एसआईटी जांच में फर्जी पाए गए 21 कर्मचारी, चार बर्खास्त:एटा में फर्जी तरीके से कर रहे थे नौकरी, सैलरी होगी रिकवर, 17 की पेंशन पर रोक

एटा जिले में वर्ष 1993 और 1995 में सरकारी नौकरी पाने वाले 21 कर्मचारियों के खिलाफ एसआईटी (स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम) की जांच में बड़ा खुलासा हुआ है। जांच में यह कर्मचारी फर्जी पाए गए हैं, जिसके बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने उन्हें बर्खास्त करते हुए उन पर अब तक प्राप्त सभी प्रकार के भुगतान की वसूली के आदेश दिए हैं। इसमें से चार कर्मचारी वर्तमान में एटा में तैनात हैं, जबकि 17 कर्मचारी रिटायर्ड हो चुके हैं। बर्खास्त किए गए कर्मचारियों में चार बाबू शामिल एसआईटी की जांच रिपोर्ट के बाद एटा के विभिन्न दफ्तरों में तैनात चार बाबुओं को बर्खास्त कर दिया गया है। इनमें नरेंद्र सिंह यादव, महेश कुमार यादव, विनीत कुमार, और हरिनंदन सिंह का नाम शामिल है। इन कर्मचारियों पर अब तक प्राप्त सभी प्रकार के भुगतान की वसूली की जाएगी। इसके अलावा, 17 रिटायर्ड कर्मचारियों की पेंशन पर भी रोक लगा दी गई है। महत्वपूर्ण दस्तावेज गायब होने के बाद शुरू हुई जांच एटा जिले में यह मामला उस समय सामने आया जब सरकारी नौकरी से संबंधित महत्वपूर्ण दस्तावेज गायब पाए गए थे। इसके बाद एसआईटी को जांच सौंप दी गई थी। एसआईटी की रिपोर्ट में यह सभी कर्मचारी फर्जी पाए गए, जिनके खिलाफ कार्रवाई की गई है। जांच रिपोर्ट के बाद उत्तर प्रदेश शासन ने इन कर्मचारियों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही की है। पेंशन रोकने और भुगतान की वसूली के आदेश एसआईटी जांच में दोषी पाए गए कर्मचारियों में से जिनकी पेंशन अभी चल रही थी, उनकी पेंशन भी रोक दी गई है। शासन ने इन कर्मचारियों से सेवाकाल और रिटायरमेंट के बाद प्राप्त किए गए सभी भुगतान की वसूली के आदेश दिए हैं। इसके अलावा, जिन तीन कर्मचारियों के बारे में शिकायत थी और जिनके बारे में पेंशन के संदिग्ध मामले थे, उन पर भी कार्रवाई की गई है। एटा जिला प्रशासन ने प्रेस नोट जारी करते हुए इस बड़ी कार्यवाही की जानकारी दी है। हालांकि, इस मामले पर जिले के कोई अधिकारी मीडिया के सामने बोलने के लिए तैयार नहीं हुए हैं। शासन की इस बड़ी कार्यवाही के बाद एटा जिला प्रशासन में हड़कंप मच गया है।

Nov 28, 2024 - 12:15
 0  7.7k
एसआईटी जांच में फर्जी पाए गए 21 कर्मचारी, चार बर्खास्त:एटा में फर्जी तरीके से कर रहे थे नौकरी, सैलरी होगी रिकवर, 17 की पेंशन पर रोक
एटा जिले में वर्ष 1993 और 1995 में सरकारी नौकरी पाने वाले 21 कर्मचारियों के खिलाफ एसआईटी (स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम) की जांच में बड़ा खुलासा हुआ है। जांच में यह कर्मचारी फर्जी पाए गए हैं, जिसके बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने उन्हें बर्खास्त करते हुए उन पर अब तक प्राप्त सभी प्रकार के भुगतान की वसूली के आदेश दिए हैं। इसमें से चार कर्मचारी वर्तमान में एटा में तैनात हैं, जबकि 17 कर्मचारी रिटायर्ड हो चुके हैं। बर्खास्त किए गए कर्मचारियों में चार बाबू शामिल एसआईटी की जांच रिपोर्ट के बाद एटा के विभिन्न दफ्तरों में तैनात चार बाबुओं को बर्खास्त कर दिया गया है। इनमें नरेंद्र सिंह यादव, महेश कुमार यादव, विनीत कुमार, और हरिनंदन सिंह का नाम शामिल है। इन कर्मचारियों पर अब तक प्राप्त सभी प्रकार के भुगतान की वसूली की जाएगी। इसके अलावा, 17 रिटायर्ड कर्मचारियों की पेंशन पर भी रोक लगा दी गई है। महत्वपूर्ण दस्तावेज गायब होने के बाद शुरू हुई जांच एटा जिले में यह मामला उस समय सामने आया जब सरकारी नौकरी से संबंधित महत्वपूर्ण दस्तावेज गायब पाए गए थे। इसके बाद एसआईटी को जांच सौंप दी गई थी। एसआईटी की रिपोर्ट में यह सभी कर्मचारी फर्जी पाए गए, जिनके खिलाफ कार्रवाई की गई है। जांच रिपोर्ट के बाद उत्तर प्रदेश शासन ने इन कर्मचारियों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही की है। पेंशन रोकने और भुगतान की वसूली के आदेश एसआईटी जांच में दोषी पाए गए कर्मचारियों में से जिनकी पेंशन अभी चल रही थी, उनकी पेंशन भी रोक दी गई है। शासन ने इन कर्मचारियों से सेवाकाल और रिटायरमेंट के बाद प्राप्त किए गए सभी भुगतान की वसूली के आदेश दिए हैं। इसके अलावा, जिन तीन कर्मचारियों के बारे में शिकायत थी और जिनके बारे में पेंशन के संदिग्ध मामले थे, उन पर भी कार्रवाई की गई है। एटा जिला प्रशासन ने प्रेस नोट जारी करते हुए इस बड़ी कार्यवाही की जानकारी दी है। हालांकि, इस मामले पर जिले के कोई अधिकारी मीडिया के सामने बोलने के लिए तैयार नहीं हुए हैं। शासन की इस बड़ी कार्यवाही के बाद एटा जिला प्रशासन में हड़कंप मच गया है।

What's Your Reaction?

like

dislike

love

funny

angry

sad

wow