बाराबंकी में आत्महत्या के लिए उकसाने वाले तीनों दोषी करार:अदालत ने सुनाई 7 साल की कठोर कारावास की सजा, लगाया जुर्माना

बाराबंकी जिले में पुलिस को एक बड़ी कामयाबी मिली है। थाने के तत्कालीन उप निरीक्षक जगदीश प्रसाद शुक्ल की मेहनत से, आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले में तीन अभियुक्तों को 7 साल की कठोर कैद और 10 हजार रुपए के जुर्माने की सजा सुनाई गई है। यह मामला 10 जुलाई, 2021 का है जब धनौरा गांव की रजनी ने अपने बेटे को आत्महत्या के लिए उकसाने का आरोप लगाते हुए तीन लोगों के खिलाफ असंद्रा थाने में मामला दर्ज कराया था। आरोप था कि इन तीनों ने ही रजनी के बेटे को इतना प्रताड़ित किया कि उसने फांसी लगाकर जान दे दी। इस मामले की जांच का जिम्मा तत्कालीन चौकी प्रभारी सिद्धौर जगदीश प्रसाद शुक्ल को सौंपा गया था। शुक्ल ने वैज्ञानिक तरीके से जांच करते हुए मजबूत सबूत जुटाए और आरोप पत्र अदालत में पेश किया। अदालत ने सभी सबूतों को गौर से सुनने के बाद तीनों आरोपियों को दोषी करार दिया और उन्हें सजा सुनाई। निर्देशों का सफल क्रियान्वयन यह सजा पुलिस महानिदेशक के निर्देशों के अनुरूप ही मिली है। पुलिस महानिदेशक ने सभी थानों को जघन्य अपराधों में लिप्त लोगों को जल्द से जल्द गिरफ्तार करने और उनके खिलाफ मजबूत सबूत जुटाने के निर्देश दिए थे। इसी के तहत, पुलिस अधीक्षक दिनेश कुमार सिंह के नेतृत्व में "Operation Conviction" कार्ययोजना शुरू की गई थी। इस कार्ययोजना के तहत, असंद्रा थाने के अधिकारियों ने भी बेहद मेहनत की और इस मामले में सफलता हासिल की। जनता में पुलिस के प्रति बढ़ा विश्वास इस सजा से जनता में पुलिस के प्रति विश्वास बढ़ा है। लोगों का मानना है कि पुलिस अब अपराधियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई कर रही है और किसी भी अपराधी को बख्शा नहीं जाएगा।

Nov 22, 2024 - 09:10
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बाराबंकी में आत्महत्या के लिए उकसाने वाले तीनों दोषी करार:अदालत ने सुनाई 7 साल की कठोर कारावास की सजा, लगाया जुर्माना
बाराबंकी जिले में पुलिस को एक बड़ी कामयाबी मिली है। थाने के तत्कालीन उप निरीक्षक जगदीश प्रसाद शुक्ल की मेहनत से, आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले में तीन अभियुक्तों को 7 साल की कठोर कैद और 10 हजार रुपए के जुर्माने की सजा सुनाई गई है। यह मामला 10 जुलाई, 2021 का है जब धनौरा गांव की रजनी ने अपने बेटे को आत्महत्या के लिए उकसाने का आरोप लगाते हुए तीन लोगों के खिलाफ असंद्रा थाने में मामला दर्ज कराया था। आरोप था कि इन तीनों ने ही रजनी के बेटे को इतना प्रताड़ित किया कि उसने फांसी लगाकर जान दे दी। इस मामले की जांच का जिम्मा तत्कालीन चौकी प्रभारी सिद्धौर जगदीश प्रसाद शुक्ल को सौंपा गया था। शुक्ल ने वैज्ञानिक तरीके से जांच करते हुए मजबूत सबूत जुटाए और आरोप पत्र अदालत में पेश किया। अदालत ने सभी सबूतों को गौर से सुनने के बाद तीनों आरोपियों को दोषी करार दिया और उन्हें सजा सुनाई। निर्देशों का सफल क्रियान्वयन यह सजा पुलिस महानिदेशक के निर्देशों के अनुरूप ही मिली है। पुलिस महानिदेशक ने सभी थानों को जघन्य अपराधों में लिप्त लोगों को जल्द से जल्द गिरफ्तार करने और उनके खिलाफ मजबूत सबूत जुटाने के निर्देश दिए थे। इसी के तहत, पुलिस अधीक्षक दिनेश कुमार सिंह के नेतृत्व में "Operation Conviction" कार्ययोजना शुरू की गई थी। इस कार्ययोजना के तहत, असंद्रा थाने के अधिकारियों ने भी बेहद मेहनत की और इस मामले में सफलता हासिल की। जनता में पुलिस के प्रति बढ़ा विश्वास इस सजा से जनता में पुलिस के प्रति विश्वास बढ़ा है। लोगों का मानना है कि पुलिस अब अपराधियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई कर रही है और किसी भी अपराधी को बख्शा नहीं जाएगा।

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