लखनऊ में पकड़ा गया फर्जी कॉल सेंटर:मास्टरमाइंड इंजीनियर जा चुका है जेल, काम करने वाली 22 युवतियों को पकड़ा
लखनऊ में मंगलवार रात क्राइम ब्रांच और साइबर सेल की टीम ने फर्जी कॉल सेंटर खोलकर नौकरी देने का झांसा देकर करोड़ों रुपए की ठगी करने वाले संचालक को गिरफ्तार किया गया। साथ ही कॉल सेंटर में काम करने वाली 22 युवतियों को भी पकड़ा है। हालांकि उनको नोटिस देकर छोड़ दिया। एसटीएफ ने संचालक को पिछले साल ठगी के मामले में जेल भेजा था। उसने जेल से छूटने के बाद इंदिरानगर स्थित गोयल कांप्लेक्स में कॉल सेंटर चला रहा था। बेरोजगारों को बना रहा था निशाना डीसीपी क्राइम कमलेश दीक्षित ने बताया कि पिछले कई दिनों से नौकरी के नाम पर ठगी की शिकायत मिल रही थी। इसके आधार पर मंगलवार रात को गोयल कांप्लेक्स की तीसरी मंजिल पर चल रहे कॉल सेंटर में छापे मारी की गई। जहां से हरदोई के सुमेंद्र तिवारी को गिरफ्तार किया गया। जांच में सामने आया कि सुमेंद्र को तीन साथियो के साथ 12 सितंबर 2023 को एसटीएफ ने गिरफ्तार कर जेल भेजा था। बीटेक कर चुका सुमेंद्र पहले यह गिरोह इंदिरानगर में ओम प्लाजा में चला रहा था। पांच महीने में 300 लोगों को ठगा साइबर सेल इंस्पेक्टर सतीश चंद्र साहू ने बताया कि आरोपी सुमेंद्र सात महीने जेल में रहने के बाद मई में छूटा था। जेल से छूटनेत ही फिर से ठगी का काम शुरू कर दिया। इसके लिए कॉल सेंटर खोलकर बेरोजगारों को नौकरी का झांसा देकर ठगी कर रहा था। उसने करीब 300 लोगों को अपना शिकार बनाया। पूछताछ में उसने बताया कि आरोपी पहले वह एक कॉल सेंटर में काम करता था। वहीं से इसके विषय में जानकारी जुटाई। उसके पास सैकड़ों लोगों को डाटा, दो दर्जन के करीब सिम कार्ड, लैपटॉप और कॉलर फोन बरामद हुए हैं। 10-15 हजार रुपए में रखता कर्मचारी पुलिस जांच में सामने आया कि कॉल सेंटर पर काम करने के लिए वह 10-15 हजार रुपए महीने पर युवतियों को रखता था। छापेमारी के दौरान मौके पर 22 युवतियां मिली थी। जिन्हें पूछताछ और नाम पता नोट करने पर के बाद नोटिस देकर छोड़ दिया गया। रोजगार दिलाने के लिए बना रखी थी फर्जी वेवसाइट ठगी का गिरोह चलाने वाला सुमेंद्र एक वेबसाइट के माध्यम से लोगों को रोजगार देने का दावा करता था। जिसमें तमाम नौकरियों के नोटिफिकेशन अपलोड करके सोशल मीडिया पर एड करता था। उस पर रजिस्ट्रेशन के नाम पर एक तय रकम ली जाती थी। जिसके बाद कॉल सेंटर पर मौजूद युवतियां उनको कॉल कर इंटरव्यू आदि पास कराने के नाम पर पैसा लेती थीं। यह रकम नौकरी के हिसाब से एक लाख से लेकर चार लाख रुपए के बीच होती थी। प्री-एक्टिवेटेड सिमों का इस्तेमाल ठह कॉल सेटंर के लिए प्री-एक्टिवेटेड सिम का इस्तेमाल करते थे। जिन्हें फर्जी आईडी पर लिया जाता था। जिससे पकड़े और ट्रेस न किए जा सकें।
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