हाईकोर्ट ने सचिव आवास से मांगा जवाब! ऋषिकेश में अवैध निर्माण का मामला गरमाया

उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने ऋषिकेश में हो रहे अवैध निर्माणों को लेकर राज्य सरकार पर कड़ा रुख अपनाया है। अदालत की खंडपीठ ने सचिव आवास को व्यक्तिगत रूप से 9…

Jul 3, 2025 - 18:27
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हाईकोर्ट ने सचिव आवास से मांगा जवाब! ऋषिकेश में अवैध निर्माण का मामला गरमाया
उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने ऋषिकेश में हो रहे अवैध निर्माणों को लेकर राज्य सरकार पर कड़ा रुख अपना

हाईकोर्ट ने सचिव आवास से मांगा जवाब! ऋषिकेश में अवैध निर्माण का मामला गरमाया

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कम शब्दों में कहें तो, उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने ऋषिकेश में अवैध निर्माणों के खिलाफ राज्य सरकार का कड़ा पक्ष लिया है। अदालत की खंडपीठ ने सचिव आवास को 9 जुलाई को व्यक्तिगत रूप से पेश होने का आदेश दिया है, जो बिना स्वीकृत नक्शे के निर्माण कार्य की गंभीरता की ओर इशारा करता है।

निर्माण नियमों का उल्लंघन और उसका प्रभाव

हाल ही में आई रिपोर्टों के अनुसार, ऋषिकेश क्षेत्र में कई निर्माण कार्य बिना अनुमति के चल रहे हैं। यह स्थिति तब सामने आई जब राज्य सरकार ने इस मुद्दे को गंभीरता से नहीं लिया। उच्च न्यायालय को इस विषय में हस्तक्षेप करने के लिए मजबूर होना पड़ा। अदालत ने गढ़वाल कमिश्नर और मसूरी-देहरादून विकास प्राधिकरण के अधिकारियों को भी तलब किया है, ताकि इस स्थिति का स्पष्ट और संपूर्ण आकलन किया जा सके।

सचिव आवास के लिए सुनवाई की प्रक्रिया

हाईकोर्ट ने स्पष्ट तौर पर निर्देश दिया है कि सचिव आवास स्पष्ट करें कि कैसे बिना स्वीकृत नक्शे के निर्माण हो रहा है। यह निर्णय स्थानीय निवासियों के लिए एक उम्मीद की किरण लगती है, जो अवैध निर्माणों के कारण उत्पन्न होने वाली समस्याओं जैसे प्रदूषण और यातायात की दिक्कतों का सामना कर रहे हैं।

स्थानीय निवासियों की आवाज़

स्थानीय लोगों ने न्यायालय के समक्ष अपनी चिंताओं को व्यक्त किया है। उन्होंने बताया कि अवैध निर्माण उनके जीवन को बेहद प्रभावित कर रहा है। यदि इस विषय पर तुरंत कार्रवाई नहीं की जाती है तो इससे स्थानीय पर्यावरण पर विपरीत प्रभाव पड़ सकता है। राज्य सरकार की निष्क्रियता पर न्यायालय ने गंभीर टिप्पणी की है, जो इस मुद्दे की गंभीरता को दर्शाता है।

सरकारी कार्रवाई और नैतिक जिम्मेदारी

इस मामले में सरकारी कार्रवाई का महत्व कानून के अनुपालन के साथ-साथ समाज और पर्यावरण की सुरक्षा में भी निहित है। न्यायालय ने यह स्पष्ट कर दिया है कि अवैध निर्माण केवल एक कानूनी समस्या नहीं है, बल्कि यह सामाजिक और पर्यावरणीय मुद्दों का भी हिस्सा है। ऐसे में राज्य सरकार पर दबाव बनाना अनिवार्य है कि वह इस विषय में उचित कदम उठाए।

इस प्रकार, यह सुनवाई न केवल ऋषिकेश में अवैध निर्माणों को उजागर करती है, बल्कि पूरे उत्तराखंड में कानूनी अनियमितताओं के प्रति रुख भी स्पष्ट करती है। जब अदालत ने कार्यवाही शुरू की है, तो यह इस बात का संकेत है कि समाज के हितों की रक्षा में कानूनी प्रणाली भी सक्रिय है।

भविष्य की संभावनाएं

निष्कर्ष स्वरूप, हम आशा करते हैं कि उत्तराखंड सरकार इस मामले को गंभीरता से लेगी और अवैध निर्माणों पर प्रभावी कार्रवाई करेगी। स्थानीय निवासियों की चिंताओं को सुनना और उनका समाधान करना शासन की सबसे बड़ी प्राथमिकता होनी चाहिए। अदालती कार्यवाही के ताजे अपडेट्स के लिए, कृपया हमारे साथ चलते रहें।

लेखकों की टीम: साक्षी अग्रवाल, प्रिया जोशी, अंजली पाल - टीम India Twoday

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