भतीजी की शादी टूटने से तनाव में थे गुटखा कारोबारी:शेयर बाजार में भी डुबा था पैसा, एक सप्ताह में ही कारोबारी ने बंद कर दी थी दवा

अपनी लाइसेंसी पिस्टल से जान लेने वालेगु टखा कारोबारी विजय राठौर बीते एक साल से मानसिक तनाव में चल रहे थे। अचानक गुमसुम रहने पर मित्र उन्हें लेकर अर्दली बाजार इलाके के एक डॉक्टर के पास ले गए। डॉक्टर ने कुछ दवाएं दी लेकिन विजय ने एक सप्ताह के सेवन के बाद ही दवा बंद कर दी। चाय-पान की दुकानों पर लगने वाली अड़ी पर भी बैठना छोड़ दिया था। जितने मुंह उतनी बातें। कोई कहता शेयर में पैसा डूब गया तो परिवार के अंदर होने वाले विवाद को लेकर कयास लगा रहा पिस्टल भी दशहरा में थाने से छुड़ाया जिस लाइसेंसी पिस्टल से विजय ने अपनी इहलीला समाप्त की उसे उसने दशहरा के दिन थाने से लाया था। मई माह में हुए लोकसभा चुनाव के दौरान उसने पिस्टल थाने में जमा कराई थी। कुछ मित्रों ने उनकी मानसिक हालत को समझते हुए पिस्टल थाने में ही जमा रहने पर जोर दिया था। दशहरा पर शस्त्र पूजन के लिए विजय अपनी बेटी के साथ थाने पहुंचे और अपनी पिस्टल छुड़ा लाये थे। पारिवारिक मित्रों का मानना है कि विजय के दिमाग में आत्मघाती कदम उठाने की प्लानिंग चल रही होगी तभी उसने थाने से पिस्टल वापस ली थी। भतीजी की शादी भी टूट गई थी विजय चार भाइयों में सबसे छोटे थे। कुछ वर्ष पहले एक भाई वीरेंद्र की लिवर ट्रांसप्लांट के दौरान मौत हो गई थी। वीरेंद्र के बेटे ने घर छोड़ दिया था और अपनी पत्नी के साथ किराये के मकान में रहने लगा था। वीरेंद्र की पत्नी और उसकी बेटी विजय के मकान के पिछले हिस्से में मौजूद पुश्तैनी मकान में रहती है। वीरेंद्र की बेटी की शादी का जिम्मा विजय ने ही उठाया था लेकिन किस्मत यहां भी दगा दे गई। सबकुछ तय होने के बाद लड़के वालों ने रिश्ता तोड़ दिया जिससे विजय और तनाव में रहने लगा। पुश्तैनी मकान में बंटवारे के विवाद ने और परेशान किया विजय का कारोबार अच्छा - खासा फैला था जिसके कारण वह अन्य भाइयों से अधिक सम्पन्न था। कुछ महीने पहले पुश्तैनी मकान के बंटवारे को लेकर भी घर में विवाद हो गया था। वीरेंद्र की पत्नी बंटवारे में मिले हिस्से को लेकर खुश नहीं थी और इसके लिए वह विजय को ही जिम्मेदार मानती थी। मेवा बीड़ी वाले के नाम से मशहूर था परिवार पान दरीबा, कालिमहल के आसपास इलाके में विजय के परिवार का नाम था। विजय के पिता मेवा बीड़ी के नाम से बीड़ी बनाकर बेचते थे। वाराणसी समेत आसपास के जिलों में सप्लाई थी। विजय के बड़े भाई वीरेंद्र की मौत के बाद विजय ने अपना कारोबार अलग कर लिया था जबकि अन्य भाई राजू और संजय पुश्तैनी कारोबार से जुड़े रहे। नया मकान नहीं सह रहा था विजय ने लगभग डेढ़ वर्ष पूर्व पुश्तैनी मकान के बगल में ही अपना निजी चार मंजिला मकान बनवाया था। शहर में तीन-चार मकान और जमीनें खरीदी थी। परिवार से जुड़े मित्रों ने बताया कि जब से विजय इस मकान में रहने आया, तभी से उसका व्यवहार अचानक बदलने लगा। दावत देने वाला हो गया अचानक गुमसुम एक साल पहले तक विजय प्रतिदिन इलाके में चाय-पान की दुकानों पर अड़ी लगाते। खुशमिजाज विजय दोस्तों के बीच पार्टी देने के शौकीन माने जाते लेकिन अचानक से उनका बर्ताव बदल गया। सार्वजनिक स्थानों पर बैठना बंद कर दिया, मित्रों को फोन करना छोड़ दिया। कुछ करीबियों ने विजय से जानने की कोशिश की लेकिन बात नहीं बनी। बेटे की खुशी में दी थी दावत विजय की शादी लगभग 25 वर्ष पहले श्वेता सिंह से हुई थी। दो बेटियां संस्कृति व श्रुति और एक बेटा शिवांश है। तीन भाई बहनों में शिवांश 11 वर्ष सबसे छोटा है। दो बेटियों के कई साल बाद पैदा हुए बेटे की खुशी में विजय ने बड़ी दावत दी थी।

Nov 17, 2024 - 07:20
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भतीजी की शादी टूटने से तनाव में थे गुटखा कारोबारी:शेयर बाजार में भी डुबा था पैसा, एक सप्ताह में ही कारोबारी ने बंद कर दी थी दवा
अपनी लाइसेंसी पिस्टल से जान लेने वालेगु टखा कारोबारी विजय राठौर बीते एक साल से मानसिक तनाव में चल रहे थे। अचानक गुमसुम रहने पर मित्र उन्हें लेकर अर्दली बाजार इलाके के एक डॉक्टर के पास ले गए। डॉक्टर ने कुछ दवाएं दी लेकिन विजय ने एक सप्ताह के सेवन के बाद ही दवा बंद कर दी। चाय-पान की दुकानों पर लगने वाली अड़ी पर भी बैठना छोड़ दिया था। जितने मुंह उतनी बातें। कोई कहता शेयर में पैसा डूब गया तो परिवार के अंदर होने वाले विवाद को लेकर कयास लगा रहा पिस्टल भी दशहरा में थाने से छुड़ाया जिस लाइसेंसी पिस्टल से विजय ने अपनी इहलीला समाप्त की उसे उसने दशहरा के दिन थाने से लाया था। मई माह में हुए लोकसभा चुनाव के दौरान उसने पिस्टल थाने में जमा कराई थी। कुछ मित्रों ने उनकी मानसिक हालत को समझते हुए पिस्टल थाने में ही जमा रहने पर जोर दिया था। दशहरा पर शस्त्र पूजन के लिए विजय अपनी बेटी के साथ थाने पहुंचे और अपनी पिस्टल छुड़ा लाये थे। पारिवारिक मित्रों का मानना है कि विजय के दिमाग में आत्मघाती कदम उठाने की प्लानिंग चल रही होगी तभी उसने थाने से पिस्टल वापस ली थी। भतीजी की शादी भी टूट गई थी विजय चार भाइयों में सबसे छोटे थे। कुछ वर्ष पहले एक भाई वीरेंद्र की लिवर ट्रांसप्लांट के दौरान मौत हो गई थी। वीरेंद्र के बेटे ने घर छोड़ दिया था और अपनी पत्नी के साथ किराये के मकान में रहने लगा था। वीरेंद्र की पत्नी और उसकी बेटी विजय के मकान के पिछले हिस्से में मौजूद पुश्तैनी मकान में रहती है। वीरेंद्र की बेटी की शादी का जिम्मा विजय ने ही उठाया था लेकिन किस्मत यहां भी दगा दे गई। सबकुछ तय होने के बाद लड़के वालों ने रिश्ता तोड़ दिया जिससे विजय और तनाव में रहने लगा। पुश्तैनी मकान में बंटवारे के विवाद ने और परेशान किया विजय का कारोबार अच्छा - खासा फैला था जिसके कारण वह अन्य भाइयों से अधिक सम्पन्न था। कुछ महीने पहले पुश्तैनी मकान के बंटवारे को लेकर भी घर में विवाद हो गया था। वीरेंद्र की पत्नी बंटवारे में मिले हिस्से को लेकर खुश नहीं थी और इसके लिए वह विजय को ही जिम्मेदार मानती थी। मेवा बीड़ी वाले के नाम से मशहूर था परिवार पान दरीबा, कालिमहल के आसपास इलाके में विजय के परिवार का नाम था। विजय के पिता मेवा बीड़ी के नाम से बीड़ी बनाकर बेचते थे। वाराणसी समेत आसपास के जिलों में सप्लाई थी। विजय के बड़े भाई वीरेंद्र की मौत के बाद विजय ने अपना कारोबार अलग कर लिया था जबकि अन्य भाई राजू और संजय पुश्तैनी कारोबार से जुड़े रहे। नया मकान नहीं सह रहा था विजय ने लगभग डेढ़ वर्ष पूर्व पुश्तैनी मकान के बगल में ही अपना निजी चार मंजिला मकान बनवाया था। शहर में तीन-चार मकान और जमीनें खरीदी थी। परिवार से जुड़े मित्रों ने बताया कि जब से विजय इस मकान में रहने आया, तभी से उसका व्यवहार अचानक बदलने लगा। दावत देने वाला हो गया अचानक गुमसुम एक साल पहले तक विजय प्रतिदिन इलाके में चाय-पान की दुकानों पर अड़ी लगाते। खुशमिजाज विजय दोस्तों के बीच पार्टी देने के शौकीन माने जाते लेकिन अचानक से उनका बर्ताव बदल गया। सार्वजनिक स्थानों पर बैठना बंद कर दिया, मित्रों को फोन करना छोड़ दिया। कुछ करीबियों ने विजय से जानने की कोशिश की लेकिन बात नहीं बनी। बेटे की खुशी में दी थी दावत विजय की शादी लगभग 25 वर्ष पहले श्वेता सिंह से हुई थी। दो बेटियां संस्कृति व श्रुति और एक बेटा शिवांश है। तीन भाई बहनों में शिवांश 11 वर्ष सबसे छोटा है। दो बेटियों के कई साल बाद पैदा हुए बेटे की खुशी में विजय ने बड़ी दावत दी थी।

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