गरीबी की वजह से 10 घंटे बाद हुआ अंतिम संस्कार:शव के पास बैठी रही बेटी-पत्नी, प्रधान ने की मदद

बलरामपुर में एक गरीब परिवार को अपने मृतक सदस्य के अंतिम संस्कार के लिए करीब 10 घंटे का इंतजार करना पड़ा। मृतक की पत्नी और तीन साल की बेटी रोती-बिलखती रही, लेकिन शव को घर तक पहुंचाने के लिए इंतजाम नहीं हो पा रहा था। परिजनों को शव पहुंचाने में गरीबी के चलते 8 घंटे का लंबा इंतजार करना पड़ा। मोहल्ले के लोग ही उन्हें खाने-पीने की मदद करते थे घटना बलरामपुर के हरैया क्षेत्र के देवनगर की है। जहां शुक्रवार सुबह विनोद चौधरी की यतीमखाना मोहल्ले में बनी दुकानों के सामने मौत हो गई। विनोद की पत्नी नासिया ने बताया कि उनकी शादी पांच साल पहले घर से भागकर हुई थी। उनकी एक तीन साल की बेटी भी है। वे पहले गुजरात में रहते थे, लेकिन विनोद की तबियत खराब होने पर चार महीने पहले गांव वापस लौटे। परिवार ने उन्हें स्वीकार नहीं किया, इसलिए वे शंकरपुर गांव में अपनी बहन के घर रह रहे थे। विनोद की तबियत ज्यादा बिगड़ने पर बहन ने उन्हें जिला अस्पताल में भर्ती कराया, लेकिन विनोद वहां रुकने को तैयार नहीं थे। वे अस्पताल छोड़कर यतीमखाना मोहल्ले की एक चौकी पर रहने लगे, जहां उनकी पत्नी और बेटी भी साथ रहते थे। मोहल्ले के लोग ही उन्हें खाने-पीने की मदद करते थे। प्रधान के सहयोग से मृतक का अंतिम संस्कार कराया गया शुक्रवार सुबह विनोद की मौत हो गई। परिजनों को सूचना दी गई, लेकिन गरीबी के कारण वे शव को गांव ले जाने की व्यवस्था नहीं कर पा रहे थे। इस दौरान, मृतक की पत्नी और बेटी 8 घंटे तक शव के पास रोते-बिलखते रहे। जब यह बात बलरामपुर स्टेट के महाप्रबंधक कर्नल आरके मोहंता को पता चली, तो उन्होंने तुरंत एक प्राइवेट गाड़ी का इंतजाम कर शव को उसके गांव पहुंचाया। ग्राम प्रधान राजा राम ने बताया कि मृतक के परिवार की स्थिति बेहद खराब है। परिवार के पास शव लाने के लिए पैसे तक नहीं थे। प्रधान ने वाहन का प्रबंध किया, लेकिन तब तक प्रशासन की मदद से शव को गांव भिजवाया जा चुका था। प्रधान के सहयोग से मृतक का अंतिम संस्कार कराया गया।

Oct 26, 2024 - 14:05
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गरीबी की वजह से 10 घंटे बाद हुआ अंतिम संस्कार:शव के पास बैठी रही बेटी-पत्नी, प्रधान ने की मदद
बलरामपुर में एक गरीब परिवार को अपने मृतक सदस्य के अंतिम संस्कार के लिए करीब 10 घंटे का इंतजार करना पड़ा। मृतक की पत्नी और तीन साल की बेटी रोती-बिलखती रही, लेकिन शव को घर तक पहुंचाने के लिए इंतजाम नहीं हो पा रहा था। परिजनों को शव पहुंचाने में गरीबी के चलते 8 घंटे का लंबा इंतजार करना पड़ा। मोहल्ले के लोग ही उन्हें खाने-पीने की मदद करते थे घटना बलरामपुर के हरैया क्षेत्र के देवनगर की है। जहां शुक्रवार सुबह विनोद चौधरी की यतीमखाना मोहल्ले में बनी दुकानों के सामने मौत हो गई। विनोद की पत्नी नासिया ने बताया कि उनकी शादी पांच साल पहले घर से भागकर हुई थी। उनकी एक तीन साल की बेटी भी है। वे पहले गुजरात में रहते थे, लेकिन विनोद की तबियत खराब होने पर चार महीने पहले गांव वापस लौटे। परिवार ने उन्हें स्वीकार नहीं किया, इसलिए वे शंकरपुर गांव में अपनी बहन के घर रह रहे थे। विनोद की तबियत ज्यादा बिगड़ने पर बहन ने उन्हें जिला अस्पताल में भर्ती कराया, लेकिन विनोद वहां रुकने को तैयार नहीं थे। वे अस्पताल छोड़कर यतीमखाना मोहल्ले की एक चौकी पर रहने लगे, जहां उनकी पत्नी और बेटी भी साथ रहते थे। मोहल्ले के लोग ही उन्हें खाने-पीने की मदद करते थे। प्रधान के सहयोग से मृतक का अंतिम संस्कार कराया गया शुक्रवार सुबह विनोद की मौत हो गई। परिजनों को सूचना दी गई, लेकिन गरीबी के कारण वे शव को गांव ले जाने की व्यवस्था नहीं कर पा रहे थे। इस दौरान, मृतक की पत्नी और बेटी 8 घंटे तक शव के पास रोते-बिलखते रहे। जब यह बात बलरामपुर स्टेट के महाप्रबंधक कर्नल आरके मोहंता को पता चली, तो उन्होंने तुरंत एक प्राइवेट गाड़ी का इंतजाम कर शव को उसके गांव पहुंचाया। ग्राम प्रधान राजा राम ने बताया कि मृतक के परिवार की स्थिति बेहद खराब है। परिवार के पास शव लाने के लिए पैसे तक नहीं थे। प्रधान ने वाहन का प्रबंध किया, लेकिन तब तक प्रशासन की मदद से शव को गांव भिजवाया जा चुका था। प्रधान के सहयोग से मृतक का अंतिम संस्कार कराया गया।

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