मोहम्मद बरकतउल्ला: अंतरराष्ट्रीय क्रांतिकारी की 171वीं जयंती पर श्रद्धांजलि

प्रशांत सी. बाजपेयी भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के अंतरराष्ट्रीय स्तर पर संघर्ष करने वाले महान क्रांतिकारी, देशभक्त मोहम्मद बरकतउल्ला की 171वीं जयंती पर पूरे देश में श्रद्धांजलि अर्पित की जा रही है। वे उन गिने-चुने योद्धाओं में से थे जिन्होंने देश से बाहर रहते हुए भी अंग्रेजी साम्राज्य की नींव हिला दी। 7 जुलाई 1854 को …

Jul 8, 2025 - 00:27
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मोहम्मद बरकतउल्ला: अंतरराष्ट्रीय क्रांतिकारी की 171वीं जयंती पर श्रद्धांजलि
प्रशांत सी. बाजपेयी भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के अंतरराष्ट्रीय स्तर पर संघर्ष करने वाले महान क्

मोहम्मद बरकतउल्ला: अंतरराष्ट्रीय क्रांतिकारी की 171वीं जयंती पर श्रद्धांजलि

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प्रशांत सी. बाजपेयी द्वारा

कम शब्दों में कहें तो, भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के वीर क्रांतिकारी मोहम्मद बरकतउल्ला की 171वीं जयंती पर उनकी याद में श्रद्धांजलि अर्पित की जा रही है। वे उन कुछ महत्वपूर्ण चेहरों में से एक थे जिन्होंने विदेश में रहकर भी अंग्रेजी साम्राज्य को चुनौती दी। 7 जुलाई 1854 को भोपाल, मध्य प्रदेश में जन्मे बरकतउल्ला ने दुनिया के विभिन्न हिस्सों में स्वतंत्रता की अलख जगाई, जिसमें अमेरिका, यूरोप, जर्मनी, अफगानिस्तान, जापान, और मलाया शामिल हैं।

एक अंतरराष्ट्रीय क्रांतिकारी का उदय

मोहम्मद बरकतउल्ला का जीवन एक ऐसे क्रांतिकारी के रूप में उभरा जिसने ब्रिटिश साम्राज्यवाद के खिलाफ संघर्ष की ज्वाला को हर जगह प्रज्वलित किया। वे केवल भारत में ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी अपनी आवाज उठाते रहे। उनकी गतिविधियों ने आज़ादी की लड़ाई को एक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रस्तुत किया और भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की आवाज इतनी दूर तक फैली कि वह आज भी लोगों को प्रेरित करती है।

शिक्षा का महत्व और विचारधारा का विकास

बरकतउल्ला ने अपने अध्ययन के दौरान इंग्लैंड में कई क्रांतिकारी विचारकों से मुलाकात की, जिनमें श्यामजी कृष्ण वर्मा, लाला हरदयाल और राजा महेंद्र प्रताप शामिल थे। इन मुलाकातों ने उनके विचारों को नया दृष्टिकोण प्रदान किया और उन्होंने अफगानिस्तान में 'सिराज-उल-अख़बार' अखबार के संपादक बनने के बाद भारत की अस्थायी सरकार की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। यह उनकी सोच के विकास का एक महत्वपूर्ण मोड़ था।

जापान में स्वतंत्रता की ओर कदम

1904 में जब बरकतउल्ला जापान पहुंचे, तब उन्होंने टोक्यो विश्वविद्यालय में हिंदी के प्रोफेसर के रूप में कार्य किया। वहां उन्होंने न केवल शिक्षा दी, बल्कि अपने क्रांतिकारी विचारों को भी फैलाने का कार्य किया। उन्होंने जापान में भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के लिए समर्थन प्राप्त करने की अपील की, जो उस समय खास महत्व रखती थी।

गदर पार्टी का योगदान

मोहम्मद बरकतउल्ला गदर पार्टी के महत्वपूर्ण संस्थापक सदस्यों में से एक थे। 1913 में गठित इस पार्टी का उद्देश्य भारत की स्वतंत्रता के लिए सशस्त्र संघर्ष करना था। उन्होंने अपने कार्यों के द्वारा ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ सशस्त्र प्रतिरोध की एक नई लहर पैदा की, जो भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का एक प्रमुख हिस्सा बन गई।

समर्पण और विचारधारा

बरकतउल्ला का मानना था कि मार्क्सवाद और धार्मिक आदर्श एक ही अंत के लिए काम करते हैं। उनके विचारों का मूल उद्देश्य था - शोषितों को गरिमा और उचित जीवन प्रदान करना। यह सिद्धांत आज भी हमारे लिए प्रासंगिक हैं, विशेषकर जब हम स्वतंत्रता के साथ न्याय, समानता और भाईचारे की बात करते हैं।

श्रद्धांजलि समारोह

आज, उनकी जयंती के अवसर पर, देश भर में लोग उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित कर रहे हैं। मोहम्मद बरकतउल्ला केवल एक व्यक्तित्व नहीं बल्कि उनके विचार आज भी हमें प्रेरित करते हैं। वे एक विचारधारा थे, जिन्होंने सीमाओं के पार जाकर स्वतंत्रता का संदेश फैलाया। उनका समर्पण और देश की खातिर किया गया कार्य हम सभी के लिए प्रेरणा का स्रोत है, और हमें उनकी शिक्षा को अपने जीवन में उतारने की प्रेरणा देता है।

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