योगी सरकार अब खुद करेगी DGP की नियुक्ति:SC में सुनवाई से पहले योगी सरकार का फैसला; प्रशांत कुमार बन सकते हैं परमानेंट डीजीपी
योगी सरकार ने DGP की नियुक्ति को लेकर बड़ा फैसला लिया है। सरकार अब खुद ही DGP की नियुक्ति करेगी। यानी सरकार को अब UPSC पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा। DGP का न्यूनतम कार्यकाल 2 साल तय किया गया है। इसके लिए यूपी सरकार ने नियमावली ( उत्तर प्रदेश चयन एवं नियुक्ति नियमावली 2024) बनाई है, जिसे सोमवार को कैबिनेट ने मंजूरी दी। इसमें हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में मनोनयन समिति गठित करने का प्रावधान है। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने यूपी समेत 7 राज्यों में कार्यवाहक डीजीपी की नियुक्ति को लेकर नाराजगी जताई है। सुप्रीम कोर्ट ने कार्यवाहक डीजीपी की नियुक्ति को अवमानना का मामला मानते हुए राज्य सरकारों को नोटिस दिया है। 14 नवंबर को इस पर सुनवाई होनी है। इससे पहले योगी सरकार ने यह फैसला लिया है। अब ऐसे होगा DGP का चयन नए नियम के अनुसार, हाईकोर्ट के रिटायर जज की अध्यक्षता में एक कमेटी बनेगी। इसमें यूपी के मुख्य सचिव, UPSC की ओर से नामित सदस्य, यूपी लोकसेवा आयोग का अध्यक्ष या उनकी ओर से नामित सदस्य, अपर मुख्य सचिव या प्रमुख सचिव गृह और एक रिटायर्ड पूर्व DGP कमेटी में शामिल रहेंगे। DGP वही अफसर बन पाएगा, जिसकी कम से कम 6 महीने की नौकरी बची हो। पद से हटाने के लिए भी नियमों में बदलाव DGP को हटाने के लिए भी नियम बनाए गए हैं। अब कर्तव्यों और दायित्वों का निर्वहन करने में विफल रहने पर सरकार 2 साल पहले ही DGP को हटा सकती है। 3 लाख पुलिस फोर्स के पास 29 महीने से नहीं है परमानेंट DGP प्रशांत कुमार यूपी पुलिस के चौथे कार्यवाहक DGP हैं। उत्तर प्रदेश के आखिरी स्थायी DGP मुकुल गोयल थे, जिन्हें शासन ने 11 मई 2022 को पद से हटा दिया था। इसके बाद, 12 मई 2022 को देवेंद्र सिंह चौहान को कार्यवाहक डीजीपी का जिम्मा सौंपा। वह 11 महीने इस पद पर रहे। इसके बाद डॉ. आरके विश्वकर्मा को कार्यवाहक DGP बनाया गया था। वह 2 महीने ही पद रहे। 8 महीने पहले IPS विजय कुमार को कार्यवाहक DGP बनाया गया था। यूपी के पास दुनिया की सबसे बड़ी पुलिस फोर्स है। इसमें 3 लाख से अधिक कर्मचारी हैं। लेकिन, पिछले 20 महीने से कार्यवाहक DGP के नेतृत्व में काम हो रहा है।
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