रेप में बिजनेसमैन को जेल भिजवाया..5 करोड़ की डिमांड रखी:गाजियाबाद पुलिस ने भी 32 लाख वसूले; कारोबारी के ट्रैप की पूरी कहानी

गाजियाबाद की लॉजिस्टिक कंपनी में 18 हजार की नौकरी करने वाली 22 साल की युवती ने बॉस को फंसाने के लिए साजिश रची। रेप का आरोप लगाकर 5 करोड़ रुपए मांगे। पुलिस ने भी मामला सेटल करने के लिए 50 लाख की डिमांड की। कारोबारी को जेल हुई, तो उसकी पत्नी से साढ़े 32 लाख वसूल भी लिए। केस की दोबारा जांच हुई, तो हकीकत सामने आ गई। रेप जैसा संगीन आरोप लगाने के पीछे वजह बेहद चौंकाने वाली थी। पहली- युवती 22 हफ्ते की प्रेग्नेंट थी। अबॉर्शन उसी स्थिति में संभव था, जब वो रेप पीड़िता हो। दूसरी- युवती पर बिजनेसमैन बॉस के फ्लैट में स्पाई कैमरा लगाने और फाइनेंशियल फ्रॉड करने के आरोप थे। गाजियाबाद पुलिस कमिश्नर के आदेश पर दोबारा इन्वेस्टिगेशन हुई। इसमें पता चला कि रेप केस झूठा था। इस पूरे केस में दो इंस्पेक्टर सहित तीन पुलिसकर्मियों की भूमिका संदिग्ध पाई गई। अब तीनों पुलिसकर्मियों के खिलाफ पीड़ित बिजनेसमैन कोर्ट जाने की तैयारी कर रहा है। सबसे पहले समझिए पूरा मामला क्या है? दिल्ली के थाना बुराड़ी में 4 फरवरी, 2023 को गाजियाबाद के बिजनेसमैन के खिलाफ रेप और धमकाने के आरोप में जीरो FIR दर्ज हुई। युवती ने इस FIR में कुल 4 घटनाक्रम बताए- दिल्ली पुलिस ने ये चारों आरोप एक ही FIR में मर्ज किए और युवती का मेडिकल कराया। 161 के बयान दर्ज किए और फिर पूरा मामला गाजियाबाद पुलिस को ट्रांसफर कर दिया। दिल्ली पुलिस की 78 पेज की ये रिपोर्ट 23 फरवरी, 2023 को गाजियाबाद पुलिस के पास आई। 11 मार्च की शाम 5.27 बजे ये चिट्ठी गाजियाबाद में थाना कौशांबी पर पोस्टल डाक से पहुंची। केवल 33 मिनट में ही कौशांबी पुलिस ने 78 पेज पढ़कर FIR दर्ज कर ली। दिल्ली पुलिस ने जीरो FIR में IPC सेक्शन-376, 506 लगाए थे। गाजियाबाद पुलिस ने FIR में इनके अलावा कई और धाराएं बढ़ा दीं। केस की जांच सब-इंस्पेक्टर रीगल देशवाल को ट्रांसफर हुई। 19 मार्च, 2023 को कौशांबी थाना पुलिस ने आरोपी बिजनेसमैन को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। हालांकि, 21 जून, 2023 को बिजनेसमैन को इलाहाबाद हाईकोर्ट से बेल मिल गई। स्पाई कैमरा लगाने और फाइनेंशियल फ्रॉड में फंसी थी युवती 95 दिन बाद डासना जेल से छूटकर बिजनेसमैन ने गाजियाबाद पुलिस कमिश्नर अजय कुमार मिश्र से मुलाकात की। उन्हें पूरा मामला बताया। पुलिस कमिश्नर के आदेश पर तत्कालीन ACP सिद्धार्थ गौतम ने गोपनीय जांच की। 25 अक्टूबर, 2023 को उन्होंने जांच रिपोर्ट पुलिस कमिश्नर को सौंपी। इसमें माना कि रेप की FIR कराने वाली युवती पहले बिजनेसमैन के गाजियाबाद स्थित ऑफिस में काम करती थी। एक बार वह बिजनेसमैन के फ्लैट में स्पाई कैमरा लगाते हुए पकड़ी गई। दूसरी बार उसने इस कंपनी में फाइनेंशियल फ्रॉड किया। युवती 22 सप्ताह की प्रेग्नेंट थी। वो गर्भ गिराना चाहती थी। इसलिए रेप विक्टिम बनकर बिजनेसमैन पर रेप की FIR करा दी। ऐसा करने से उसका दूसरा मकसद भी सिद्ध हुआ। वो ये कि स्पाई कैमरा और फाइनेंशियल फ्रॉड केस में वो बचना चाहती थी। बचने का तरीका यही था कि बिजनेसमैन को उल्टा फंसा दिया जाए, ताकि वह उसके खिलाफ पुलिस में शिकायत ही न कर पाए। ACP की शुरुआती जांच रिपोर्ट में बिजनेसमैन पर लगे आरोप गलत पाए गए। पुलिस कमिश्नर ने इस केस की विस्तृत जांच के लिए एक SIT बनाई। 19 फरवरी, 2024 को SIT ने बिजनेसमैन को क्लीन-चिट देते हुए मुकदमे में फाइनल रिपोर्ट लगा दी। इसी रिपोर्ट के आधार पर कोर्ट ने बिजनेसमैन को बरी कर दिया। 57 पेज की रिपोर्ट में तीन पुलिसकर्मियों की भूमिका संदिग्ध 4 अक्टूबर, 2024 को पीड़ित बिजनेसमैन ने जन सूचना अधिकार (RTI) के तहत गाजियाबाद पुलिस के DCP ट्रांस हिंडन से अपने केस स्टेटस की डिटेल्ड रिपोर्ट मांगी। DCP ने RTI का जवाब 3 नवंबर, 2024 को 57 पेज की रिपोर्ट भेजकर दिया। इस रिपोर्ट में तीन पुलिसकर्मियों इंस्पेक्टर प्रभात कुमार दीक्षित, इन्वेस्टिगेशन ऑफिसर रीगल देशवाल और इंस्पेक्टर अनिल कुमार यादव को दोषी माना गया है। रिपोर्ट में लिखा है कि तीनों पुलिसकर्मियों ने इस केस की जांच ठीक से नहीं की। बिजनेसमैन को जेल भेजने में जल्दबाजी दिखाई। इंस्पेक्टर प्रभात दीक्षित इस वक्त आगरा और बाकी दोनों पुलिसकर्मी गाजियाबाद में पोस्टेड हैं। इन पर अभी तक कोई एक्शन नहीं हुआ है। बिजनेसमैन बोला- घटना वाले दिन थाईलैंड में था, पुलिसवालों ने पत्नी से वसूले 32.50 लाख बिजनेसमैन ने दैनिक भास्कर को बताया- 11 मार्च, 2023 को मेरे खिलाफ गाजियाबाद के थाना कौशांबी में रेप की FIR दर्ज हुई। 13 मार्च को मुझे तत्कालीन SHO प्रभात दीक्षित ने फोन करके बुलाया। मैं उसी दिन थाने पहुंचा। मैंने SHO को बताया कि चारों घटनाक्रमों में किसी भी दिन मैं घटनास्थल पर मौजूद नहीं था। एक घटना की तारीख को मेरी मौजूदगी थाईलैंड में थी। मैंने पुलिस को अपनी बेगुनाही के सारे सबूत दिए। इसके बावजूद पुलिस ने उनको दरकिनार कर मुझे जेल भेजा और फिर चार्जशीट भी लगा दी। बिजनेसमैन ने बताया- 18 मार्च को इस केस के इन्वेस्टिगेशन ऑफिसर रीगल देशवाल ने मुझे यूपी गेट पुलिस चौकी पर बुलाया। सेटलमेंट के नाम पर 50 लाख रुपए मांगे। मैंने कह दिया कि मैं 5 रुपए नहीं दूंगा। 19 मार्च, 2023 को मुझे फिर सेटलमेंट के बहाने थाना कौशांबी बुलाया। वहां अचानक मेरी अरेस्टिंग कर ली गई। जेल चले जाने के बाद पुलिसवालों ने मेरे परिवार से वसूली का खेल शुरू किया। अलग-अलग तारीखों में मेरी पत्नी, ऑफिस फ्रेंड से कुल साढ़े 32 लाख रुपए वसूले गए। गिरफ्तारी से पहले युवती की तरफ से भी मुझसे 5 करोड़ रुपए की डिमांड की गई थी। एडवोकेट बोले- पुलिसकर्मियों पर कोर्ट केस करेंगे बिजनेसमैन के अधिवक्ता विपुल पंवार ने बताया- हम इन पुलिसकर्मियों पर लीगल एक्शन के लिए जल्द ही कोर्ट में केस दायर करने जा रहे हैं। हमारे पास सारी कॉल डिटेल्स मौजूद हैं। जिसमें ये पुलिसकर्मी कथित रेप विक्टिम युवती के परिवार से महीनों पहले से बातचीत कर रहे थे। रेप की FIR ट्रांसफर होकर गाजियाबाद पुलिस के पास मार्च, 2023 में आई। जबकि ये पुलिसकर्मी उस

Nov 14, 2024 - 05:55
 0  396.4k
रेप में बिजनेसमैन को जेल भिजवाया..5 करोड़ की डिमांड रखी:गाजियाबाद पुलिस ने भी 32 लाख वसूले; कारोबारी के ट्रैप की पूरी कहानी
गाजियाबाद की लॉजिस्टिक कंपनी में 18 हजार की नौकरी करने वाली 22 साल की युवती ने बॉस को फंसाने के लिए साजिश रची। रेप का आरोप लगाकर 5 करोड़ रुपए मांगे। पुलिस ने भी मामला सेटल करने के लिए 50 लाख की डिमांड की। कारोबारी को जेल हुई, तो उसकी पत्नी से साढ़े 32 लाख वसूल भी लिए। केस की दोबारा जांच हुई, तो हकीकत सामने आ गई। रेप जैसा संगीन आरोप लगाने के पीछे वजह बेहद चौंकाने वाली थी। पहली- युवती 22 हफ्ते की प्रेग्नेंट थी। अबॉर्शन उसी स्थिति में संभव था, जब वो रेप पीड़िता हो। दूसरी- युवती पर बिजनेसमैन बॉस के फ्लैट में स्पाई कैमरा लगाने और फाइनेंशियल फ्रॉड करने के आरोप थे। गाजियाबाद पुलिस कमिश्नर के आदेश पर दोबारा इन्वेस्टिगेशन हुई। इसमें पता चला कि रेप केस झूठा था। इस पूरे केस में दो इंस्पेक्टर सहित तीन पुलिसकर्मियों की भूमिका संदिग्ध पाई गई। अब तीनों पुलिसकर्मियों के खिलाफ पीड़ित बिजनेसमैन कोर्ट जाने की तैयारी कर रहा है। सबसे पहले समझिए पूरा मामला क्या है? दिल्ली के थाना बुराड़ी में 4 फरवरी, 2023 को गाजियाबाद के बिजनेसमैन के खिलाफ रेप और धमकाने के आरोप में जीरो FIR दर्ज हुई। युवती ने इस FIR में कुल 4 घटनाक्रम बताए- दिल्ली पुलिस ने ये चारों आरोप एक ही FIR में मर्ज किए और युवती का मेडिकल कराया। 161 के बयान दर्ज किए और फिर पूरा मामला गाजियाबाद पुलिस को ट्रांसफर कर दिया। दिल्ली पुलिस की 78 पेज की ये रिपोर्ट 23 फरवरी, 2023 को गाजियाबाद पुलिस के पास आई। 11 मार्च की शाम 5.27 बजे ये चिट्ठी गाजियाबाद में थाना कौशांबी पर पोस्टल डाक से पहुंची। केवल 33 मिनट में ही कौशांबी पुलिस ने 78 पेज पढ़कर FIR दर्ज कर ली। दिल्ली पुलिस ने जीरो FIR में IPC सेक्शन-376, 506 लगाए थे। गाजियाबाद पुलिस ने FIR में इनके अलावा कई और धाराएं बढ़ा दीं। केस की जांच सब-इंस्पेक्टर रीगल देशवाल को ट्रांसफर हुई। 19 मार्च, 2023 को कौशांबी थाना पुलिस ने आरोपी बिजनेसमैन को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। हालांकि, 21 जून, 2023 को बिजनेसमैन को इलाहाबाद हाईकोर्ट से बेल मिल गई। स्पाई कैमरा लगाने और फाइनेंशियल फ्रॉड में फंसी थी युवती 95 दिन बाद डासना जेल से छूटकर बिजनेसमैन ने गाजियाबाद पुलिस कमिश्नर अजय कुमार मिश्र से मुलाकात की। उन्हें पूरा मामला बताया। पुलिस कमिश्नर के आदेश पर तत्कालीन ACP सिद्धार्थ गौतम ने गोपनीय जांच की। 25 अक्टूबर, 2023 को उन्होंने जांच रिपोर्ट पुलिस कमिश्नर को सौंपी। इसमें माना कि रेप की FIR कराने वाली युवती पहले बिजनेसमैन के गाजियाबाद स्थित ऑफिस में काम करती थी। एक बार वह बिजनेसमैन के फ्लैट में स्पाई कैमरा लगाते हुए पकड़ी गई। दूसरी बार उसने इस कंपनी में फाइनेंशियल फ्रॉड किया। युवती 22 सप्ताह की प्रेग्नेंट थी। वो गर्भ गिराना चाहती थी। इसलिए रेप विक्टिम बनकर बिजनेसमैन पर रेप की FIR करा दी। ऐसा करने से उसका दूसरा मकसद भी सिद्ध हुआ। वो ये कि स्पाई कैमरा और फाइनेंशियल फ्रॉड केस में वो बचना चाहती थी। बचने का तरीका यही था कि बिजनेसमैन को उल्टा फंसा दिया जाए, ताकि वह उसके खिलाफ पुलिस में शिकायत ही न कर पाए। ACP की शुरुआती जांच रिपोर्ट में बिजनेसमैन पर लगे आरोप गलत पाए गए। पुलिस कमिश्नर ने इस केस की विस्तृत जांच के लिए एक SIT बनाई। 19 फरवरी, 2024 को SIT ने बिजनेसमैन को क्लीन-चिट देते हुए मुकदमे में फाइनल रिपोर्ट लगा दी। इसी रिपोर्ट के आधार पर कोर्ट ने बिजनेसमैन को बरी कर दिया। 57 पेज की रिपोर्ट में तीन पुलिसकर्मियों की भूमिका संदिग्ध 4 अक्टूबर, 2024 को पीड़ित बिजनेसमैन ने जन सूचना अधिकार (RTI) के तहत गाजियाबाद पुलिस के DCP ट्रांस हिंडन से अपने केस स्टेटस की डिटेल्ड रिपोर्ट मांगी। DCP ने RTI का जवाब 3 नवंबर, 2024 को 57 पेज की रिपोर्ट भेजकर दिया। इस रिपोर्ट में तीन पुलिसकर्मियों इंस्पेक्टर प्रभात कुमार दीक्षित, इन्वेस्टिगेशन ऑफिसर रीगल देशवाल और इंस्पेक्टर अनिल कुमार यादव को दोषी माना गया है। रिपोर्ट में लिखा है कि तीनों पुलिसकर्मियों ने इस केस की जांच ठीक से नहीं की। बिजनेसमैन को जेल भेजने में जल्दबाजी दिखाई। इंस्पेक्टर प्रभात दीक्षित इस वक्त आगरा और बाकी दोनों पुलिसकर्मी गाजियाबाद में पोस्टेड हैं। इन पर अभी तक कोई एक्शन नहीं हुआ है। बिजनेसमैन बोला- घटना वाले दिन थाईलैंड में था, पुलिसवालों ने पत्नी से वसूले 32.50 लाख बिजनेसमैन ने दैनिक भास्कर को बताया- 11 मार्च, 2023 को मेरे खिलाफ गाजियाबाद के थाना कौशांबी में रेप की FIR दर्ज हुई। 13 मार्च को मुझे तत्कालीन SHO प्रभात दीक्षित ने फोन करके बुलाया। मैं उसी दिन थाने पहुंचा। मैंने SHO को बताया कि चारों घटनाक्रमों में किसी भी दिन मैं घटनास्थल पर मौजूद नहीं था। एक घटना की तारीख को मेरी मौजूदगी थाईलैंड में थी। मैंने पुलिस को अपनी बेगुनाही के सारे सबूत दिए। इसके बावजूद पुलिस ने उनको दरकिनार कर मुझे जेल भेजा और फिर चार्जशीट भी लगा दी। बिजनेसमैन ने बताया- 18 मार्च को इस केस के इन्वेस्टिगेशन ऑफिसर रीगल देशवाल ने मुझे यूपी गेट पुलिस चौकी पर बुलाया। सेटलमेंट के नाम पर 50 लाख रुपए मांगे। मैंने कह दिया कि मैं 5 रुपए नहीं दूंगा। 19 मार्च, 2023 को मुझे फिर सेटलमेंट के बहाने थाना कौशांबी बुलाया। वहां अचानक मेरी अरेस्टिंग कर ली गई। जेल चले जाने के बाद पुलिसवालों ने मेरे परिवार से वसूली का खेल शुरू किया। अलग-अलग तारीखों में मेरी पत्नी, ऑफिस फ्रेंड से कुल साढ़े 32 लाख रुपए वसूले गए। गिरफ्तारी से पहले युवती की तरफ से भी मुझसे 5 करोड़ रुपए की डिमांड की गई थी। एडवोकेट बोले- पुलिसकर्मियों पर कोर्ट केस करेंगे बिजनेसमैन के अधिवक्ता विपुल पंवार ने बताया- हम इन पुलिसकर्मियों पर लीगल एक्शन के लिए जल्द ही कोर्ट में केस दायर करने जा रहे हैं। हमारे पास सारी कॉल डिटेल्स मौजूद हैं। जिसमें ये पुलिसकर्मी कथित रेप विक्टिम युवती के परिवार से महीनों पहले से बातचीत कर रहे थे। रेप की FIR ट्रांसफर होकर गाजियाबाद पुलिस के पास मार्च, 2023 में आई। जबकि ये पुलिसकर्मी उस फैमिली के टच में जनवरी, 2023 से थे। इससे गाजियाबाद पुलिस की भूमिका पर सवाल खड़े हो रहे हैं। SIT जांच में जब बिजनेसमैन पर लगे रेप के आरोप झूठे पाए गए तो गाजियाबाद पुलिस ने ब्लैकमेलिंग के आरोप में युवती, उसकी मां, पिता और भाई को 10 मई, 2024 को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। पुलिस ने माना कि युवती सेक्सटॉर्शन गैंग चलाती है। इसमें उसके परिवार की भी भूमिका थी। युवती पर थाना कौशांबी में एक मुकदमा ब्लैकमेल कर बिजनेसमैन को फंसाने, दूसरा बिजनेसमैन के फ्लैट में स्पाई कैमरा लगाने और तीसरा मुकदमा बिजनेसमैन की कंपनी में फाइनेंशियल फ्रॉड करने का दर्ज हुआ है। तीनों मुकदमों की जांच चल रही है। दिल्ली में हुआ अबॉर्शन, लैब पहुंचने से पहले ही DNA सैंपल खराब अब बात आती है, युवती के गर्भ में पल रहे 22 सप्ताह के भ्रूण की। उसका क्या हुआ? दो डॉक्टरों की अनुमति पर 9 फरवरी, 2023 को दिल्ली के लोक नारायण जयप्रकाश हॉस्पिटल (LNJP) में युवती का अबॉर्शन हुआ। उसी दिन दिल्ली की बुराड़ी थाना पुलिस ने हॉस्पिटल पहुंचकर भ्रूण का DNA सैंपल कलेक्ट किया। नियम है, इस तरह के सैंपल 24 से 48 घंटे के भीतर जांच के लिए फोरेंसिक लैब चले जाने चाहिए। लेकिन, ये सैंपल 40 दिन तक बुराड़ी थाने के मालखाने में रखा रहा। 23 मार्च, 2023 को थाने से DNA सैंपल फोरेंसिक लैब में जांच को भेजा गया। 20 जनवरी, 2024 को फोरेंसिक लैब रिपोर्ट ने जवाब दिया कि सैंपल खराब हो चुका था। बिजनेसमैन का कहना है, ये DNA मैच होता ही नहीं। पुलिस को भी ये बात पता थी। इसीलिए पुलिस ने जान बूझकर 40 दिन देर से सैंपल लैब को भेजा, ताकि वो खराब हो जाए। अबॉर्शन का कानूनी पहलू क्या है? गर्भपात या अबॉर्शन एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें अनचाहा गर्भ हटाया जाता है। भारत में यह एक वैध प्रक्रिया है, जिसमें वैवाहिक और गैर-वैवाहिक दोनों ही महिलाएं इस प्रक्रिया को करवा सकती हैं। लेकिन, गर्भावस्था को 20 सप्ताह से अधिक का समय नहीं होना चाहिए। कुछ विशेष मामले में यह समय अवधि 24 सप्ताह तक बढ़ सकती है। जैसे- महिला के साथ यौन शोषण, महिला को किसी भी प्रकार शारीरिक समस्या होना या फिर महिला की उम्र 18 साल से कम होना। जो भी महिलाएं यौन शोषण का सामना करती हैं, वे सभी महिलाएं सुरक्षित गर्भपात करवा सकती हैं। इस प्रक्रिया को करने के लिए कम से कम 2 डॉक्टर की अनुमति चाहिए होती है। इस केस में भी LNJP के दो डॉक्टरों की अनुमति से कथित रेप पीड़िता का अबॉर्शन हुआ। NGO फाउंडर बोलीं- पुलिस ऐसे काम करेगी तो इंसान किससे न्याय मांगेगा? इस तरह के मुद्दों पर लंबे वक्त से काम कर रहीं NGO फाउंडर दीपिका नारायण भारद्वाज कहती हैं- इस समय देश में हर जगह लोगों को झूठे रेप केस में फंसाया जा रहा है। अफसोस की बात ये है कि ऐसे मामलों में पुलिस की भी मिलीभगत होती है। पिछले साल हमने गुरुग्राम में ऐसे ही रैकेट को बस्ट कराया था। इसमें मुनेश देवी नाम की पुलिस ऑफिसर भी इस गैंग से मिली हुई थी। मुंबई में भी अभी दो पुलिस ऑफिसरों को एंटी करप्शन ब्यूरो ने अरेस्ट किया है, जिन्होंने रेप केस में FR लगाने के नाम पर युवक से साढ़े 4 लाख रुपए मांगे थे। उम्मीद है कि इस केस में भी संलिप्त पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई होगी। मामले में पुलिस की भूमिका पर भी सवाल उठे हैं। ऐसे में हमने गाजियाबाद पुलिस के एक सीनियर पुलिस अधिकारी से बात की। उन्होंने बताया कि तीनों पुलिसकर्मियों की सर्विस बुक में बैड एंट्री दी गई है। इससे इंक्रीमेंट और प्रमोशन पर फर्क पड़ेगा। ऐसे पुलिसकर्मियों को आसानी से कोई महत्वपूर्ण चार्ज भी नहीं मिल पाएगा। अधिकारी ने बताया कि पुलिसकर्मियों पर साढ़े 32 लाख रुपए लेने के आरोप जांच रिपोर्ट में पुष्ट नहीं हो पाए थे। न ही पीड़ित बिजनेसमैन रुपए के लेन-देन से संबंधित कोई रिकॉर्ड लिखित रूप में साबित कर सका। ------------------ ये भी पढ़ें... यूपी में प्रदूषण से 8 साल उम्र घटी, 30 साल में हवा 1000% खराब हुई; दुनिया के सबसे खराब हवा वाले शहरों में गाजियाबाद-नोएडा दिवाली के बाद से यूपी में प्रदूषण का स्तर लगातार बढ़ता जा रहा है। पश्चिमी यूपी के शहरों की हालत सबसे ज्यादा खराब है। दिल्ली के पास के गाजियाबाद, नोएडा और मेरठ जैसे जिलों में जैसे-जैसे ठंड बढ़ रही, हवा की गुणवत्ता खराब होती जा रही है। नवंबर के पहले हफ्ते से ही इन शहरों का AQI 300 से ऊपर दर्ज हो रहा है। AQI से ही हवा की गुणवत्ता मापी जाती है। पढ़ें पूरी खबर...

What's Your Reaction?

like

dislike

love

funny

angry

sad

wow