ओडिशा में तट के पास हाइपरसोनिक मिसाइल की सफल टेस्टिंग:रेंज- 1500 किलोमीटर, रफ्तार- साउंड से 5 गुना तेज; राजनाथ बोले- यह पल एतिहासिक

डिफेंस रिसर्च डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन (DRDO) ने लंबी दूरी की हाइपरसोनिक मिसाइल की सफल टेस्टिंग शनिवार रात को की। इसका वीडियो शेयर करते हुए DRDO ने बताया कि ओडिशा के तट के पास एपीजे अब्दुल कलाम अजाद द्वीप मिसाइल को ग्लाइडेड व्हीकल के साथ लॉन्च किया गया। मिसाइल की फ्लाइट ट्रेजेक्टरी की ट्रैकिंग के बाद टेस्टिंग सफल मानी गई है। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने रविवार सुबह X पर पोस्ट करते हुए कहा- इस मिसाइल की सफल टेस्टिंग से भारत उन चुनिंदा देशों के ग्रुप में शामिल हो गया, जिसके पास ऐसी सैन्य तकनीक है। यह एक बड़ी उपलब्धि है और यह देश के लिए एक एतिहासिक पल है। लंबी दूरी की इस हाइपरसोनिक मिसाइल की रेंज 1500 किलोमीटर से ज्यादा है। इस मिसाइल से हवा, पानी और जमीन तीनों जगहों से दुश्मन पर हमला किया जा सकता है। लॉन्च के बाद इसकी रफ्तार 6200 किलोमीटर प्रतिघंटे तक पहुंच सकती है, जो साउंड की स्पीड से 5 गुना ज्यादा है। बीच रास्ते में दिशा बदल सकती है हाइपरसोनिक मिसाइल हाइपरसोनिक मिसाइल की स्पीड इंटरकॉन्टिनेन्टल मिसाइल से कम होती है, लेकिन इनकी एक खूबी इसे खतरनाक बनाती है। दरअसल, हाइपरसोनिक मिसाइलें बीच रास्ते में दिशा बदल सकती हैं। इसकी वजह से ये डिफेंस सिस्टम यानी रडार को चकमा दे सकती हैं। बैलेस्टिक मिसाइल से किस तरह अलग? हाइपरसोनिक मिसाइल को एक लॉन्च व्हीकल अंतरिक्ष में लेकर जाता है। इसके बाद मिसाइल इतनी तेजी से आगे बढ़ती है कि एंटी मिसाइल सिस्टम इसे ट्रैक नहीं कर पाते। वैसे तो बैलिस्टिक मिसाइल भी हाइपरसोनिक गति से चलती हैं, लेकिन जब उन्हें एक जगह से लॉन्च किया जाता है तो पता चल जाता है कि वो कहां गिरेंगी। इसके चलते एंटी मिसाइल सिस्टम इन्हें आसानी से ट्रैक कर सकते हैं, क्योंकि लॉन्च करने के बाद इनकी दिशा नहीं बदली जा सकती। दूसरी तरफ हाइपरसोनिक मिसाइल की लॉन्चिंग के बाद भी उसकी दिशा बदली जा सकती है। इन वजहों से ही ये एंटी मिसाइल सिस्टम के पकड़ में नहीं आती हैं। यानी, कुल मिलाकर ये कहा जा सकता है कि अगर कोई देश हाइपरसोनिक मिसाइल लॉन्च करता है तो उसे रोकना बेहद मुश्किल होगा।

Nov 17, 2024 - 10:50
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ओडिशा में तट के पास हाइपरसोनिक मिसाइल की सफल टेस्टिंग:रेंज- 1500 किलोमीटर, रफ्तार- साउंड से 5 गुना तेज; राजनाथ बोले- यह पल एतिहासिक
डिफेंस रिसर्च डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन (DRDO) ने लंबी दूरी की हाइपरसोनिक मिसाइल की सफल टेस्टिंग शनिवार रात को की। इसका वीडियो शेयर करते हुए DRDO ने बताया कि ओडिशा के तट के पास एपीजे अब्दुल कलाम अजाद द्वीप मिसाइल को ग्लाइडेड व्हीकल के साथ लॉन्च किया गया। मिसाइल की फ्लाइट ट्रेजेक्टरी की ट्रैकिंग के बाद टेस्टिंग सफल मानी गई है। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने रविवार सुबह X पर पोस्ट करते हुए कहा- इस मिसाइल की सफल टेस्टिंग से भारत उन चुनिंदा देशों के ग्रुप में शामिल हो गया, जिसके पास ऐसी सैन्य तकनीक है। यह एक बड़ी उपलब्धि है और यह देश के लिए एक एतिहासिक पल है। लंबी दूरी की इस हाइपरसोनिक मिसाइल की रेंज 1500 किलोमीटर से ज्यादा है। इस मिसाइल से हवा, पानी और जमीन तीनों जगहों से दुश्मन पर हमला किया जा सकता है। लॉन्च के बाद इसकी रफ्तार 6200 किलोमीटर प्रतिघंटे तक पहुंच सकती है, जो साउंड की स्पीड से 5 गुना ज्यादा है। बीच रास्ते में दिशा बदल सकती है हाइपरसोनिक मिसाइल हाइपरसोनिक मिसाइल की स्पीड इंटरकॉन्टिनेन्टल मिसाइल से कम होती है, लेकिन इनकी एक खूबी इसे खतरनाक बनाती है। दरअसल, हाइपरसोनिक मिसाइलें बीच रास्ते में दिशा बदल सकती हैं। इसकी वजह से ये डिफेंस सिस्टम यानी रडार को चकमा दे सकती हैं। बैलेस्टिक मिसाइल से किस तरह अलग? हाइपरसोनिक मिसाइल को एक लॉन्च व्हीकल अंतरिक्ष में लेकर जाता है। इसके बाद मिसाइल इतनी तेजी से आगे बढ़ती है कि एंटी मिसाइल सिस्टम इसे ट्रैक नहीं कर पाते। वैसे तो बैलिस्टिक मिसाइल भी हाइपरसोनिक गति से चलती हैं, लेकिन जब उन्हें एक जगह से लॉन्च किया जाता है तो पता चल जाता है कि वो कहां गिरेंगी। इसके चलते एंटी मिसाइल सिस्टम इन्हें आसानी से ट्रैक कर सकते हैं, क्योंकि लॉन्च करने के बाद इनकी दिशा नहीं बदली जा सकती। दूसरी तरफ हाइपरसोनिक मिसाइल की लॉन्चिंग के बाद भी उसकी दिशा बदली जा सकती है। इन वजहों से ही ये एंटी मिसाइल सिस्टम के पकड़ में नहीं आती हैं। यानी, कुल मिलाकर ये कहा जा सकता है कि अगर कोई देश हाइपरसोनिक मिसाइल लॉन्च करता है तो उसे रोकना बेहद मुश्किल होगा।

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