अम्बेडकरनगर में धूमधाम से मनी देव उठानी एकादशी:पंचकोसी परिक्रमा कर पवित्र स्थल श्रवण क्षेत्र में श्रद्धालु कर रहे पूजा-पाठ

अम्बेडकरनगर में आज देव उठानी एकादशी का पर्व बड़े धूमधाम से मनाया जा रहा है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस दिन भगवान विष्णु अपनी चार महीने की योगनिद्रा से जागते हैं, और इसके साथ ही शुभ कार्यों का शुभारंभ होता है। इस खास मौके पर श्रद्धालु पंचकोश परिक्रमा करते हुए पवित्र श्रवण क्षेत्र में स्नान कर रहे हैं। महिलाओं में दिखा विशेष उत्साह पर्व के दौरान महिलाओं में विशेष उत्साह देखा जा रहा है। सुबह से ही बाजारों में गन्ना, सिंघाड़ा और शकरकंद की खरीदारी जोरों पर है। श्रद्धालु इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा अर्चना कर खुशहाली की कामना कर रहे हैं। शाम को घरों में होगी पूजा-अर्चना शाम के समय घरों में विधि-विधान से देवोत्थान भगवान की आकृति बनाकर पूजा अर्चना की जाएगी। इस दौरान घरों में ‘उठो देव, जागो देव’ के जयकारे गूंज उठेंगे। इस दिन भगवान विष्णु की चार माह की निद्रा समाप्त होती है, जिसके बाद हिन्दू समाज में शादी-ब्याह के आयोजनों की शुरुआत भी हो जाती है। पंडित अखिलेश तिवारी का संदेश स्थानीय पंडित अखिलेश तिवारी ने बताया कि कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को भगवान विष्णु की निद्रा समाप्त होती है, और इसलिए इसे देवोत्थान या प्रवोधिनी एकादशी कहा जाता है। इस दिन रात के समय घरों के बाहर और पूजा स्थलों पर दीप जलाए जाते हैं। साथ ही विधिपूर्वक पूजा करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। देवोत्थान एकादशी के दिन तुलसी के वृक्ष और शालिग्राम का विवाह भी धूमधाम से कराया जाता है, जो इस पर्व की एक महत्वपूर्ण परंपरा है।

Nov 12, 2024 - 17:55
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अम्बेडकरनगर में धूमधाम से मनी देव उठानी एकादशी:पंचकोसी परिक्रमा कर पवित्र स्थल श्रवण क्षेत्र में श्रद्धालु कर रहे पूजा-पाठ
अम्बेडकरनगर में आज देव उठानी एकादशी का पर्व बड़े धूमधाम से मनाया जा रहा है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस दिन भगवान विष्णु अपनी चार महीने की योगनिद्रा से जागते हैं, और इसके साथ ही शुभ कार्यों का शुभारंभ होता है। इस खास मौके पर श्रद्धालु पंचकोश परिक्रमा करते हुए पवित्र श्रवण क्षेत्र में स्नान कर रहे हैं। महिलाओं में दिखा विशेष उत्साह पर्व के दौरान महिलाओं में विशेष उत्साह देखा जा रहा है। सुबह से ही बाजारों में गन्ना, सिंघाड़ा और शकरकंद की खरीदारी जोरों पर है। श्रद्धालु इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा अर्चना कर खुशहाली की कामना कर रहे हैं। शाम को घरों में होगी पूजा-अर्चना शाम के समय घरों में विधि-विधान से देवोत्थान भगवान की आकृति बनाकर पूजा अर्चना की जाएगी। इस दौरान घरों में ‘उठो देव, जागो देव’ के जयकारे गूंज उठेंगे। इस दिन भगवान विष्णु की चार माह की निद्रा समाप्त होती है, जिसके बाद हिन्दू समाज में शादी-ब्याह के आयोजनों की शुरुआत भी हो जाती है। पंडित अखिलेश तिवारी का संदेश स्थानीय पंडित अखिलेश तिवारी ने बताया कि कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को भगवान विष्णु की निद्रा समाप्त होती है, और इसलिए इसे देवोत्थान या प्रवोधिनी एकादशी कहा जाता है। इस दिन रात के समय घरों के बाहर और पूजा स्थलों पर दीप जलाए जाते हैं। साथ ही विधिपूर्वक पूजा करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। देवोत्थान एकादशी के दिन तुलसी के वृक्ष और शालिग्राम का विवाह भी धूमधाम से कराया जाता है, जो इस पर्व की एक महत्वपूर्ण परंपरा है।

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