लखनऊ गुरुद्वारा में बंदी छोड़ दिवस मनाया गया:शबद - कीर्तन के आयोजन संग लंगर में भक्तों ने छका प्रसाद

राजधानी के ऐतिहासिक गुरुद्वारा श्रीगुरु नानक देव नाका हिंडोला में बंदी छोड़ दिवस को श्रद्धा एवं उल्लास के साथ मनाया गया। इस अवसर पर गुरुद्वारा को झालरों और दीप मालाओं के साथ फूलों से सजाया गया। विशेष दीवान की शुरुआत शाम को रहिरास साहिब के पाठ के साथ हुआ। यह देर रात तक चलता रहा। इस दौरान हजूरी रागी भाई राजिंदर सिंह ने अपनी मधुर वाणी में कई भक्ति गीतों का गायन किया। इनमें "दीवाली दी राति दीवे बालीअनि" और "सतिगुर बन्दी छोड़ है जीवन मुक्ति करै उडीणा" शामिल थे। ज्ञानी गुरजिंदर सिंह जी ने इस दिन के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि जब श्रीगुरु हरिगोविंद साहिब धर्म प्रचार में लगे थे तो उनके अनुयायी बढ़ने लगे। जहांगीर के आदेश पर गुरु गोविंद सिंह को ग्वालियर किले में कैद कर दिया गया। यहां 52 हिंदू राजा भी बंदी थे। गुरु गोविंद सिंह ने न केवल उन राजाओं की हिम्मत बढ़ाई बल्कि उन्हें स्वतंत्रता दिलाने का संकल्प लिया। गुरु गोविंद सिंह ने कहा कि वे अकेले किले से बाहर नहीं जाएंगे। अगर उन्हें रिहा करना है तो 52 हिंदू राजाओं को भी छोड़ना होगा। जहांगीर ने अंततः गुरु गोविंद सिंह के साथ उन राजाओं को भी रिहा करने का आदेश दिया। इस प्रकार गुरु गोविंद सिंह को "बंदी छोड़ दाता" की उपाधि मिली। कार्यक्रम में रागी जत्था भाई प्रीतम सिंह ने भी भक्ति शबद गाकर समूह संगत को निहाल किया। दीवान का संचालन सतपाल सिंह मीत ने किया। अंत में समूह संगत ने दिये और मोमबत्तियां जलाकर इस पावन अवसर का उत्सव मनाया। दीवान की समाप्ति पर लखनऊ गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष सरदार राजेन्द्र सिंह बग्गा जी ने सभी श्रद्धालुओं को बंदी छोड़ दिवस की शुभकामनाएं दीं। इसके बाद प्रसाद का वितरण किया गया।

Nov 2, 2024 - 13:50
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लखनऊ गुरुद्वारा में बंदी छोड़ दिवस मनाया गया:शबद - कीर्तन के आयोजन संग लंगर में भक्तों ने छका प्रसाद
राजधानी के ऐतिहासिक गुरुद्वारा श्रीगुरु नानक देव नाका हिंडोला में बंदी छोड़ दिवस को श्रद्धा एवं उल्लास के साथ मनाया गया। इस अवसर पर गुरुद्वारा को झालरों और दीप मालाओं के साथ फूलों से सजाया गया। विशेष दीवान की शुरुआत शाम को रहिरास साहिब के पाठ के साथ हुआ। यह देर रात तक चलता रहा। इस दौरान हजूरी रागी भाई राजिंदर सिंह ने अपनी मधुर वाणी में कई भक्ति गीतों का गायन किया। इनमें "दीवाली दी राति दीवे बालीअनि" और "सतिगुर बन्दी छोड़ है जीवन मुक्ति करै उडीणा" शामिल थे। ज्ञानी गुरजिंदर सिंह जी ने इस दिन के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि जब श्रीगुरु हरिगोविंद साहिब धर्म प्रचार में लगे थे तो उनके अनुयायी बढ़ने लगे। जहांगीर के आदेश पर गुरु गोविंद सिंह को ग्वालियर किले में कैद कर दिया गया। यहां 52 हिंदू राजा भी बंदी थे। गुरु गोविंद सिंह ने न केवल उन राजाओं की हिम्मत बढ़ाई बल्कि उन्हें स्वतंत्रता दिलाने का संकल्प लिया। गुरु गोविंद सिंह ने कहा कि वे अकेले किले से बाहर नहीं जाएंगे। अगर उन्हें रिहा करना है तो 52 हिंदू राजाओं को भी छोड़ना होगा। जहांगीर ने अंततः गुरु गोविंद सिंह के साथ उन राजाओं को भी रिहा करने का आदेश दिया। इस प्रकार गुरु गोविंद सिंह को "बंदी छोड़ दाता" की उपाधि मिली। कार्यक्रम में रागी जत्था भाई प्रीतम सिंह ने भी भक्ति शबद गाकर समूह संगत को निहाल किया। दीवान का संचालन सतपाल सिंह मीत ने किया। अंत में समूह संगत ने दिये और मोमबत्तियां जलाकर इस पावन अवसर का उत्सव मनाया। दीवान की समाप्ति पर लखनऊ गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष सरदार राजेन्द्र सिंह बग्गा जी ने सभी श्रद्धालुओं को बंदी छोड़ दिवस की शुभकामनाएं दीं। इसके बाद प्रसाद का वितरण किया गया।

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