हिमाचल में 2 सप्ताह तक अच्छी बारिश-बर्फबारी नहीं:20 साल में दूसरी बार रिकार्ड तोड़ सूखा; 63% जमीन पर नहीं हो सकी गेहूं नहीं बुवाई

हिमाचल प्रदेश में 58 दिन का ड्राइ स्पेल हो गया है। अगले दो हफ्ते तक इसके टूटने के आसार नहीं है। हालांकि लाहौल स्पीति, चंबा, कांगड़ा और कुल्लू की अधिक ऊंची चोटियों पर 30 नवंबर और 1 व 2 दिसंबर को हल्की बर्फबारी का पूर्वानुमान है। मगर प्रदेश के ज्यादातर क्षेत्रों में अभी बारिश-बर्फबारी के कोई आसार नहीं है। मौसम विभाग के अनुसार, साल 2016 में अक्टूबर और नवंबर माह में सबसे कम 5 मिमीमीटर बारिश हुई थी। इस बार भी इन दो महीने में 0.9 मिलीमीटर बारिश हुई है। प्रदेश में बीते 20 सालों में यह दूसरी सबसे कम बारिश है। प्रदेश में लंबे ड्राइ स्पेल की सबसे ज्यादा मार किसानों पर पड़ी है। अब पर्यटन कारोबार और पेयजल योजनाओं पर भी असर पड़ने लगा है। 6 जिलों में 58 दिन से एक बूंद भी नहीं बरसी मौसम विभाग के अनुसार, एक अक्टूबर से 28 नवंबर के बीच 42.2 मिलीमीटर नॉर्मल बारिश होती है। मगर इस बार 58 दिन में मात्र 0.9 मिलीमीटर बादल बरसे है। बीते 58 दिन से 6 जिले सोलन, सिरमौर, कुल्लू, चंबा, हमीरपुर और बिलासपुर में पानी की एक भी बूंद तक नहीं बरसी। अन्य जिलों में भी नाम मात्र की बारिश हुई है। वहीं नवंबर में चार दिन पहले लाहौल स्पीति की ऊंची चोटियों पर हल्का हिमपात जरूर हुआ है। मगर 11 जिलों में नवंबर में एक बूंद भी गिरी। परसो बारिश-बर्फबारी के आसार मौसम विज्ञान केंद्र शिमला के निदेशक कुलदीप श्रीवास्तव ने बताया 2016 के बाद दूसरी सबसे कम बारिश इस बार पोस्ट मानसून सीजन में हुई है। मानसून के बाद वेस्टर्न डिस्टरबेंस (WD) सक्रिय होने से ही हिमाचल में बारिश होती है। दो महीने में जो WD एक्टिव हुए है, वह कमजोर पड़े है और हिमाचल में बिन बरसे लेह-लद्दाख की ओर गए है। उन्होंने बताया कि 30 नवंबर और एक व 2 दिसंबर को भी अधिक ऊंचे पहाड़ों पर ही बारिश-बर्फबारी का पूर्वानुमान है। अन्य क्षेत्रों में मौसम साफ रहेगा। 37% जमीन पर गेंहू की बुवाई कर पाए किसान कृषि विभाग की ताजा रिपोर्ट के अनुसार, इस बार मुश्किल से 37 प्रतिशत जमीन पर गेंहू की बुवाई हो गई है। वहीं पर्वतीय क्षेत्रों में गेंहू की बुवाई का उचित समय 1 नवंबर और मैदानी इलाकों में 15 नवंबर को बीत गया है। जाहिर है कि इससे गेंहू के उत्पादन में कमी आएगी। पर्यटन कारोबार पर मौसम की मार बर्फबारी नहीं होने से पर्यटन कारोबार पर भी मार पड़ने लगी है। अमूमन 15 अक्टूबर के बाद ऊंचे पहाड़ों पर बर्फबारी शुरू हो जाती थी। इससे देशभर से पर्यटक बर्फ को देखने की चाहत में पहाड़ों पर पहुंचता था। मगर इस बार अब तक पहाड़ सूखे पड़े है। इससे पर्यटन कारोबारी चिंता में है और बर्फबारी के इंतजार में टकटकी लगाए बैठे हैं। पेयजल योजनाओं पर पड़ रहा असर: अंजू जल शक्ति विभाग की प्रमुख अभियंता अंजू शर्मा ने बताया कि पेयजल योजनाओं पर असर पड़ने लगा है। उन्होंने फील्ड से इसकी रिपोर्ट मांग ली है।

Nov 28, 2024 - 11:05
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हिमाचल में 2 सप्ताह तक अच्छी बारिश-बर्फबारी नहीं:20 साल में दूसरी बार रिकार्ड तोड़ सूखा; 63% जमीन पर नहीं हो सकी गेहूं नहीं बुवाई
हिमाचल प्रदेश में 58 दिन का ड्राइ स्पेल हो गया है। अगले दो हफ्ते तक इसके टूटने के आसार नहीं है। हालांकि लाहौल स्पीति, चंबा, कांगड़ा और कुल्लू की अधिक ऊंची चोटियों पर 30 नवंबर और 1 व 2 दिसंबर को हल्की बर्फबारी का पूर्वानुमान है। मगर प्रदेश के ज्यादातर क्षेत्रों में अभी बारिश-बर्फबारी के कोई आसार नहीं है। मौसम विभाग के अनुसार, साल 2016 में अक्टूबर और नवंबर माह में सबसे कम 5 मिमीमीटर बारिश हुई थी। इस बार भी इन दो महीने में 0.9 मिलीमीटर बारिश हुई है। प्रदेश में बीते 20 सालों में यह दूसरी सबसे कम बारिश है। प्रदेश में लंबे ड्राइ स्पेल की सबसे ज्यादा मार किसानों पर पड़ी है। अब पर्यटन कारोबार और पेयजल योजनाओं पर भी असर पड़ने लगा है। 6 जिलों में 58 दिन से एक बूंद भी नहीं बरसी मौसम विभाग के अनुसार, एक अक्टूबर से 28 नवंबर के बीच 42.2 मिलीमीटर नॉर्मल बारिश होती है। मगर इस बार 58 दिन में मात्र 0.9 मिलीमीटर बादल बरसे है। बीते 58 दिन से 6 जिले सोलन, सिरमौर, कुल्लू, चंबा, हमीरपुर और बिलासपुर में पानी की एक भी बूंद तक नहीं बरसी। अन्य जिलों में भी नाम मात्र की बारिश हुई है। वहीं नवंबर में चार दिन पहले लाहौल स्पीति की ऊंची चोटियों पर हल्का हिमपात जरूर हुआ है। मगर 11 जिलों में नवंबर में एक बूंद भी गिरी। परसो बारिश-बर्फबारी के आसार मौसम विज्ञान केंद्र शिमला के निदेशक कुलदीप श्रीवास्तव ने बताया 2016 के बाद दूसरी सबसे कम बारिश इस बार पोस्ट मानसून सीजन में हुई है। मानसून के बाद वेस्टर्न डिस्टरबेंस (WD) सक्रिय होने से ही हिमाचल में बारिश होती है। दो महीने में जो WD एक्टिव हुए है, वह कमजोर पड़े है और हिमाचल में बिन बरसे लेह-लद्दाख की ओर गए है। उन्होंने बताया कि 30 नवंबर और एक व 2 दिसंबर को भी अधिक ऊंचे पहाड़ों पर ही बारिश-बर्फबारी का पूर्वानुमान है। अन्य क्षेत्रों में मौसम साफ रहेगा। 37% जमीन पर गेंहू की बुवाई कर पाए किसान कृषि विभाग की ताजा रिपोर्ट के अनुसार, इस बार मुश्किल से 37 प्रतिशत जमीन पर गेंहू की बुवाई हो गई है। वहीं पर्वतीय क्षेत्रों में गेंहू की बुवाई का उचित समय 1 नवंबर और मैदानी इलाकों में 15 नवंबर को बीत गया है। जाहिर है कि इससे गेंहू के उत्पादन में कमी आएगी। पर्यटन कारोबार पर मौसम की मार बर्फबारी नहीं होने से पर्यटन कारोबार पर भी मार पड़ने लगी है। अमूमन 15 अक्टूबर के बाद ऊंचे पहाड़ों पर बर्फबारी शुरू हो जाती थी। इससे देशभर से पर्यटक बर्फ को देखने की चाहत में पहाड़ों पर पहुंचता था। मगर इस बार अब तक पहाड़ सूखे पड़े है। इससे पर्यटन कारोबारी चिंता में है और बर्फबारी के इंतजार में टकटकी लगाए बैठे हैं। पेयजल योजनाओं पर पड़ रहा असर: अंजू जल शक्ति विभाग की प्रमुख अभियंता अंजू शर्मा ने बताया कि पेयजल योजनाओं पर असर पड़ने लगा है। उन्होंने फील्ड से इसकी रिपोर्ट मांग ली है।

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