रिलायंस पावर किसी टेंडर के लिए बोली नहीं लगा सकेगी:3 साल तक के लिए SECI ने रोक लगाई, फर्जी बैंक गारंटी देने पर कार्रवाई

सोलर एनर्जी कारपोरेशन ऑफ इंडिया (SECI) ने अनिल अंबानी की रिलायंस पावर और उसकी सब्सिडियरी कंपनियों को आने वाले किसी भी टेंडर के लिए बोली लगाने से 3 साल के लिए बैन कर दिया है। अनिल अंबानी की कंपनियों ने टेंडर के लिए फर्जी बैंक गारंटी जमा कराई थी, जिसके कारण न्यू और रिन्युएबल एनर्जी मिनिस्ट्री की कंपनी SECI ने यह कार्रवाई की है। SECI ने बयान जारी कर कहा- कंपनी की ओर से बोली (बिडिंग) के आखिरी राउंड में फर्जी बैंक गारंटी दी गई, जिसके बाद इन कंपनियों को बैन किया गया है। इसके साथ ही SECI ने रिलायंस पावर की सब्सिडियरी कंपनी की ओर से बैंक गारंटी में गड़बड़ियां मिलने पर आखिरी राउंड की बोली को रद्द कर दिया था। पैरेंट कंपनी की ओर से हुए थे स्ट्रैटेजिक फैसले SECI ने कहा कि रिलायंस NU BESS लिमिटेड (पहले बिडर महाराष्ट्र एनर्जी जेनरेशन लिमिटेड) ने टेंडर के लिए जरूरी जो बैंक गारंटी दी थी, वह फर्जी थी। यह गड़बड़ी ई-रिवर्स नीलामी के बाद पाई गई थी, इसलिए SECI को टेंडर की प्रक्रिया को कैसिंल करने के लिए मजबूर होना पड़ा। टेंडर की शर्तों के मुताबिक, नकली डॉक्यूमेंट पेश करने की वजह से बिडर SECI की भविष्य में आने वाले टेंडर के लिए बोली नहीं लगा सकता है। बिडर कंपनी रिलायंस पावर की सब्सिडियरी कंपनी है, इसने पैरेंट कंपनी की शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए फाइनेंशियल एलिजिबिलिटी रिक्वायरमेंट को पूरा किया था। SECI ने जांच में पाया कि बिडर कंपनी की ओर से किए गए सभी कॉमर्शियल और स्ट्रैटेजिक फैसले पैरेंट कंपनी की ओर से हुए थे। इसी को आधार बनाते हुए SECI ने एक्शन लिया। अनिल 1983 में रिलायंस से जुड़े थे, बंटवारा जून 2005 में हुआ था

Nov 7, 2024 - 14:00
 48  501.8k
रिलायंस पावर किसी टेंडर के लिए बोली नहीं लगा सकेगी:3 साल तक के लिए SECI ने रोक लगाई, फर्जी बैंक गारंटी देने पर कार्रवाई
सोलर एनर्जी कारपोरेशन ऑफ इंडिया (SECI) ने अनिल अंबानी की रिलायंस पावर और उसकी सब्सिडियरी कंपनियों को आने वाले किसी भी टेंडर के लिए बोली लगाने से 3 साल के लिए बैन कर दिया है। अनिल अंबानी की कंपनियों ने टेंडर के लिए फर्जी बैंक गारंटी जमा कराई थी, जिसके कारण न्यू और रिन्युएबल एनर्जी मिनिस्ट्री की कंपनी SECI ने यह कार्रवाई की है। SECI ने बयान जारी कर कहा- कंपनी की ओर से बोली (बिडिंग) के आखिरी राउंड में फर्जी बैंक गारंटी दी गई, जिसके बाद इन कंपनियों को बैन किया गया है। इसके साथ ही SECI ने रिलायंस पावर की सब्सिडियरी कंपनी की ओर से बैंक गारंटी में गड़बड़ियां मिलने पर आखिरी राउंड की बोली को रद्द कर दिया था। पैरेंट कंपनी की ओर से हुए थे स्ट्रैटेजिक फैसले SECI ने कहा कि रिलायंस NU BESS लिमिटेड (पहले बिडर महाराष्ट्र एनर्जी जेनरेशन लिमिटेड) ने टेंडर के लिए जरूरी जो बैंक गारंटी दी थी, वह फर्जी थी। यह गड़बड़ी ई-रिवर्स नीलामी के बाद पाई गई थी, इसलिए SECI को टेंडर की प्रक्रिया को कैसिंल करने के लिए मजबूर होना पड़ा। टेंडर की शर्तों के मुताबिक, नकली डॉक्यूमेंट पेश करने की वजह से बिडर SECI की भविष्य में आने वाले टेंडर के लिए बोली नहीं लगा सकता है। बिडर कंपनी रिलायंस पावर की सब्सिडियरी कंपनी है, इसने पैरेंट कंपनी की शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए फाइनेंशियल एलिजिबिलिटी रिक्वायरमेंट को पूरा किया था। SECI ने जांच में पाया कि बिडर कंपनी की ओर से किए गए सभी कॉमर्शियल और स्ट्रैटेजिक फैसले पैरेंट कंपनी की ओर से हुए थे। इसी को आधार बनाते हुए SECI ने एक्शन लिया। अनिल 1983 में रिलायंस से जुड़े थे, बंटवारा जून 2005 में हुआ था

What's Your Reaction?

like

dislike

love

funny

angry

sad

wow