महिला आयोग और दून पुलिस ने NARI-2025 रिपोर्ट को किया खारिज, कहा भ्रामक और आधारहीन

देहरादून: विगत दिनों एक निजी सर्वे कम्पनी/डेटा साइंस कम्पनी “पी वैल्यू एनालिटिक्स“ द्वारा समाचार पत्रों के माध्यम से NARI-2025 शीर्षक के साथ एक सर्वे रिपोर्ट प्रकाशित की गई है, जिसमें देहरादून को देश के 10 असुरक्षित शहरों में सम्मिलित किया गया है। राज्य महिला आयोग द्वारा स्पष्ट किया गया है कि उक्त सर्वेक्षण न तो […] The post महिला आयोग के बाद दून पुलिस ने भी NARI-2025 रिपोर्ट को नकारा, बताया भ्रामक और तथ्यहीन first appeared on Vision 2020 News.

Sep 3, 2025 - 09:27
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महिला आयोग और दून पुलिस ने NARI-2025 रिपोर्ट को किया खारिज, कहा भ्रामक और आधारहीन
देहरादून: विगत दिनों एक निजी सर्वे कम्पनी/डेटा साइंस कम्पनी “पी वैल्यू एनालिटिक्स“ द्वारा समाचा

महिला आयोग और दून पुलिस ने NARI-2025 रिपोर्ट को किया खारिज, कहा भ्रामक और आधारहीन

देहरादून: विगत दिनों, एक निजी सर्वे कम्पनी “पी वैल्यू एनालिटिक्स“ द्वारा प्रकाशित रिपोर्ट में देहरादून को देश के 10 असुरक्षित शहरों में शामिल किया गया था। इस पर राज्य महिला आयोग ने स्पष्ट कर दिया कि यह सर्वेक्षण न तो राष्ट्रीय महिला आयोग द्वारा कराई गई थी और न ही किसी अन्य सरकारी संस्था द्वारा। उन्होंने इसे निजी सर्वे कम्पनी का स्वतंत्र काम बताया, जो अपराध के आंकड़ों के बजाय व्यक्तिगत धारणाओं पर आधारित है।

सर्वे की रिपोर्ट: तथ्य और झूठ

रिपोर्ट में बताया गया है कि सर्वेक्षण देश के 31 शहरों में किया गया था और यह CATI (Computer-Assisted Telephonic Interviews) और CAPI (Computer-Assisted Personal Interviews) पर आधारित था। इसका मतलब है कि सर्वेक्षण कम्पनी ने महिलाओं से भौतिक रूप से संवाद नहीं किया। इससे अवगति के साथ, केवल 12,770 महिलाओं से टेलीफोनिक वार्ता कर निष्कर्ष निकाले गए, जबकि देहरादून की महिला जनसंख्या लगभग 9 लाख है।

महिला सुरक्षा के आंकड़े

रिपोर्ट में कहा गया है कि मात्र 4% महिलाएं तकनीकी सुविधाओं का उपयोग कर रही हैं, जबकि गौरा शक्ति ऐप में 1.25 लाख रजिस्ट्रेशन हो चुके हैं, जिसमें से 16,649 केवल देहरादून जनपद के हैं। डायल 112, उत्तराखण्ड पुलिस ऐप, सीएम हेल्पलाइन जैसी सुविधाओं का नियमित प्रयोग भी किया जा रहा है, जो इस सर्वेक्षण की विश्वसनीयता पर प्रश्न खड़ा करता है।

पुलिस का दृष्टिकोण

सर्वेक्षण में दो मुख्य मानकों पर पुलिस से जुड़े मुद्दों की जांच की गई - पुलिस पेट्रोलिंग और क्राइम रेट। कोहिमा को सबसे सुरक्षित शहर बताते हुए उसका स्कोर 11% दर्शाया गया, जबकि देहरादून का स्कोर 33% है। इससे साफ होता है कि देहरादून के निवासियों को सुरक्षा की भावना और भी मजबूत है।

महिलाओं की शिकायतों की प्रवृत्ति

जनपद देहरादून में अगस्त माह में डायल 112 के माध्यम से प्राप्त कुल 12,354 शिकायतों में से सिर्फ 2,287 (18%) महिलाएं संबंधित थीं। इनमें से 1,664 घरेलू झगड़ों से सम्बंधित थीं, जबकि केवल 11 शिकायतें लैंगिक हमलों/छेड़खानी से संबंधित थीं। ये आंकड़े दर्शाते हैं कि महिलाओं से जुड़ी शिकायतों में छेड़खानी की शिकायतें बेहद कम हैं, जो कि केवल 1% से भी कम हैं।

शिक्षा और सुरक्षा

वर्तमान में लगभग 70,000 छात्र-छात्राएं देहरादून में पढ़ाई कर रही हैं, जिनमें 43% छात्राएं हैं। यहां के छात्र-छात्राओं का कहना है कि उन्हें स्थायी और सुरक्षित परिवेश में शिक्षा ग्रहण करने में कोई परेशानी नहीं होती।

महिला सुरक्षा के लिए उठाए गए कदम

महिला समस्याओं के समाधान के लिए स्थानीय थानों पर महिला हेल्प शुरू की गई है। उत्तराखंड पुलिस एप में S.O.S. बटन और वन स्टॉप सेंटर की सुविधाएं मौजूद हैं। इसके अलावा, जनपद में 13 गौरा चीता और पिंक बूथ स्थापित किए गए हैं। नियमित रूप से महिलाओं के लिए आत्मरक्षा प्रशिक्षण शिविर भी आयोजित किए जा रहे हैं।

अंतिम विचार

महिला आयोग और दून पुलिस ने सम्पूर्ण तथ्यों और आंकड़ों के आधार पर एक निर्णायक बयान दिया है कि देहरादून को 10 असुरक्षित शहरों में रखना उचित नहीं है। यह स्पष्ट है कि सर्वेक्षण के मूल आधार में न केवल तथ्य, बल्कि सांस्कृतिक और भौगोलिक भिन्नताओं का भी ध्यान नहीं रखा गया है।

कम शब्दों में कहें तो, यह रिपोर्ट तथ्यों पर आधारित नहीं है और महिला सुरक्षा के संबंध में जो भी कदम उठाए गए हैं, वे प्रमाणित और सार्थक हैं। सुरक्षित और विकसित होते देहरादून में, सर्वेक्षण की प्रक्रिया को और उचित एवं वैज्ञानिक आधार पर लाना आवश्यक है।

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संपादित किया गया: टीम इंडिया टुडे, सुमित्रा For more updates, visit India Twoday

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