ट्रम्प के राष्ट्रपति बनने के बाद उनकी सरकार कौन चलाएगा:भारतवंशी काश पटेल बन सकते हैं CIA चीफ, विवेक रामास्वामी को भी मिल सकती जिम्मेदारी
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने 2020 का चुनाव हारने के बाद अपने वफादार भारतवंशी शख्स को रक्षा मंत्रालय का चीफ ऑफ स्टाफ बनाने की कोशिश की। वे चुनाव हारने के बाद कमजोर हो चुके ट्रम्प को तत्कालीन जॉइंट चीफ ऑफ स्टाफ मार्क मिली ने कानून न तोड़ने की चेतावनी दी। ट्रम्प को प्लान बदलना पड़ा। कुछ समय बाद ट्रम्प ने उसी शख्स को FBI का डिप्टी डायरेक्टर बनाने की कोशिश की थी लेकिन तब अटार्नी जनरल बिल बार ने धमकी दी कि ऐसा उनकी लाश पर ही हो पाएगा। इस कोशिश में भी नाकाम होने के बाद ट्रम्प ने फिर उसी शख्स को CIA का डिप्टी डायरेक्टर बनाना चाहा। इस पर CIA की हेड गिना हास्पेल नाराज हो गईं और इस्तीफा देने की धमकी दी। उपराष्ट्रपति माइक पेंस और दूसरे बड़े नेताओं के हस्तक्षेप के बाद ट्रम्प ने यहां भी अपने हाथ पीछे खींच लिए। जिस शख्स को सेट करने के लिए ट्रम्प इतनी कोशिश कर रहे थे, उसका नाम कश्यप ‘काश’ पटेल है। प्रवासी भारतीय परिवार में जन्मे काश पटेल, ट्रम्प के इतने खास कैसे बने। तमाम अधिकारियों के उनसे डरते की वजह क्या थी? जानेंगे इस स्टोरी में… डोनाल्ड ट्रम्प 20 जनवरी 2025 को राष्ट्रपति पद की शपथ लेंगे। इससे पहले ट्रम्प और उनकी टीम अपने नए मंत्रिमंडल के लिए अधिकारियों को चुनने की प्रक्रिया शुरू करेंगे। ट्रम्प प्रशासन में भारतवंशी विवेक रामास्वामी और बॉबी जिंदल के अलावा काश पटेल की भी चर्जा है। इन्हें अहम पद दिया जा सकता है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक पटेल को सेंट्रल इंटेलिजेंस एजेंसी (CIA) की जिम्मेदारी मिल सकती है। वे इस पद के लिए शीर्ष दावेदार बताए जा रहे हैं। कुछ रिपोर्ट्स में ये भी दावा किया गया है कि ट्रम्प पटेल को CIF चीफ बनाने का विचार बहुत पहले ही बना चुके हैं। पिछले साल दिसंबर में रिपब्लिकन पार्टी के एक समारोह में ट्रम्प ने पटेल से कहा था- तैयार हो जाओ, काश। तैयार हो जाओ काश पटेल भारतीय प्रवासी के बेटे हैं। उनका जन्म एक गुजराती परिवार में हुआ था। काश पटेल के माता-पिता युगांडा के शासक ईदी अमीन के देश छोड़ने के फरमान से डरकर 1970 के दशक में भागकर कनाडा के रास्ते अमेरिका पहुंचे थे। 1988 में पटेल के पिता को अमेरिका की नागरिकता मिलने के बाद एक एरोप्लेन कंपनी में नौकरी मिली। 2004 में कानून की डिग्री हासिल करने के बाद जब पटेल को किसी बड़े लॉ फर्म में नौकरी नहीं मिली तो उन्होंने एक सरकारी वकील के तौर पर काम करना शुरू कर दिया। हालांकि ‘सपनों की नौकरी’ हासिल करने के लिए उन्हें 9 साल तक इंतजार करना पड़ा। काश पटेल 2013 में वॉशिंगटन में न्याय विभाग में शामिल हुए। यहां तीन साल बाद 2016 में पटेल को खुफिया मामले से जुड़ी एक स्थाई समिति में कर्मचारी के रूप में नियुक्त किया गया। इस विभाग के चीफ डेविड नून्स थे जो कि ट्रम्प के कट्टर सहयोगी थे। पटेल को 2016 के चुनाव में रूसी हस्तक्षेप को लेकर बनी एक समिति में शामिल किया गया। इस पर काम करने के दौरान ही वे पहली बार ट्रम्प की नजर में आए थे। न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक राष्ट्रपति रहने के दौरान ट्रम्प ने 2019 में जो बाइडेन के बेटे के बारे में जानकारी जुटाने के लिए यूक्रेन पर दबाव बनाया था। इस वजह से विपक्ष उन पर नाराज हो गया। किसी कानूनी पचड़े से बचने के लिए ट्रम्प ने इस मामले पर विचार देने के लिए सलाहकारों की एक टीम बनाई। इसमें काश पटेल का भी नाम शामिल था। तब उनका नाम देख हर कोई हैरानी हो गया था। काश पटेल 2019 में ट्रम्प प्रशासन से जुड़ने के बाद तरक्की की सीढ़िया चढ़ते गए। ट्रम्प प्रशासन में वे सिर्फ 1 साल 8 महीने रहे लेकिन सबकी नजरों में आ गए। मैगजीन द अटलांटिक की एक रिपोर्ट में पटेल को 'ट्रम्प के लिए कुछ भी करने वाला' शख्स बताया गया है। ट्रम्प प्रशासन में जहां पहले से लगभग सभी लोग ट्रम्प के वफादार थे, वहां भी उन्हें ट्रम्प का सबसे वफादार लोगों में गिना जाने लगा था। यही वजह है कि कई अधिकारी उनसे डरते थे। अगर उन्हें CIA या फिर FBI का कंट्रोल मिल जाता तो फिर वे ट्रम्प के मुताबिक हर काम को अंजाम दे सकते थे। ट्रम्प पर किताब लिखी, उसमें भी मददगार बने काश पटेल नेशनल इंटेलीजेंस के डायरेक्टर के डिप्टी चीफ के पद पर रह चुके हैं। इस दौरान वे 17 खुफिया एजेंसियों का कामकाज देखते थे। इस पद को संभालने के दौरान पटेल कई अहम मामलो में शामिल थे। वे ISIS लीडर्स, अल-कायदा के बगदादी और कासिम अल-रिमी जैसे नेताओं का सफाए के अलावा कई अमेरिकी बंधकों को वापस लाने के मिशन में शामिल रह चुके हैं। ट्रम्प के पद छोड़ने के बाद काश पटेल ने पूर्व राष्ट्रपति के एजेंडे को बढ़ाने की कोशिश करते रहे हैं। काश ने "गवर्नमेंट गैंगस्टर्स: द डीप स्टेट, द ट्रुथ, एंड द बैटल फॉर अवर डेमोक्रेसी" नाम की एक किताब लिखी है। इसमें उन्होंने बताया है कि गवर्नमेंट में किस कदर भ्रष्टाचार फैला हुआ है। काश पटेल ने ट्रम्प को बच्चों के बीच लोकप्रिय बनाने के लिए एक किताब द प्लॉट अगेंस्ट द किंग लिखी है। इसमें उन्होंने एक जादूगर का किरदार निभाया है जो हिलेरी क्लिंटन से बचाने में ट्रम्प की मदद करता है। कहानी के अंत में वह लोगों को यकीन दिलाने में कामयाब हो जाता है कि ट्रम्प ने हिलेरी क्लिंटन को धाखा देकर सत्ता हासिल नहीं की है। काश पटेल, डोनाल्ड ट्रम्प की सोशल मीडिया ‘ट्रुथ’ का कामकाज भी देखते हैं। ट्रम्प ने 2022 फीफा विश्व कप के दौरान कतर के लिए सुरक्षा सलाहकार के रूप में भी काम किया था। पिछले महीने काश पटेल ने ट्रम्प की एक रैली में कहा था कि वे सरकार और मीडिया में मौजूद षडयंत्रकारियों को खत्म कर देंगे। वे उन लोगों को नहीं छोड़ेंगे जिन्होंने अमेरिकी नागरिकों से झूठ बोला है। जिन्होंने बाइडेन को राष्ट्रपति चुनावों में धांधली करने में मदद की थी वे उनका भी हिसाब करेंगे।
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