लखनऊ में भक्तमाल कथा में तुलसीदास को भक्त सम्राट बताया:भजन संकलन 'रसनिधि' का लोकार्पण किया गया
लखनऊ में राधा स्नेह दरबार द्वारा आयोजित भक्तमाल कथा के दूसरे दिन कथा व्यास रमाकांत गोस्वामी ने संत तुलसीदास के जीवन और उनके अद्वितीय भक्तिरस का गान किया। इस अवसर पर उन्होंने तुलसीदास को "भक्त सम्राट" और "सुमेरू" की उपमा दिया। बताया कि, "तुलसीदास वे प्रार्थी हैं जिन्हें रघुनाथ से गहरी प्रियता है। नाभादास ने उन्हें भक्तमाल का सुमेरू कहा है। " गोमती तट स्थित खाटूश्याम मंदिर में आयोजित कथा के दौरान गोस्वामी ने तुलसीदास के जीवन के महत्वपूर्ण पहलुओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने तुलसीदास के जन्म, शिक्षा, वैराग्य और उनके जीवन के अन्य प्रसंगों का वर्णन करते हुए कहा कि उनका समन्वय अद्वितीय था। साथ ही उन्होंने भगवान राम के चार मित्रों के बारे में भी उल्लेख किया। इसमें भरत क्षत्रिय, निषादराज शूद्र, सुग्रीव वैश्य और विभीषण ब्राह्मण थे। गोस्वामी ने कहा कि जातिगत जनगणना की आवश्यकता नहीं है। हमें सभी को मिलकर रहने की आवश्यकता है। इस अवसर पर राज्य महिला आयोग की उपाध्यक्ष अपर्णा यादव भी उपस्थित थीं। उन्होंने कथा के दौरान भजन गाया। उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने व्यास पीठ का आशीर्वाद लिया। कथा के दौरान राधा स्नेह दरबार द्वारा प्रकाशित भजनों का संकलन 'रसनिधि' का भी लोकार्पण किया गया। इस कार्यक्रम में राधा स्नेह दरबार की अध्यक्ष बिन्दू बोरा ने सभी आगंतुकों का स्वागत किया। आयोजन में विधायक डॉक्टर. नीरज बोरा, राधा स्नेह दरबार और श्याम परिवार के सदस्य पुणे से आए रघुनाथ और दयाल समूह के राजेश सिंह, मुकेश शुक्ला, मनीष शुक्ला, शैलेन्द्र शर्मा अटल, एकल परिवार के आशीष अग्रवाल, भारत भूषण गुप्ता सहित अन्य लोग उपस्थित थे। भक्तमाल कथा के आगामी सत्र में शनिवार को सायं तीन बजे से संत मीराबाई के चरित्र का आख्यान होगा।
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