लखनऊ में नाटक दिग्दर्शक का मंचन:गुरु-शिष्य के रिश्ते को विस्तार से बताया; कला और परिवार के बीच संतुलन बनाए रखना की बताई गई बात

लखनऊ के गोमतीनगर स्थित संगीत नाटक अकादमी में नाट्य संस्था विजय बेला ने नाटक दिग्दर्शक का मंचन किया। इस नाटक का लेखन प्रियम जानी और निर्देशन चन्द्रभाष सिंह ने किया था। नाटक की कहानी एक युवा अभिनेता और उसके पुराने गुरु के बीच के रिश्ते पर केंद्रित है। यह अभिनेता अब एक सुपरस्टार बन चुका है। कई सालों बाद अपने गुरु के पास जाता है। वह जानना चाहता है कि उसके गुरु उससे क्यों नाराज हैं। नाटक 'दिग्दर्शक' गुरु-शिष्य के रिश्ते पर मंचन कहानी एक बुजुर्ग दिग्दर्शक के जीवन पर आधारित है, जो मंच पर लगातार अभ्यास करता रहता है। एक दिन, एक युवा अभिनेता जो अभिनय में सफल होने के लिए अपने गांव से शहर आया था, उसे पानी पिलाता है। दिग्दर्शक उस युवक को अभिनय सिखाने का निर्णय लेता है। मंचन में इन कलाकारों ने लिया भाग नाटक दिग्दर्शक ने न केवल गुरु-शिष्य के रिश्ते की गहरी जटिलताओं को उजागर किया, बल्कि यह भी दिखाया कि कला और परिवार के बीच संतुलन बनाए रखना कितनी महत्वपूर्ण बात है। मंच पर चन्द्रभाष सिंह, अभिजीत सिंह और आर्यन ने बेहतरीन अभिनय किया, और दर्शकों को सोचने पर मजबूर कर दिया कि असली कलाकार क्या है।

Nov 24, 2024 - 08:45
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लखनऊ में नाटक दिग्दर्शक का मंचन:गुरु-शिष्य के रिश्ते को विस्तार से बताया; कला और परिवार के बीच संतुलन बनाए रखना की बताई गई बात
लखनऊ के गोमतीनगर स्थित संगीत नाटक अकादमी में नाट्य संस्था विजय बेला ने नाटक दिग्दर्शक का मंचन किया। इस नाटक का लेखन प्रियम जानी और निर्देशन चन्द्रभाष सिंह ने किया था। नाटक की कहानी एक युवा अभिनेता और उसके पुराने गुरु के बीच के रिश्ते पर केंद्रित है। यह अभिनेता अब एक सुपरस्टार बन चुका है। कई सालों बाद अपने गुरु के पास जाता है। वह जानना चाहता है कि उसके गुरु उससे क्यों नाराज हैं। नाटक 'दिग्दर्शक' गुरु-शिष्य के रिश्ते पर मंचन कहानी एक बुजुर्ग दिग्दर्शक के जीवन पर आधारित है, जो मंच पर लगातार अभ्यास करता रहता है। एक दिन, एक युवा अभिनेता जो अभिनय में सफल होने के लिए अपने गांव से शहर आया था, उसे पानी पिलाता है। दिग्दर्शक उस युवक को अभिनय सिखाने का निर्णय लेता है। मंचन में इन कलाकारों ने लिया भाग नाटक दिग्दर्शक ने न केवल गुरु-शिष्य के रिश्ते की गहरी जटिलताओं को उजागर किया, बल्कि यह भी दिखाया कि कला और परिवार के बीच संतुलन बनाए रखना कितनी महत्वपूर्ण बात है। मंच पर चन्द्रभाष सिंह, अभिजीत सिंह और आर्यन ने बेहतरीन अभिनय किया, और दर्शकों को सोचने पर मजबूर कर दिया कि असली कलाकार क्या है।

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