मुख्यमंत्री धामी की नवीनतम पहल से संस्कृत का पुनरुत्थान, 13 गांव बने आदर्श संस्कृत ग्राम
देवभूमि उत्तराखंड में संस्कृत भाषा को पुनः जनजीवन का हिस्सा बनाने की दिशा में एक ऐतिहासिक पहल करते हुए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने रविवार को देहरादून के भोगपुर गांव से राज्य के 13 जिलों में…

मुख्यमंत्री धामी की नवीनतम पहल से संस्कृत का पुनरुत्थान, 13 गांव बने आदर्श संस्कृत ग्राम
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कम शब्दों में कहें तो, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने राज्य भर में संस्कृत को पुनः जीवन में लाने के लिए ऐतिहासिक कदम उठाया है, जिससे 13 आदर्श संस्कृत ग्रामों का शुभारंभ किया गया है। यह पहल न केवल संस्कृत के संरक्षण के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि राज्य की सांस्कृतिक धरोहर को भी समृद्ध करेगी।
देवभूमि उत्तराखंड में, मुख्यमंत्री धामी ने रविवार को देहरादून के भोगपुर गांव से 13 जिलों में आदर्श संस्कृत ग्रामों का शुभारंभ किया। यह अनूठा कदम, संस्कृत भाषा को जनजीवन का अभिन्न हिस्सा बनाने की दिशा में एक बड़ा प्रयास है और उत्तराखंड को देश का पहला राज्य बनाता है जो संस्कृत संरक्षण एवं संवर्धन के लिए इस स्तर पर कार्यरत है।
संस्कृत भाषा का महत्व
संस्कृत, जिसे देववाणी भी कहा जाता है, भारतीय संस्कृति, धार्मिक ग्रंथों, ज्ञान और साहित्य का आधार है। फिर भी, इसकी प्रासंगिकता पिछले कुछ दशकों में कम हो गई है। मुख्यमंत्री धामी की पहल न केवल संस्कृत के प्रति जागरूकता बढ़ाएगी, बल्कि इसे पुनः हमारे जीवन में एक महत्वपूर्ण स्थान दिलाने का प्रयास भी है।
आदर्श संस्कृत ग्रामों का शुभारंभ
इन आदर्श संस्कृत ग्रामों का मुख्य उद्देश्य शैक्षणिक वातावरण को संस्कृत भाषा का केंद्र बनाना है। यहाँ विशेष कोर्स और गतिविधियाँ आयोजित की जाएंगी, जो बच्चों को संस्कृत में रुचि बढ़ाने के साथ-साथ, स्थानीय संस्कृति और परंपराओं को लेकर एक नई सोच विकसित करेंगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि इन ग्रामों में पुरानी संस्कृत विधाओं का भी अभ्यास कराया जाएगा, जिससे युवा पीढ़ी संस्कृत की ओर आकर्षित होगी।
नवीनता और सोच
मुख्यमंत्री धामी के अनुसार, यह पहल उत्तराखंड को एक सांस्कृतिक उपद्रव के रूप में पहचान दिलाएगी और राज्य की शिक्षा प्रणाली को एक नई दिशा देने में सहायक होगी। उनका मानना है कि यह कदम अन्य राज्यों के लिए भी प्रेरणा का स्रोत बन सकता है। यह समय की मांग है कि हम अपनी सांस्कृतिक पहचान को एक बार फिर जीवित करें और इसे भावी पीढ़ियों तक पहुँचाएं।
समुदाय की भागीदारी
स्थानीय समुदाय ने इस पहल का गर्मजोशी से स्वागत किया है। गांववासियों ने अपनी भागीदारी का आश्वासन दिया है। ग्राम प्रधान और जनप्रतिनिधियों का मानना है कि इससे बच्चों को संस्कृत सीखने का अवसर मिलेगा और यह गांव की सामाजिक सहित सांस्कृतिक गतिविधियों को भी समृद्ध करेगा।
निष्कर्ष
मुख्यमंत्री धामी की यह पहल उत्तराखंड को संस्कृत भाषा के दीदार के लिए एक आदर्श नमूना बना रही है। आशा की जाती है कि यह कदम अन्य राज्यों के लिए प्रेरणादायक होगा और भारतीय समाज में संस्कृत के प्रति नयी सोच एवं जागरूकता लाएगा। हमें संस्कृत को एक जीवंत और प्रासंगिक भाषा के रूप में स्थापित करने की दिशा में सक्रिय कार्य करना होगा, और यह पहल उसी दिशा में महत्वपूर्ण कदम है।
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