लखनऊ में आयोजित हुई अवध चित्र साधना फिल्म फेस्टिवल:वक्ताओं ने सिनेमा के जरिए सामाजिक जिम्मेदारियों पर चर्चा की
लखनऊ में बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर यूनिवर्सिटी में आयोजित अवध चित्र साधना फिल्म फेस्टिवल ने समाज और कला के प्रति नई चेतना का संचार किया। इस दो दिवसीय कार्यक्रम में सिनेमा के माध्यम से सामाजिक जिम्मेदारी और रचनात्मकता पर जोर दिया गया। उत्कृष्ट सत्र और अतिथियों की उपस्थिति फेस्टिवल का उद्घाटन मुख्य अतिथि पत्रकार एवं लेखक अनंत विजय, विशिष्ट अतिथि विधान परिषद सदस्य पवन सिंह चौहान और राष्ट्र धर्म प्रकाशन के निदेशक मनोजकांत की उपस्थिति में हुआ। अध्यक्षीय उद्बोधन बीबीएयू के कुलपति प्रो. एनएमपी वर्मा ने दिया। उन्होंने विश्वविद्यालय के ओपन एयर थियेटर को विकसित करने की योजना का प्रस्ताव रखा। इस अवसर पर अवध चित्र साधना सचिव अरुण त्रिवेदी और विभागाध्यक्ष प्रो. गोविंद पांडे भी मंच पर उपस्थित रहे। सिनेमा की सामाजिक जिम्मेदारी पर चर्चा समापन सत्र में प्रो. गोविंद जी पांडे ने ऐतिहासिक फिल्मों जैसे "अछूत कन्या" और "दो बीघा जमीन" का उदाहरण देते हुए सिनेमा की सामाजिक जिम्मेदारी पर प्रकाश डाला। वहीं अरुण त्रिवेदी ने फाउंडेशन के उद्देश्यों और आगामी योजनाओं की जानकारी दी। मुख्य अतिथि अनंत विजय ने फिल्म निर्माण की चुनौतियों और डिजिटल युग में कहानी कहने की नई प्रवृत्तियों पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि विचारों को दृश्य रूप में प्रस्तुत करना एक बड़ी चुनौती है। मास्टर क्लास और विशेषज्ञों की सीख फिल्म विशेषज्ञ डॉ. अनिल रस्तोगी और रमा अरुण त्रिवेदी ने छात्रों और फिल्म निर्माताओं को फिल्म निर्माण के गुण सिखाए। 81 वर्षीय अनुभवी कलाकार डॉ. रस्तोगी ने कहा, "फिल्म निर्माण और कला में उम्र केवल एक संख्या है।" प्रतियोगिता और पुरस्कार वितरण फेस्टिवल में देशभर से 100 फिल्मों में से 54 का चयन हुआ। ये फिल्में बीबीएयू के अटल बिहारी वाजपेयी सभागार, ऑडी-1 और ऑडी-2 में प्रदर्शित की गईं। विभिन्न श्रेणियों में विजेताओं को पुरस्कार दिए गए। कैंपस श्रेणी श्रेष्ठ निर्देशन: द डिलेवरी (अर्पित गुप्ता) श्रेष्ठ छायांकन: दाग (पलक कुमारी) श्रेष्ठ फिल्म: रोशनी (अनिमेष नमन) श्रेष्ठ डॉक्यूमेंट्री: बिजली महादेव मंदिर (धीरेंद्र सिंह) और दिलकुशा (प्रगति पांडे) प्रोफेशनल श्रेणी श्रेष्ठ निर्देशन: मटर पनीर (चंदन मल्लाह) श्रेष्ठ फिल्म: त्वमेव सर्वम (मनोज तिवारी) श्रेष्ठ डॉक्यूमेंट्री: गल देव: एक अनोखी मान्यता (तनिष्क भूरिया) जस्ट पास आउट श्रेणी श्रेष्ठ फिल्म: ए लवली रिज्यूमे (पौरुषे) अन्य प्रमुख हस्तियों की भागीदारी कार्यक्रम में काशी विद्यापीठ के पूर्व निदेशक प्रो. ओम प्रकाश सिंह, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचार प्रमुख डॉ. अशोक दुबे और जनसंचार विभाग के प्रमुख शिक्षक एवं छात्र शामिल रहे। अवध चित्र साधना का उद्देश्य अवध चित्र साधना सचिव अरुण त्रिवेदी ने बताया कि संस्था का उद्देश्य सिनेमा को समाज के कल्याण और जागरूकता का माध्यम बनाना है। यह फेस्टिवल इसी दिशा में एक प्रयास है।
What's Your Reaction?