लखनऊ में 'सृजन संवाद'विषय का कार्यक्रम:दिव्यांगों के जीवन पर फिल्म बनाने की योजना; 200 से अधिक देशों में हिंदी भाषा का बढ़ा प्रभाव

लखनऊ डॉ. शकुन्तला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय में 'सृजन संवाद' कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसमें नार्वे में भारतीय सूचना और सांस्कृतिक फोरम के अध्यक्ष सुरेश चंद्र शुक्ल‘शरद आलोक' मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए। उन्होंने दिव्यांगों के जीवन पर एक टेलीफिल्म बनाने की बात की। शरद आलोक ने कहा, समाज की मुख्यधारा में दिव्यांगों को सम्मानजनक स्थान दिलाने के लिए यह फिल्म जरूरी है, जिसमें उनकी समस्याओं और मनोवैज्ञानिक पहलुओं को लोग का जानने का काम करेगी। फिल्म से समाज में दिव्यांगों के प्रति संवेदनशीलता बढ़ेगी इस कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के कुलपति आचार्य संजय सिंह ने शरद आलोक की योजना का स्वागत करते हुए कहा कि इस फिल्म से समाज में दिव्यांगों के प्रति संवेदनशीलता बढ़ेगी। उन्होंने आगे कहा, ‘हिंदी भाषा एक सशक्त माध्यम है जो दुनिया भर में भारतीय संस्कृति को जोड़ने का काम करती है।’ दुनियाभर के 200 से अधिक देशों में हिंदी भाषा बढ़ा प्रभाव कार्यक्रम के दौरान शरद आलोक ने अपनी लेखन प्रक्रिया, फिल्मी जीवन और अन्य व्यक्तिगत अनुभवों के बारे में भी बताया, उन्होंने यह भी कहा कि आज हिन्दी का प्रभाव दुनियाभर में बढ़ रहा है, और 200 से अधिक देशों में हिंदी भाषा और साहित्य पढ़ा जा रहा है। इस अवसर पर प्रो. वीरोदय ने कहा कि वह देश जहाँ सूर्य नहीं अस्त होता उसका सूर्य हमारे विश्वविद्यालय के सृजन संवाद कार्यक्रम के प्रांगण में उतर कर अपने जीवन अनुभवों और कविता से प्रकाशवान कर दिया। इस कार्यक्रम का संचालन डॉ. रणजीत कुमार ने किया,जिसमें डॉ. सुधा मौर्या, डॉ. अभिषेक सिंह, डॉ. गार्गी खरे, डॉ. संत प्रकाश, डॉ. कुमार पाल समेत कई शिक्षक और छात्र उपस्थित थे।

Nov 28, 2024 - 07:45
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लखनऊ में 'सृजन संवाद'विषय का कार्यक्रम:दिव्यांगों के जीवन पर फिल्म बनाने की योजना; 200 से अधिक देशों में हिंदी भाषा का बढ़ा प्रभाव
लखनऊ डॉ. शकुन्तला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय में 'सृजन संवाद' कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसमें नार्वे में भारतीय सूचना और सांस्कृतिक फोरम के अध्यक्ष सुरेश चंद्र शुक्ल‘शरद आलोक' मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए। उन्होंने दिव्यांगों के जीवन पर एक टेलीफिल्म बनाने की बात की। शरद आलोक ने कहा, समाज की मुख्यधारा में दिव्यांगों को सम्मानजनक स्थान दिलाने के लिए यह फिल्म जरूरी है, जिसमें उनकी समस्याओं और मनोवैज्ञानिक पहलुओं को लोग का जानने का काम करेगी। फिल्म से समाज में दिव्यांगों के प्रति संवेदनशीलता बढ़ेगी इस कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के कुलपति आचार्य संजय सिंह ने शरद आलोक की योजना का स्वागत करते हुए कहा कि इस फिल्म से समाज में दिव्यांगों के प्रति संवेदनशीलता बढ़ेगी। उन्होंने आगे कहा, ‘हिंदी भाषा एक सशक्त माध्यम है जो दुनिया भर में भारतीय संस्कृति को जोड़ने का काम करती है।’ दुनियाभर के 200 से अधिक देशों में हिंदी भाषा बढ़ा प्रभाव कार्यक्रम के दौरान शरद आलोक ने अपनी लेखन प्रक्रिया, फिल्मी जीवन और अन्य व्यक्तिगत अनुभवों के बारे में भी बताया, उन्होंने यह भी कहा कि आज हिन्दी का प्रभाव दुनियाभर में बढ़ रहा है, और 200 से अधिक देशों में हिंदी भाषा और साहित्य पढ़ा जा रहा है। इस अवसर पर प्रो. वीरोदय ने कहा कि वह देश जहाँ सूर्य नहीं अस्त होता उसका सूर्य हमारे विश्वविद्यालय के सृजन संवाद कार्यक्रम के प्रांगण में उतर कर अपने जीवन अनुभवों और कविता से प्रकाशवान कर दिया। इस कार्यक्रम का संचालन डॉ. रणजीत कुमार ने किया,जिसमें डॉ. सुधा मौर्या, डॉ. अभिषेक सिंह, डॉ. गार्गी खरे, डॉ. संत प्रकाश, डॉ. कुमार पाल समेत कई शिक्षक और छात्र उपस्थित थे।

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