मीट एट आगरा 8 नवंबर से:तीन दिन का होगा फेयर, 35 देशों के 200 से अधिक एग्जीबिटर्स लेंगे भाग

आगरा में लेदर, फुटवियर कंपोनेंट्स एंड टेक्नोलाॅजी फेयर ‘मीट एट आगरा’ के 16वें संस्करण की तैयारियों को अंतिम रूप दिया जा चुका है। सोमवार को बाईपास रोड स्थित होटल लेमन ट्री में आयोजित प्रेसवार्ता में मीट एट आगरा में होने वाले कार्यक्रमों की जानकारी दी गई। आगरा फुटवियर मैन्युफेक्चरर्स एंड एक्सपोर्टर्स चैम्बर (एफमेक) द्वारा सींगना स्थित आगरा ट्रेड सेंटर पर आयोजित हो रहा तीन दिवसीय फेयर मीट एट आगरा 8 से 10 नवंबर तक चलेगा। एफमेक के अध्यक्ष पूरन डावर ने बताया कि डेढ़ दशक की अपनी यात्रा में इस आयोजन ने देश में ही नहीं दुनियां में भी अपनी खास पहचान बनाई है। लगभग 35 से अधिक देश और लगभग 200 से अधिक एग्जीबिटर्स इस साल इस आयोजन में भाग ले रहे हैं। इस फेयर में इस साल लगभग 6 हजार ट्रेड विजिटर्स और 20 हजार से अधिक फुटफाॅल के आने की संभावना है। उन्होंने कहा कि सरकार और औद्योगिक संगठनों के इन प्रयासों से मौजूदा 26 अरब डाॅलर का भारतीय फुटवियर बाजार 2030 तक 47 अरब डाॅलर तक हो सकता है। यह वृद्धि मुख्य रूप से भारत में गैर-चमड़े के जूते जैसे खेल के जूते, दौड़ने के जूते, कैजुअल वियर और स्नीकर्स की मांग में हो रही वृद्धि का फायदा उठाकर हो सकती है। न्यू टेक्नोलॉजी पर होगी चर्चा फेयर ऑर्गनाइजिंग कमेटी के चेयरमैन गोपाल गुप्ता ने कहा कि न्यू टेक्नोलाॅजी, न्यू इनोवेशंस और नेशनल-इंटरनेशनल मार्केट के न्यू ट्रेंड्स पर चर्चा होगी। इनसे संबंधित जानकारी भी फेयर में मिलेगी। एफमेक के कन्वीनर कैप्टन ए.एस. राणा ने कहा कि आज हम चाइना के एक मजबूत विकल्प के रूप में खड़े हैं इस बात को कहने में कोई गुरेज नहीं है कि यह भारत का टर्न है। टाटा, रिलायंस, वालमार्ट और फ्यूचर ग्रुप जैसी बड़ी कंपनियों ने चाइना से आयात पूरी तरह बंद कर चुकी हैं। ये कंपनियां आज भारतीय प्रोडक्ट पर निर्भर हैं। टेक्नीकल सेशंस में दिखेगा जूता उद्योग का वर्तमान और भविष्य एफमेक महासचिव राजीव वासन ने कहा कि फुटवियर कंपोनेंट इंडस्ट्री जब मजबूत होगी तभी अच्छा जूता बन सकता है। यह फेयर कंपोनेंट इंडस्ट्री के और मेन्युफक्चर्स के प्रोत्साहन में एक सेतु की तरह काम कर रहा है। फेयर में टेक्नीकल सेशंस भी होंगे जिनमें विशेषज्ञ विभिन्न विषयों पर व्याख्यान देंगे। जिनमें डिजाइन ट्रेंड्स, मेन्युफैक्चरिंग तकनीक, मार्केटिंग स्ट्रेटजी जैसे विषय शामिल हैं। टेक्नीकल सेशंस में जूता उद्योग का वर्तमान और भविष्य दिखेगा जिसकी बुनियाद पर आप अपने कारोबार में भविष्य कि दिशा तय कर सकते हैं। 40 प्रतिशत महिलाएं करती हैं काम एफमेक सचिव ललित अरोड़ा ने बताया कि भारत में जूतों-चप्पल पर खर्च अभी बेहद कम है। एक रिपोर्ट के अनुसार यहां इसपर प्रति व्यक्ति खर्च 1500 रुपए के लगभग रहता है जो दुनिया के बाकी बाजारों के मुकाबले काफी कम है। साथ ही भारतीय बाजारों में करीब 70 फीसदी हिस्से पर चमड़े के जूते चप्पलों का ही कब्जा है। इस उद्योग से 45 लाख लोग जुड़े हुए हैं। उनमें 40 प्रतिशत से ज्यादा महिलाएं काम करती हैं। इंडस्ट्री के लिए गेम चेंजर साबित हो रहा है आयोजन एफएफएम अध्यक्ष कुलदीप सिंह ने कहा कि साल-दर-साल हमने देखा है कि यह आयोजन इंडस्ट्री के लिए गेम चेंजर साबित हो रहा है। फेयर फुटवियर क्षेत्र के विभिन्न उद्यमियों के लिए नेटवर्किंग और व्यापार के अवसरों का प्रदर्शन करने के लिए एक मंच के रूप में काम कर रहा है। यह अंतरराष्ट्रीय फुटवियर मेला फुटवियर क्षेत्र से संबंधित उत्पादों और सेवाओं की एक विस्तृत श्रृंखला का प्रदर्शन करेगा। इसमें मशीनरी उपकरण, फुटवियर कम्पोनेंट्स, सिंथेटिक सामग्री आदि शामिल हैं। उत्पादन और निर्यात क्षमता का लाभ उठाना चाहिए एफमेक के प्रदीप वासन ने कहा कि भारत में दुनियाभर के कुल उत्पादन का 13 फीसदी उत्पादन होता है। साथ ही वैश्विक निर्यात का करीब 2.2 फीसदी हिस्सा भारत से किया जाता है। जीटीआरआई के मुताबिक भारत में न केवल उत्पादन बढ़ाने और निर्यात में भी इजाफा करने की भी पर्याप्त क्षमता मौजूदा है। ऐसे में सरकार और उद्यमियों के पारस्परिक तालमेल से इस मौके का लाभ उठाया जा सकता है। यह रहे मौजूद इस मौके पर एफमेक के सुधीर गुप्ता, अनिरुद्ध तिवारी, एफएएफएम के अध्यक्ष कुलदीप कोहली, महासचिव नकुल मनचंदा, रोमी मगन, आस्मा के अध्यक्ष उपेंद्र सिंह लवली आदि विशेष रूप से मौजूद रहे।

Oct 21, 2024 - 19:05
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मीट एट आगरा 8 नवंबर से:तीन दिन का होगा फेयर, 35 देशों के 200 से अधिक एग्जीबिटर्स लेंगे भाग
आगरा में लेदर, फुटवियर कंपोनेंट्स एंड टेक्नोलाॅजी फेयर ‘मीट एट आगरा’ के 16वें संस्करण की तैयारियों को अंतिम रूप दिया जा चुका है। सोमवार को बाईपास रोड स्थित होटल लेमन ट्री में आयोजित प्रेसवार्ता में मीट एट आगरा में होने वाले कार्यक्रमों की जानकारी दी गई। आगरा फुटवियर मैन्युफेक्चरर्स एंड एक्सपोर्टर्स चैम्बर (एफमेक) द्वारा सींगना स्थित आगरा ट्रेड सेंटर पर आयोजित हो रहा तीन दिवसीय फेयर मीट एट आगरा 8 से 10 नवंबर तक चलेगा। एफमेक के अध्यक्ष पूरन डावर ने बताया कि डेढ़ दशक की अपनी यात्रा में इस आयोजन ने देश में ही नहीं दुनियां में भी अपनी खास पहचान बनाई है। लगभग 35 से अधिक देश और लगभग 200 से अधिक एग्जीबिटर्स इस साल इस आयोजन में भाग ले रहे हैं। इस फेयर में इस साल लगभग 6 हजार ट्रेड विजिटर्स और 20 हजार से अधिक फुटफाॅल के आने की संभावना है। उन्होंने कहा कि सरकार और औद्योगिक संगठनों के इन प्रयासों से मौजूदा 26 अरब डाॅलर का भारतीय फुटवियर बाजार 2030 तक 47 अरब डाॅलर तक हो सकता है। यह वृद्धि मुख्य रूप से भारत में गैर-चमड़े के जूते जैसे खेल के जूते, दौड़ने के जूते, कैजुअल वियर और स्नीकर्स की मांग में हो रही वृद्धि का फायदा उठाकर हो सकती है। न्यू टेक्नोलॉजी पर होगी चर्चा फेयर ऑर्गनाइजिंग कमेटी के चेयरमैन गोपाल गुप्ता ने कहा कि न्यू टेक्नोलाॅजी, न्यू इनोवेशंस और नेशनल-इंटरनेशनल मार्केट के न्यू ट्रेंड्स पर चर्चा होगी। इनसे संबंधित जानकारी भी फेयर में मिलेगी। एफमेक के कन्वीनर कैप्टन ए.एस. राणा ने कहा कि आज हम चाइना के एक मजबूत विकल्प के रूप में खड़े हैं इस बात को कहने में कोई गुरेज नहीं है कि यह भारत का टर्न है। टाटा, रिलायंस, वालमार्ट और फ्यूचर ग्रुप जैसी बड़ी कंपनियों ने चाइना से आयात पूरी तरह बंद कर चुकी हैं। ये कंपनियां आज भारतीय प्रोडक्ट पर निर्भर हैं। टेक्नीकल सेशंस में दिखेगा जूता उद्योग का वर्तमान और भविष्य एफमेक महासचिव राजीव वासन ने कहा कि फुटवियर कंपोनेंट इंडस्ट्री जब मजबूत होगी तभी अच्छा जूता बन सकता है। यह फेयर कंपोनेंट इंडस्ट्री के और मेन्युफक्चर्स के प्रोत्साहन में एक सेतु की तरह काम कर रहा है। फेयर में टेक्नीकल सेशंस भी होंगे जिनमें विशेषज्ञ विभिन्न विषयों पर व्याख्यान देंगे। जिनमें डिजाइन ट्रेंड्स, मेन्युफैक्चरिंग तकनीक, मार्केटिंग स्ट्रेटजी जैसे विषय शामिल हैं। टेक्नीकल सेशंस में जूता उद्योग का वर्तमान और भविष्य दिखेगा जिसकी बुनियाद पर आप अपने कारोबार में भविष्य कि दिशा तय कर सकते हैं। 40 प्रतिशत महिलाएं करती हैं काम एफमेक सचिव ललित अरोड़ा ने बताया कि भारत में जूतों-चप्पल पर खर्च अभी बेहद कम है। एक रिपोर्ट के अनुसार यहां इसपर प्रति व्यक्ति खर्च 1500 रुपए के लगभग रहता है जो दुनिया के बाकी बाजारों के मुकाबले काफी कम है। साथ ही भारतीय बाजारों में करीब 70 फीसदी हिस्से पर चमड़े के जूते चप्पलों का ही कब्जा है। इस उद्योग से 45 लाख लोग जुड़े हुए हैं। उनमें 40 प्रतिशत से ज्यादा महिलाएं काम करती हैं। इंडस्ट्री के लिए गेम चेंजर साबित हो रहा है आयोजन एफएफएम अध्यक्ष कुलदीप सिंह ने कहा कि साल-दर-साल हमने देखा है कि यह आयोजन इंडस्ट्री के लिए गेम चेंजर साबित हो रहा है। फेयर फुटवियर क्षेत्र के विभिन्न उद्यमियों के लिए नेटवर्किंग और व्यापार के अवसरों का प्रदर्शन करने के लिए एक मंच के रूप में काम कर रहा है। यह अंतरराष्ट्रीय फुटवियर मेला फुटवियर क्षेत्र से संबंधित उत्पादों और सेवाओं की एक विस्तृत श्रृंखला का प्रदर्शन करेगा। इसमें मशीनरी उपकरण, फुटवियर कम्पोनेंट्स, सिंथेटिक सामग्री आदि शामिल हैं। उत्पादन और निर्यात क्षमता का लाभ उठाना चाहिए एफमेक के प्रदीप वासन ने कहा कि भारत में दुनियाभर के कुल उत्पादन का 13 फीसदी उत्पादन होता है। साथ ही वैश्विक निर्यात का करीब 2.2 फीसदी हिस्सा भारत से किया जाता है। जीटीआरआई के मुताबिक भारत में न केवल उत्पादन बढ़ाने और निर्यात में भी इजाफा करने की भी पर्याप्त क्षमता मौजूदा है। ऐसे में सरकार और उद्यमियों के पारस्परिक तालमेल से इस मौके का लाभ उठाया जा सकता है। यह रहे मौजूद इस मौके पर एफमेक के सुधीर गुप्ता, अनिरुद्ध तिवारी, एफएएफएम के अध्यक्ष कुलदीप कोहली, महासचिव नकुल मनचंदा, रोमी मगन, आस्मा के अध्यक्ष उपेंद्र सिंह लवली आदि विशेष रूप से मौजूद रहे।

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