चमोली: NH का अधिशासी अभियंता डीएम और सीडीओ को दी खुली चुनौती, कहा 'करवा लो FIR'

रैबार डेस्क:  उत्तराखंड में विभागीय अफसरों मनमर्जी पर उतर आए हैं। अभी पौड़ी में एनएच... The post चमोली: DM-CDO के सामने अकड़कर बोला NH का अधिशाषी अभियंता, करवा लो FIR, मुझे देहरादून जाना है appeared first on Uttarakhand Raibar.

Sep 18, 2025 - 00:27
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चमोली में NH के अधिशासी अभियंता का विवादित बयान: "FIR कराओ, मैं जा रहा हूं देहरादून"

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कम शब्दों में कहें तो, उत्तराखंड के चमोली जनपद में एनएच के एक अधिशासी अभियंता ने जिला स्तर पर हो रही कार्यवाहियों की धज्जियां उड़ाने की कोशिश की। डीएम और सीडीओ के सामने बैठते हुए उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि अगर किसी को उनकी कार्रवाई से समस्या है, तो वह एफआईआर करवा लें, क्योंकि उन्हें देहरादून जाना है।

रैबार डेस्क: उत्तराखंड में विभागीय अधिकारियों की मनमानी अब किसी से छिपी नहीं रह गई है। पौड़ी में हाल ही में एनएच के एक अधिशासी अभियंता पर लापरवाही का मामला शांत भी नहीं हुआ कि अब चमोली में भी ऐसा ही हालात देखने को मिला है। चमोली के गैरसैंण विकासखंड में तहसील दिवस पर एनएच के अधिशासी अभियंता ने डीएम और सीडीओ को खुली चुनौती दी, जिसके बाद जनप्रतिनिधियों और लोगों में आक्रोश फैल गया।

तहसील दिवस पर जनप्रतिनिधियों की आपत्ति

तहसील दिवस के दौरान सीडीओ और जिलाधिकारी संदीप तिवारी सहित कई अन्य विभागीय अधिकारी भी मौजूद थे। इस अवसर पर क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों ने दिवालीखाल से पांडुवाखाल तक सड़क की खस्ताहाल स्थिति और नालियों के निर्माण में लापरवाही को लेकर सवाल उठाए। उन्होंने एनएच के अधिकारी ओंकार पांडेय को भी कठघरे में खड़ा किया। लेकिन पांडेय ने जनप्रतिनिधियों को सुनने के बजाय उन पर ही बिफर पड़े।

अधिशासी अभियंता का विवादित व्यवहार

सीडीओ और जिलाधिकारी ने जब पांडेय से मौके पर जाकर सड़क की स्थिति का जायजा लेने को कहा, तो उन्होंने जवाब दिया कि वह अभी मौके पर नहीं जा सकते क्योंकि उन्हें देहरादून जाना है। इसके बाद जब सीडीओ ने कहा कि उन्हें तुरंत ऐसा करने के लिए कहना चाहिए, तो पांडेय ने इसे मानने से इंकार कर दिया। स्थिति उस समय और बिगड़ गई जब सीडीओ ने कहा कि अगर ऐसा ही चलता रहा, तो उनकी खिलाफ़ FIR दर्ज कराई जाएगी। इस पर पांडेय ने तैश में आकर कहा कि "मेरे खिलाफ FIR कराईए, मुझे देहरादून जाना है।"

इससे जनप्रतिनिधियों में काफी रोष उत्पन्न हुआ और उन्होंने मौके पर जाकर देखे जाने की मांग की। आखिरकार, जनप्रतिनिधियों के विरोध के बाद पांडेय को मौके पर जाने के लिए मजबूर होना पड़ा।

अन्य अभियंताओं पर भी कार्रवाई की गई

तहसील दिवस के दौरान ब्रिडकुल के सहायक अभियंता की अनुपस्थिति पर जिलाधिकारी ने नाराजगी व्यक्त की और उन्हें विभागीय कार्यों में लापरवाही बरतने के लिए कहा। इसके साथ ही, उन्होंने सहायक अभियंता नरेश कुमार और कनिष्ठ अभियंता आशीष मलेठा (पीएमजीएसवाई ब्रिडकुल) के खिलाफ आपदा प्रबंधन अधिनियम-2005 की धाराओं में FIR दर्ज करने के निर्देश दिए।

निष्कर्ष

उत्तराखंड में विभागीय अधिकारियों द्वारा इस प्रकार के व्यवहार का होना किसी गंभीर चुनौती से कम नहीं है। इससे न केवल जनप्रतिनिधियों का सम्मान घटता है, बल्कि समस्या का समाधान करने में भी बाधाएं उत्पन्न होती हैं। लोगों को अपने प्रतिनिधियों पर विश्वास होता है, लेकिन जब अधिकारी ही उनकी अनदेखी करने लगें, तो यह स्थिति चिंताजनक होती है। इससे स्पष्ट है कि विभागीय सुधार की आवश्यकता है, ताकि जनहित में काम किया जा सके।

इस घटनाक्रम से यह भी स्पष्ट होता है कि जिला स्तर पर अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों के बीच संबंधों को सुधारने की आवश्यकता बन गई है, ताकि ऐसी घटनाएं भविष्य में पुनरावृत्ति न हों।

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सादर, टीम इंडिया टुडे (नैना शर्मा)

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