लखनऊ में दिखी महाकुंभ 2025 की झलक:सांस्कृतिक रंगों से सजा देशज का चौथा संस्करण

लखनऊ में सोनचिरैया फाउंडेशन द्वारा आयोजित चौथे देशज कार्यक्रम में लोक संस्कृति और महाकुंभ 2025 के उत्साह का संगम देखने को मिला। अवध की सांस्कृतिक राजधानी लखनऊ में आयोजित इस कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश के पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह ने मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत की। महाकुंभ के लिए देशवासियों को आमंत्रित किया। कार्यक्रम की शुरुआत मध्य प्रदेश के पारंपरिक मटकी लोकनृत्य से हुई। इस मनमोहक प्रस्तुति ने शादी-ब्याह की ग्रामीण झलकियों को सजीव किया। लोकगायिका मालिनी अवस्थी ने अपने गीतों से महाकुंभ की भव्यता का आह्वान किया। उनके गीत "चलो चले कुम्भ चले" पर हरियाणा, असम और बांदा के कलाकारों ने प्रस्तुति देकर पूरे भारत की सांस्कृतिक एकता का संदेश दिया। मुख्य अतिथि जयवीर सिंह ने कहा, “महाकुंभ केवल आस्था का केंद्र नहीं है यह भारतीय संस्कृति और मेहमाननवाजी का अद्भुत परिचय है।” उन्होंने मालिनी अवस्थी की प्रशंसा करते हुए कहा कि वे उत्तर प्रदेश की धरोहर हैं और लोककथाओं व संस्कृति को संरक्षित करने का उल्लेखनीय कार्य कर रही हैं। सांस्कृतिक कार्यक्रमों की कड़ी में मैत्रेयी पहाड़ी के निर्देशन में शिव स्तुति, समुद्र मंथन और कथक-छउ नृत्य की विशेष झलक प्रस्तुत की गई। वहीं, केरल के गरूड़न परवा और हरियाणा के फाग नृत्य ने कार्यक्रम को विविधता से भर दिया। कार्यक्रम के अंतिम चरण में पंजाबी लोकगायक मास्टर सलीम ने “जुगनी”, “दमा दम मस्त कलंदर” और “छाप तिलक” जैसे गीतों से समां बांधा। इस दौरान दर्शकों का उत्साह चरम पर रहा। इस अवसर पर महाकुंभ 2025 पर आधारित एक स्मारिका का विमोचन भी किया गया। सोनचिरैया फाउंडेशन की अध्यक्ष डॉ. विद्या विंदु सिंह और पर्यटन मंत्री ने अतिथियों को सम्मानित किया। देशज ने इस बार सांस्कृतिक रंग के साथ महाकुंभ के शुभारंभ की तैयारी का एक सुंदर ट्रेलर भी प्रस्तुत किया।

Nov 23, 2024 - 11:10
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लखनऊ में दिखी महाकुंभ 2025 की झलक:सांस्कृतिक रंगों से सजा देशज का चौथा संस्करण
लखनऊ में सोनचिरैया फाउंडेशन द्वारा आयोजित चौथे देशज कार्यक्रम में लोक संस्कृति और महाकुंभ 2025 के उत्साह का संगम देखने को मिला। अवध की सांस्कृतिक राजधानी लखनऊ में आयोजित इस कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश के पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह ने मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत की। महाकुंभ के लिए देशवासियों को आमंत्रित किया। कार्यक्रम की शुरुआत मध्य प्रदेश के पारंपरिक मटकी लोकनृत्य से हुई। इस मनमोहक प्रस्तुति ने शादी-ब्याह की ग्रामीण झलकियों को सजीव किया। लोकगायिका मालिनी अवस्थी ने अपने गीतों से महाकुंभ की भव्यता का आह्वान किया। उनके गीत "चलो चले कुम्भ चले" पर हरियाणा, असम और बांदा के कलाकारों ने प्रस्तुति देकर पूरे भारत की सांस्कृतिक एकता का संदेश दिया। मुख्य अतिथि जयवीर सिंह ने कहा, “महाकुंभ केवल आस्था का केंद्र नहीं है यह भारतीय संस्कृति और मेहमाननवाजी का अद्भुत परिचय है।” उन्होंने मालिनी अवस्थी की प्रशंसा करते हुए कहा कि वे उत्तर प्रदेश की धरोहर हैं और लोककथाओं व संस्कृति को संरक्षित करने का उल्लेखनीय कार्य कर रही हैं। सांस्कृतिक कार्यक्रमों की कड़ी में मैत्रेयी पहाड़ी के निर्देशन में शिव स्तुति, समुद्र मंथन और कथक-छउ नृत्य की विशेष झलक प्रस्तुत की गई। वहीं, केरल के गरूड़न परवा और हरियाणा के फाग नृत्य ने कार्यक्रम को विविधता से भर दिया। कार्यक्रम के अंतिम चरण में पंजाबी लोकगायक मास्टर सलीम ने “जुगनी”, “दमा दम मस्त कलंदर” और “छाप तिलक” जैसे गीतों से समां बांधा। इस दौरान दर्शकों का उत्साह चरम पर रहा। इस अवसर पर महाकुंभ 2025 पर आधारित एक स्मारिका का विमोचन भी किया गया। सोनचिरैया फाउंडेशन की अध्यक्ष डॉ. विद्या विंदु सिंह और पर्यटन मंत्री ने अतिथियों को सम्मानित किया। देशज ने इस बार सांस्कृतिक रंग के साथ महाकुंभ के शुभारंभ की तैयारी का एक सुंदर ट्रेलर भी प्रस्तुत किया।

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