अयोध्या में मेडिकल कॉलेज में भ्रष्टाचार का मामला:प्रधानाचार्य के खिलाफ अब विजिलेंस करेंगी जांच, FIR भी हो चुकी है दर्ज

राजर्षि दशरथ स्वशासी राज्य चिकित्सा महाविद्यालय के प्रधानाचार्य डॉ. ज्ञानेंद्र कुमार के खिलाफ विजिलेंस जांच के आदेश दिए गए हैं। यह निर्णय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर गृह विभाग द्वारा लिया गया है, जिसमें डॉ. ज्ञानेंद्र कुमार के दर्ज भ्रष्टाचार के मामले की जांच करेगी। प्राचार्य पर कई भ्रष्टाचार के आरोप हैं। प्राचार्य पर आरोप है कि बीमारियों की जांच के लिए मशीनें खरीदने में नियमों का पालन नहीं किया गया , निजी अस्पतालों के साथ मिलीभगत कर आईसीयू बंद किया गया। वार्ड बॉय की भर्ती में एक-एक लाख रुपये लेने का आरोप शामिल है। इससे पहले कोर्ट के आदेश पर डॉ. ज्ञानेंद्र कुमार के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज हो चुकी है और लोकायुक्त से भी शिकायत हुई थी, जिसकी जांच अभी भी जारी है। सिद्धार्थनगर के रहने वाले सतीश चंद्र ने लोकायुक्त में लगभग तीन माह पहले शिकायत दर्ज कराई थी। उन्होंने आरोप लगाया कि प्रधानाचार्य ने विभिन्न प्रकार की बीमारियों की जांच के लिए मशीनें खरीदने में भ्रष्टाचार किया है। इसके अलावा, उन पर निजी अस्पतालों के साथ मिलीभगत करके आईसीयू बंद कराने और वार्ड बॉय की भर्ती में एक-एक लाख रुपये लेने का आरोप भी लगाया गया है। लोकायुक्त प्रशासन ने इस मामले में जांच के आदेश दिए हैं और चिकित्सा शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव पार्थ सारथी सेन शर्मा को तीन सदस्यीय जांच समिति गठित करने का निर्देश दिया है। एडिशनल डायरेक्टर डीजीएमई लखनऊ राम भरत त्रिपाठी की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय हाई पावर कमेटी गठित की गई है और उन्हें 24 मई तक रिपोर्ट देने का निर्देश दिया गया था। हाई पावर कमेटी के अध्यक्ष के पहुंचने के बाद यह चर्चा आम हो गई कि हाई पावर कमेटी के अध्यक्ष लोकायुक्त में शिकायत की जांच करने पहुंचे थे। इस मुद्दे पर मेडिकल कॉलेज का कोई भी अफसर कुछ भी बोलने से परहेज कर रहा था।

Nov 26, 2024 - 09:50
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अयोध्या में मेडिकल कॉलेज में भ्रष्टाचार का मामला:प्रधानाचार्य के खिलाफ अब विजिलेंस करेंगी जांच, FIR भी हो चुकी है दर्ज
राजर्षि दशरथ स्वशासी राज्य चिकित्सा महाविद्यालय के प्रधानाचार्य डॉ. ज्ञानेंद्र कुमार के खिलाफ विजिलेंस जांच के आदेश दिए गए हैं। यह निर्णय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर गृह विभाग द्वारा लिया गया है, जिसमें डॉ. ज्ञानेंद्र कुमार के दर्ज भ्रष्टाचार के मामले की जांच करेगी। प्राचार्य पर कई भ्रष्टाचार के आरोप हैं। प्राचार्य पर आरोप है कि बीमारियों की जांच के लिए मशीनें खरीदने में नियमों का पालन नहीं किया गया , निजी अस्पतालों के साथ मिलीभगत कर आईसीयू बंद किया गया। वार्ड बॉय की भर्ती में एक-एक लाख रुपये लेने का आरोप शामिल है। इससे पहले कोर्ट के आदेश पर डॉ. ज्ञानेंद्र कुमार के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज हो चुकी है और लोकायुक्त से भी शिकायत हुई थी, जिसकी जांच अभी भी जारी है। सिद्धार्थनगर के रहने वाले सतीश चंद्र ने लोकायुक्त में लगभग तीन माह पहले शिकायत दर्ज कराई थी। उन्होंने आरोप लगाया कि प्रधानाचार्य ने विभिन्न प्रकार की बीमारियों की जांच के लिए मशीनें खरीदने में भ्रष्टाचार किया है। इसके अलावा, उन पर निजी अस्पतालों के साथ मिलीभगत करके आईसीयू बंद कराने और वार्ड बॉय की भर्ती में एक-एक लाख रुपये लेने का आरोप भी लगाया गया है। लोकायुक्त प्रशासन ने इस मामले में जांच के आदेश दिए हैं और चिकित्सा शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव पार्थ सारथी सेन शर्मा को तीन सदस्यीय जांच समिति गठित करने का निर्देश दिया है। एडिशनल डायरेक्टर डीजीएमई लखनऊ राम भरत त्रिपाठी की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय हाई पावर कमेटी गठित की गई है और उन्हें 24 मई तक रिपोर्ट देने का निर्देश दिया गया था। हाई पावर कमेटी के अध्यक्ष के पहुंचने के बाद यह चर्चा आम हो गई कि हाई पावर कमेटी के अध्यक्ष लोकायुक्त में शिकायत की जांच करने पहुंचे थे। इस मुद्दे पर मेडिकल कॉलेज का कोई भी अफसर कुछ भी बोलने से परहेज कर रहा था।

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