मंडी में स्वतंत्रता सेनानी की 139वीं जयंती मनाई:भाई हिरदा राम को अंग्रेजों ने सुनाई थी फांसी की सजा, वीर सावरकर के साथ रहे

मंडी की इंदिरा मार्केट की छत पर स्थापित महान स्वतंत्रता सेनानी भाई हिरदा राम की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर उनकी 139वीं जयंती मनाई गई। वरिष्ठ साहित्यकार एवं लेखक कृष्ण कुमार नूतन सहित नगर निगम की उपमहापौर माधुरी कपूर और भाई हिरदा राम के पौत्र शमशेर सिंह मिन्हास सहित परिवार के सदस्यों और अन्य गणमान्य लोगों ने भाई हिरदा राम की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर उन्हें याद किया। हिरदा राम स्मारक समिति मंडी के सचिव कृष्ण कुमार नूतन ने बताया कि क्रांतिकारी भाई हिरदा राम सच्चे देशभक्त थे। क्रांतिकारी भाई हिरदा राम ने देश की स्वतंत्रता के लिए अंग्रेजों की अनेक यातनाएं हंसते हंसते सहीं। मंडी में गदर पार्टी की स्थापना और अंग्रेजों के खिलाफ क्रांति का बिगुल बजाने में उनका योगदान अविस्मरणीय है। भाई हिरदा राम सदा अमर रहेंगे। उपमहापौर माधुरी कपूर ने कहा कि भाई हिरदा ऐसे सपूत रहे हैं, जिनके कारण आज हम आजादी की खुली हवा में सांस ले रहे हैं। उन्होंने साहित्यकार केके नूतन का धन्यवाद करते हुए कहा कि उन्होंने भाई हिरदा राम को मरणोपरांत अमर कर दिया। उन्होंने कहा कि भाई हिरदा राम कालापानी में आजीवन कारावास की सजा भुगतते हुए स्वतंत्रता सेनानी वीर सावरकर के साथ जेल में रहे। अंग्रेजी हुकूमत ने दी थी फांसी की सजा 28 नवंबर 1885 को मंडी में जन्मे भाई हिरदा राम का 21 अगस्त, 1965 को देहांत हुआ था। भाई हिरदाराम महान स्वतंत्रता सेनानी व क्रांतिकारी थे जिन्होंने देश के स्वतंत्रता संग्राम में अपनी अहम भूमिका निभाई। भाई हिरदा राम गदर पार्टी के प्रमुख सदस्य थे और उन्हें लाहौर बम कांड में अंग्रेजी हुकूमत द्वारा फांसी की सजा दी गई थी जिसे बाद में आजीवन कारावास में बदल दिया गया था। भाई हिरदा राम को अंडेमान निकोबार की जेल में काले पानी की सजा दी गई, जहां उन्हें कई प्रकार की यातनाएं सहन करनी पड़ी। सजा काटने के बाद उन्हें 1929 को रिहा किया गया था। लेकिन इसके बाद भी इन्हें अपने घर नहीं जाने दिया गया था। देश की आजादी के बाद वे अपने घर मंडी वापिस आ सके थे। 21 अगस्त 1965 को उनका देहांत हो गया था।

Nov 28, 2024 - 15:55
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मंडी में स्वतंत्रता सेनानी की 139वीं जयंती मनाई:भाई हिरदा राम को अंग्रेजों ने सुनाई थी फांसी की सजा, वीर सावरकर के साथ रहे
मंडी की इंदिरा मार्केट की छत पर स्थापित महान स्वतंत्रता सेनानी भाई हिरदा राम की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर उनकी 139वीं जयंती मनाई गई। वरिष्ठ साहित्यकार एवं लेखक कृष्ण कुमार नूतन सहित नगर निगम की उपमहापौर माधुरी कपूर और भाई हिरदा राम के पौत्र शमशेर सिंह मिन्हास सहित परिवार के सदस्यों और अन्य गणमान्य लोगों ने भाई हिरदा राम की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर उन्हें याद किया। हिरदा राम स्मारक समिति मंडी के सचिव कृष्ण कुमार नूतन ने बताया कि क्रांतिकारी भाई हिरदा राम सच्चे देशभक्त थे। क्रांतिकारी भाई हिरदा राम ने देश की स्वतंत्रता के लिए अंग्रेजों की अनेक यातनाएं हंसते हंसते सहीं। मंडी में गदर पार्टी की स्थापना और अंग्रेजों के खिलाफ क्रांति का बिगुल बजाने में उनका योगदान अविस्मरणीय है। भाई हिरदा राम सदा अमर रहेंगे। उपमहापौर माधुरी कपूर ने कहा कि भाई हिरदा ऐसे सपूत रहे हैं, जिनके कारण आज हम आजादी की खुली हवा में सांस ले रहे हैं। उन्होंने साहित्यकार केके नूतन का धन्यवाद करते हुए कहा कि उन्होंने भाई हिरदा राम को मरणोपरांत अमर कर दिया। उन्होंने कहा कि भाई हिरदा राम कालापानी में आजीवन कारावास की सजा भुगतते हुए स्वतंत्रता सेनानी वीर सावरकर के साथ जेल में रहे। अंग्रेजी हुकूमत ने दी थी फांसी की सजा 28 नवंबर 1885 को मंडी में जन्मे भाई हिरदा राम का 21 अगस्त, 1965 को देहांत हुआ था। भाई हिरदाराम महान स्वतंत्रता सेनानी व क्रांतिकारी थे जिन्होंने देश के स्वतंत्रता संग्राम में अपनी अहम भूमिका निभाई। भाई हिरदा राम गदर पार्टी के प्रमुख सदस्य थे और उन्हें लाहौर बम कांड में अंग्रेजी हुकूमत द्वारा फांसी की सजा दी गई थी जिसे बाद में आजीवन कारावास में बदल दिया गया था। भाई हिरदा राम को अंडेमान निकोबार की जेल में काले पानी की सजा दी गई, जहां उन्हें कई प्रकार की यातनाएं सहन करनी पड़ी। सजा काटने के बाद उन्हें 1929 को रिहा किया गया था। लेकिन इसके बाद भी इन्हें अपने घर नहीं जाने दिया गया था। देश की आजादी के बाद वे अपने घर मंडी वापिस आ सके थे। 21 अगस्त 1965 को उनका देहांत हो गया था।

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