लखनऊ के कालीबाड़ी मंदिर में धूमधाम से मना अन्नकूट उत्सव:छप्पन भोग का प्रसाद अर्पित कर श्रद्धालुओं ने लगाए जयकारे
राजधानी के कैसरबाग स्थित काली बाड़ी मंदिर में धूमधाम से अन्नकूट पूजा उत्सव मनाया गया। इस मौके पर श्रद्धालुओं ने काली माता को भोग लगाकर उनकी पूजा आरती की। बड़ी संख्या में पहुंचे श्रद्धालुओं में प्रसाद वितरित किया गया। पूजा के बाद प्रसाद के साथ श्रद्धालुओं को चावल का दाना भी दिया गया। इस चावल के दाने का बहुत महत्व है। हर साल गोवर्धन पूजा के दिन यह उत्सव मनाया जाता है। यहां काली बाड़ी मंदिर में हर साल अन्नकूट पूजा का आयोजन किया जाता है। 161 साल पुराना है मंदिर जब हमने काली बाड़ी टेंपल ट्रस्ट मैनेजिंग कमेटी के उपाध्यक्ष गोपीनाथ हालदार से बात की तो उन्होंने बताया कि जिस प्रकार गोवर्धन पूजा मनाई जाती है। इसी तरह से हमारे समाज में अन्नकूट पूजा का आयोजन भी किया जाता है। उन्होंने काली बाड़ी मंदिर के इतिहास के बारे में बताते हुए कहा कि यह 161 वर्ष पुराना मंदिर है। काली माता को इस दिन छप्पन भोग का प्रसाद अर्पित किया जाता है। यह एक प्रकार की विशेष पूजा होती है। इसे साल में सिर्फ एक बार किया जाता है। छप्पन भोग का प्रसाद यहां माता रानी को छप्पन भोग का प्रसाद अर्पित किया जाता है। माता रानी छप्पन भोग का प्रसाद ग्रहण कराकर खुश किया जाता है। कमेटी के उपाध्यक्ष ने गोपीनाथ हालदार ने बताया कि अन्नकूट पूजा का प्रसाद शाम की आरती के बाद सभी भक्तों में बांटा जाता है। साढ़े सात बजे शाम को शाम को आरती होती है। इस दिन विशेष रूप से भोग लगाकर माता रानी को खुश किया जाता है। उन्होंने बताया कि इस बात की कोशिश रहती है कि अन्नकूट पूजा में शामिल होने वाले सभी भक्तों को प्रसाद मिल जाए। चावल के दाने का महत्व कमेटी के उपाध्यक्ष गोपीनाथ हालदार ने बताया कि अन्नकूट का अर्थ है कि मां अन्नपूर्णा अपने भक्तों को दोनों हाथों से प्रसाद वितरित कर रही हैं। यहां आने वाले सभी भक्त मां अन्नपूर्णा के भंडारे में शामिल हो रहे हैं। पूरे साल भक्तों के भंडारण में किसी प्रकार की कोई न आए। उन्होंने बताया कि मंदिर से प्रसाद के रूप में चावल का एक दाना दिया जाता है। जिसे भक्त अपने घर के भंडारे में रखते हैं। ऐसी मान्यता है कि भंडारे में कोई कमी नहीं आती है।
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