वाराणसी में मंदिरों की एकता का समागम:पुजारियों ने चुनौतियों पर की चर्चा, बोले- अधिकांश शक्तिपीठों के पास धूपबत्ती खरीदने तक के पैसे नहीं
यूपी में पहली बार एक अनूठा आयोजन का शुभारंभ वाराणसी में हुआ हैं। इसमें देश के अलावा विदेश में मौजूद 51 शक्तिपीठों के साथ द्वादश ज्योतिर्लिंग के प्रबंधक और पुजारी हिस्सा लेने पहुंचे। इनमें श्रीलंका, नेपाल आदि देश शामिल हैं। शिव शक्ति के मिलन की धरती काशी में इन पवित्र स्थानों की देखरेख करने वालों को एकजुट करने की कवायद शुरू की गई है। आयोजकों का कहना है कि अभी तक इन सभी शक्तिपीठों में आपसी सामंजस्य नहीं है, न ही द्वादश ज्योतिर्लिंगों के बीच आपसी सामंजस्य है। आयोजन में आने वाले शक्तिपीठों के प्रमुख और संतों की मौजूदगी में शक्तिपीठ और द्वादश ज्योतिर्लिंगों के प्रबंधन में मौजूद चुनौतियों पर चर्चा होगी और बड़ा निर्णय सनातन एकता पर लिया जाएगा। दैनिक भास्कर रिपोर्टर ने इस समारोह मे शामिल विभिन्न मंदिरों के पुरोहित, पुजारी और संतों से बातचीत की... वाराही शक्तिपीठ भी काशी में: प्रखर जी महाराज प्रखर आश्रम के पीठाधीश्वर महामंडलेश्वर प्रखर जी महाराज ने दावा किया कि वाराही शक्तिपीठ को लेकर जो अनिर्णीत विवाद है, उसका समाधान यही है कि वह शक्तिपीठ और कहीं नहीं अपितु काशी में ही है। इस प्रकार काशी में दो शक्तिपीठ हैं एक मां विशालाक्षी देवी की और दूसरी वाराही देवी की। शास्त्रों में वर्णन है कि वाराही देवी पंचसागर में अवस्थित हैं, जिस प्रकार का वर्णन है और जो मान्यता उनके महाराष्ट्र में होने की है वहां जाने पर ऐसा कुछ दिखता नहीं लेकिन काशी में पंचगंगा घाट पर पांच नदियों के संगम की जो बात है और उसके ऊपर अवस्थित मंदिर भी है इससे यह सिद्ध होता है कि वाराही देवी की शक्ति पीठ काशी में ही अवस्थित है। भारत और नेपाल का रिश्ता है गहरा : सुमन कर्मचार्य इस समागम में नेपाल से हिस्सा लेने पहुंचे सुमन कर्मचार्य ने बताया है कि इस समागम में हम लोग धर्म पर चर्चा करेंगे। क्योंकि हम सभी लोग एक हैं। भारत और नेपाल का रिश्ता बहुत गहरा है। जिस प्रकार भारत में कामाख्या मंदिर शक्तिपीठ का दर्शन किया जाता है। इसी प्रकार जब आप नेपाल आते हैं तो पशुपतिनाथ मंदिर से पहले वहां पर गुजरेश्वरी मंदिर शक्तिपीठ के दर्शन करने होते हैं। वाराणसी में आयोजित इस समागम में हम 9 लोगों के साथ आए हैं। महाकाल मंदिर की तरह होनी चाहिए ट्रस्ट व्यवस्था : लोकेन्द्र व्यास लोकेन्द्र व्यास महाकाल मंदिर पुरोहित अध्यक्ष ने कहा - 51 शक्तिपीठ और 12 ज्योतिर्लिंगों का यह महासंगम है। उन्होंने कहा कि इस आयोजन का लाभ बहुत अच्छा मिलने वाला है। उन्होंने कहा कि इस बैठक के बाद सनातनी व्यवस्था में काफी कुछ बदलाव होगा। उन्होंने कहा कि बैठक में हम यह विषय पर चर्चा करेंगे की 51 शक्ति पीठ और 12 ज्योतिर्लिंग में किसी प्रकार की अगर आप व्यवस्था होती है तो हम सभी एक साथ आवाज उठा सके। उन्होंने कहा कि हमारे महाकाल मंदिर में सरकारी ट्रस्ट है इसके अलावा मंदिर का एक अधिनियम है उन्होंने कहा कि जो बोर्ड बना हुआ है उसमें हमारी पुजारी परिवार के दो लोग भी शामिल हैं। उन्होंने कहा की व्यवस्था ऐसी होनी चाहिए जिससे प्रशासन और मंदिर के पुजारी को कोई दिक्कत ना हो। ज्योतिलिंग की की विकास के साथ-साथ हिन्दुओं को होना होगा एक : कुमार बाबुराव जोशी कुमार बाबुराव जोशी परकी ज्योतिलिंग महाराष्ट्र से पहुंचे उन्होंने कहा कि-उन्होंने कहा कि हमारे लिए मंदिर डेवलप बहुत हो गया। उन्होंने बताया कि हमारा ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र में आता है और वह पांचवा ज्योतिर्लिंग है हमने उसके विकास के लिए प्रधानमंत्री को भी पत्र लिखा है और अपने प्रदेश के मुख्यमंत्री को भी उसके लिए कहा है उन्होंने कहा कि सरकार में विकास बहुत हो रहा है लेकिन अब हमें सनातन एकता को बनाए रखने के लिए एक होना पड़ेगा और हर मंदिरों की समस्या के समाधान के लिए एक साथ आवाज उठानी होगी। उन्होंने कहा कि अगर हम शांत बैठेंगे तो कुछ नहीं होगा इसलिए हमें कुछ करना होगा और लोगों को जागरूक होना पड़ेगा। अधिकांश शक्तिपीठों के पास धूप खरीदने तक के पैसे नहीं पश्चिम बंगाल के तुगलक मेदनीपुर स्थित शक्तिपीठ मां बरगाभिमा मंदिर से इस आयोजन में शामिल होने आये मंदिर प्रबंध समिति से जुड़े संविधान अधिकारी का कहना है, कि बहुत से ज्योतिर्लिंग और शक्तिपीठों के पास हिसाब का पैसा है। लेकिन, बहुत से शक्तिपीठ ऐसे हैं जिनके पास अगरबत्ती खरीदने का भी पैसा नहीं होता। बहुत से शक्तिपीठों को जानकारी ही नहीं है कि उनको कैसे डेवलप किया जाए। लोग भी वहां तक नहीं पहुंचते हैं। ऐसे में सरकार को चाहिए कि हर शक्तिपीठ का बराबर से विकास करें। उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल में तो हालात और भी खराब है। कहने को अकेले तेरह शक्तिपीठ पश्चिम बंगाल में है, लेकिन वहां की सरकार किसी भी मंदिर की देखरेख और डेवलपमेंट के लिए कोई प्लान नहीं बनाती, न ही खर्च करती है। ऐसे में जो भी काम करना है हम लोगों को स्वयं करना होता है,जो मुश्किल पैदा करता है।
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