श्रावस्ती में करवा चौथ पर सुहागिनों ने रखा निर्जला व्रत:चंद्रमा को देखकर खोला व्रत, पति की लंबी उम्र की कामना की

श्रावस्ती में करवा चौथ का पर्व धूमधाम से मनाया गया। इस अवसर पर सुहागिन महिलाओं ने निर्जला व्रत रखा और रात्रि के समय चंद्रोदय के बाद व्रत खोला। महिलाओं ने छलनी से चंद्रमा का दर्शन करते हुए पति का चेहरा देखा और फिर व्रत का पारण किया। हर साल कार्तिक माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाए जाने वाले इस पर्व में महिलाएं विशेष रूप से चंद्रमा की पूजा करती हैं। व्रत खोलने के लिए महिलाएं पहले चंद्रमा को छलनी से देखती हैं, जो इस पर्व की एक महत्वपूर्ण परंपरा है। इस दिन भगवान गणेश, शिव-पार्वती और कार्तिकेय की पूजा का भी महत्व है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, मां पार्वती को अखंड सौभाग्यवती का वरदान प्राप्त है, इसलिए महिलाएं भी अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद पाने के लिए इस दिन व्रत रखती हैं। चंद्रमा की पूजा का एक और कारण यह है कि चंद्रमा को पुरुष रूपी ब्रह्मा का स्वरूप माना जाता है, और उनकी पूजा से सभी पापों का नाश होता है। चंद्रमा के पास रूप, शीतलता और प्रेम के साथ-साथ लंबी आयु का वरदान है, जिससे महिलाएं अपने पतियों के लिए ये गुण पाने की प्रार्थना करती हैं। पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान गणेश ने चंद्रमा को कलंकित होने का श्राप दिया था। इस श्राप के अनुसार, जो भी चंद्रमा को नग्न आंखों से देखेगा, उसे अपमान का सामना करना पड़ेगा। इसी कारण करवा चौथ के दिन चंद्रमा को सीधे देखने के बजाय छलनी के माध्यम से देखा जाता है। छलनी पर रखा दीया भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसे कलंक को काटने वाला माना जाता है। दीये की लौ को सर्वाधिक पवित्र माना जाता है, और इसके प्रभाव से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है।

Oct 20, 2024 - 22:30
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श्रावस्ती में करवा चौथ पर सुहागिनों ने रखा निर्जला व्रत:चंद्रमा को देखकर खोला व्रत, पति की लंबी उम्र की कामना की
श्रावस्ती में करवा चौथ का पर्व धूमधाम से मनाया गया। इस अवसर पर सुहागिन महिलाओं ने निर्जला व्रत रखा और रात्रि के समय चंद्रोदय के बाद व्रत खोला। महिलाओं ने छलनी से चंद्रमा का दर्शन करते हुए पति का चेहरा देखा और फिर व्रत का पारण किया। हर साल कार्तिक माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाए जाने वाले इस पर्व में महिलाएं विशेष रूप से चंद्रमा की पूजा करती हैं। व्रत खोलने के लिए महिलाएं पहले चंद्रमा को छलनी से देखती हैं, जो इस पर्व की एक महत्वपूर्ण परंपरा है। इस दिन भगवान गणेश, शिव-पार्वती और कार्तिकेय की पूजा का भी महत्व है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, मां पार्वती को अखंड सौभाग्यवती का वरदान प्राप्त है, इसलिए महिलाएं भी अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद पाने के लिए इस दिन व्रत रखती हैं। चंद्रमा की पूजा का एक और कारण यह है कि चंद्रमा को पुरुष रूपी ब्रह्मा का स्वरूप माना जाता है, और उनकी पूजा से सभी पापों का नाश होता है। चंद्रमा के पास रूप, शीतलता और प्रेम के साथ-साथ लंबी आयु का वरदान है, जिससे महिलाएं अपने पतियों के लिए ये गुण पाने की प्रार्थना करती हैं। पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान गणेश ने चंद्रमा को कलंकित होने का श्राप दिया था। इस श्राप के अनुसार, जो भी चंद्रमा को नग्न आंखों से देखेगा, उसे अपमान का सामना करना पड़ेगा। इसी कारण करवा चौथ के दिन चंद्रमा को सीधे देखने के बजाय छलनी के माध्यम से देखा जाता है। छलनी पर रखा दीया भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसे कलंक को काटने वाला माना जाता है। दीये की लौ को सर्वाधिक पवित्र माना जाता है, और इसके प्रभाव से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है।

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