़ रही हैं। ग्रामीणों का कहना है कि प्रशासनिक कार्रवाई में लापरवाही के चलते तस्करी पर पूरी तरह अंकुश नहीं लग पा रहा है। तस्करी के बढ़ते कदम, प्रशासन के लिए चुनौती भारत-नेपाल सीमा पर तस्करी को रोकना प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती बन गया है। लहसुन की तस्करी से तस्कर मालामाल हो रहे हैं, जबकि सुरक्षा एजेंसियां अभी तक ठोस कार्रवाई करने में असफल साबित हुई हैं।

Nov 29, 2024 - 10:25
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महाराजगंज में चायनीज लहसुन की तस्करी:भारत-नेपाल सीमा पर सुरक्षा एजेंसियों की निगरानी फेल
महाराजगंज जनपद के भारत-नेपाल सीमा पर चायनीज लहसुन की तस्करी फिर से तेज हो गई है। सुरक्षा कर्मियों की कड़ी निगरानी के बावजूद तस्कर अपने हौसले बुलंद किए हुए हैं। दिन में सीमा पर लहसुन का भंडारण कर रात के अंधेरे में इसे भारत की सीमा में पहुंचाया जा रहा है। नेपाल में चायनीज लहसुन ₹70 प्रति किलो के हिसाब से बिक रही है, जबकि भारत में पहुंचने के बाद इसका मूल्य ₹280 प्रति किलो तक हो जाता है। इस भारी मुनाफे के कारण तस्कर लगातार सक्रिय हैं और सीमावर्ती क्षेत्रों में धड़ल्ले से तस्करी का कारोबार कर रहे हैं। दिनदहाड़े तस्करी, सुरक्षा एजेंसियां नाकाम तस्कर कभी-कभी दिनदहाड़े पिकअप वाहनों के जरिए लहसुन और चावल की तस्करी कर रहे हैं। शीतलपुर और बहुवर मार्ग पर तस्करों की गतिविधियां सबसे ज्यादा देखी जा रही हैं। नेपाली क्षेत्र में बने गोदामों में तस्कर लहसुन का भंडारण कर भारत की सीमा में पहुंचा रहे हैं। लक्ष्मीपुर खुर्द गांव में चायनीज लहसुन और चावल के बड़े पैमाने पर भंडारण की खबरें हैं। ग्रामीणों का आरोप है कि सुरक्षा में तैनात कर्मी मूकदर्शक बने हुए हैं, जिससे तस्करों को हौसला मिल रहा है। कस्टम विभाग का दावा और जमीनी हकीकत कस्टम अधीक्षक ने बताया कि तस्करी पर रोक लगाने के लिए सभी संभव प्रयास किए जा रहे हैं। जांच के दौरान प्रतिबंधित वस्तुएं पकड़ी जाती हैं तो उन्हें जब्त कर कार्रवाई की जाती है। साथ ही सुरक्षा एजेंसियों की मदद से तस्करों पर नजर रखी जा रही है। हालांकि, जमीनी स्तर पर तस्करों के हौसले बुलंद हैं, और दिन-ब-दिन यह गतिविधियां बढ़ रही हैं। ग्रामीणों का कहना है कि प्रशासनिक कार्रवाई में लापरवाही के चलते तस्करी पर पूरी तरह अंकुश नहीं लग पा रहा है। तस्करी के बढ़ते कदम, प्रशासन के लिए चुनौती भारत-नेपाल सीमा पर तस्करी को रोकना प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती बन गया है। लहसुन की तस्करी से तस्कर मालामाल हो रहे हैं, जबकि सुरक्षा एजेंसियां अभी तक ठोस कार्रवाई करने में असफल साबित हुई हैं।

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